प्रधानमंत्री मोदी ने अक्षय ऊर्जा पर ऊर्जा क्षेत्र के शीर्ष मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ गोलमेज बैठक की अध्यक्षता की
भारत में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व का केंद्र बनने की क्षमता है
भारत का लक्ष्य है - 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का निर्माण
प्रधानमंत्री मोदी ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में की गई विभिन्न पहल को रेखांकित किया
प्रधानमंत्री मोदी ने कोयला गैसीकरण को अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बताया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज सेन जोस में शीर्ष ऊर्जा मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीइओ) और विशेषज्ञों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा पर एक गोलमेज बैठक की अध्यक्षता की।

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के ऊर्जा सचिव डॉ. अर्नेस्ट मोनिज और भूतपूर्व अमेरिकी ऊर्जा सचिव प्रोफेसर स्टीवन चू भी इस बैठक में उपस्थित थे।

श्री अहमद चाटिला, सीइओ सनएडिसन, सॉफ्ट बैंक के अध्यक्ष एवं सीइओ निकेष अरोड़ा; ब्लूम एनर्जी के सीइओ, के आर श्रीधर; सोलेजाइम के सीइओ जोनाथन वोल्फसन; वेंचर कैपिटलिस्ट के जॉन डोर और डीबीएल पार्टनर्स की इरा इहरेनपरीस समेत शीर्ष ऊर्जा मुख्यकार्यकारी अधिकारी (सीइओ) और निवेशक भी उपस्थित थे।

स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरूण मजूमदार, प्रोफेसर रोजर नोल, डॉ. अंजनी कोचर और प्रोफेसर सैली बेन्सन ने भी बैठक में भाग लिया।

गोलमेज बैठक में व्यक्त किये गए विचारों से यह स्पष्ट अभिकथन सामने आया कि भारत में स्वच्छ ऊर्जा की दुनिया की राजधानी बनने की पूरी संभावनाएं हैं।

प्रतिभागियों ने कहा कि बिजली का भंडारण सस्ता होने से स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा जल्दी ही एक सस्ता विकल्प बन जाएगी। प्रतिभागियों कि यह भी राय थी कि भारत में राज्यों और शहरों को स्वच्छ ऊर्जा पहलों में बढ़त लेने की मंजूरी दी जानी चाहिए। एक संबंधित मत यह था कि वर्तमान ग्रिड को भारत के नवीकरणीय ऊर्जा के 175 गीगावॉट (जीड्ब्ल्यू) ले जाने के लिए नहीं बनाया गया है इसलिए ग्रिड की ओर मानार्थ प्रयास किये जाने की जरूरत है। 175 गीगावॉट के विजन को प्राप्त करने के लिए निजी निवेश पर बहुत जोर दिया गया। जिसके लिए यह समानांतर उदाहरण दिया गया की किस प्रकार इस्राइल ने निजी निवेश का उपयोग करके अपनी पानी की कमी की समस्या को सुलझा लिया था।

विशेषज्ञों का यह मत था कि भारत को चार प्रमुख क्षेत्रों- प्रौद्योगिकी एकीकरण, वित्त, नियामक ढांचे और प्रतिभा के सही पूल मुद्दों का समाधान करना है। उन्होंने भारत में बिजली वितरण करने वाली कंपनियों (डिस्कॉम) की वित्तीय स्थिति पर चिंता जाहिर की।

सीइओ में अपनी कंपनियों में प्रयोग की जा रही प्रौद्योगिकियों और नवाचारों की संक्षिप्त जानकारी दी। सौर और पवन ऊर्जा के अलावा एक प्रमुख स्वच्छ ऊर्जा प्रदाता के रूप में बायोगैस का भी सुझाव दिया गया।

प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों को अपने मत व्यक्त करने के लिए धन्यवाद दिया और 175 गीगावॉट स्वच्छ ऊर्जा के विजन को प्राप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में निवेश की भारी गुंजाइश है। उन्होंने रेलवे का उदारहण दिया जिसमें 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार विनियमन के मुद्दों के समाधान और डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति सुधारने की दिशा में कार्य कर रही है।

प्रधानमंत्री ने नवीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में पहले से ही शुरू की गई, कोच्चि हवाई अड्डा सौर ऊर्जा से संचालित होने और गुजरात में एक नहर पर लगाए जा रहे सौर ऊर्जा पैनलों, जैसी पहलों का एक सिंहावलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि अगले मास की शुरूआत में झारखंड की आदिवासी पट्टी में एक जिला न्यायालय पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि कोयला गैसीकरण अनुसंधान का एक प्रमुख क्षेत्र है। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि अगले दशक में नवीकरणीय ऊर्जा की क्रांति आएगी।