प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में सूखे और पानी की कमी की स्थिति के बारे में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फणनवीस, भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
चर्चा प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा केन्द्र, राज्यों, स्थानीय निकायों, गैर-सरकारी संगठनों और नागरिकों को सूखे के कारण उत्पन्न समस्याओं के निवारण के लिए मिलकर काम करना होगा। उन्होंने सूखे से बचाव के लिए मध्य और दीर्घकालिक समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने का भी आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने बूँद और छिड़काव सिंचाई (ड्रिप एंड स्प्रिंकलर इरिगेशन) के माध्यम से जल उपयोग की दक्षता को बढ़ाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ड्रिप इरिगेशन से चीनी की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में गन्ना बुआई के100 प्रतिशत क्षेत्र को तीन वर्षों में ड्रिप सिंचाई के अंतर्गत लाने को सुनिश्चित करने के लिए एक योजना पर काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने पारंपरिक और आधुनिक जल संरक्षण और भंडारण तंत्र को अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी द्वारा अपनायी गयीं जल प्रबंधन प्रणालियों और उपायों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य उस समय के जल निकायों का पुनर्रोद्धार करने की दिशा में कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि राज्य जल अनुरूप कृषि पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है और उन्होंने कृषि स्तर पर जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विश्व बैंक से ऋण के लिए एक जलवायु अनुकूल कृषि आधुनिकीकरण परियोजना का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने इस परियोजना को विश्व बैंक के लिए शीघ्रता से अनुशंसित करने के लिए केन्द्र सरकार को धन्यवाद भी दिया।
मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण और भंडारण के लिए जल युक्त शिविर अभियान की प्रगति से भी प्रधानमंत्री को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि राज्य ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए 51,500 कृषि जलाशयों का एक लक्ष्य निर्धारित किया है जिसके प्रति किसानों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया को देखते हुए इसमें आगामी विस्तार भी किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण करने के लिए किए गये राज्य के प्रयासों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्थागत ऋण के दायरे में और अधिक किसानों को लाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कृषि आयों को दुगना और महाराष्ट्र को सूखा रहित बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी।