प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश की अपनी आगामी यात्रा के बारे में अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट साझा की है।
प्रधानमंत्री की पोस्ट का मूल पाठ यह है ''6 जून को मैं बांग्लादेश की अपनी दो दिवसीय यात्रा शुरू करूंगा। बड़े उत्साह एवं प्रसन्नता के साथ मैं एक ऐसे राष्ट्र की यात्रा करने जा रहा हूं जिसके साथ भारत के रिश्ते अत्यंत सुदृढ़ रहे हैं।
मैं बांग्लादेश में अनेक कार्यक्रमों में शिरकत करूंगा जिनमें प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ बैठक भी शामिल है, जिन्होंने भारत-बांग्लादेश रिश्तों को मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई है। वहां प्रतिनिधिमण्डल स्तर की वार्तायें होंगी और समझौतों पर हस्ताक्षर किए जायेंगे। मैं विभिन्न अनुदान सहायता परियोजनाओं से जुड़ी पट्टिकाओं का अनावरण करने के कार्यक्रम में भी हिस्सा लूंगा। प्रधानमंत्री कार्यालय में रेलवे, सांस्कृतिक एवं सड़क परियोजनाओं की पट्टिकाओं का अनावरण किया जायेगा। इसी तरह न्यू चांसरी में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए पट्टिकाओं का अनावरण किया जायेगा।
मैं राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा। मैं बंगबंधु राष्ट्रीय संग्रालय का दौरा करने और महान शेख मुजीबुर रहमान को श्रद्धांजलि अर्पित करने को लेकर काफी उत्सुक हूं, जो भारत के मित्र एवं दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शक्ति एवं लोकतंत्र के स्तम्भ थे। अटलजी की ओर से 'मुक्ति युद्ध सम्मान पुरस्कार' ग्रहण करना मेरा सौभाग्य होगा। अटलजी ने विदेश मंत्री और फिर प्रधानमंत्री के तौर पर बांग्लादेश के साथ रिश्तों को मजबूती प्रदान करने पर विशेष जोर दिया था और वर्ष 1999 में बांग्लादेश का दौरा किया था।
कुछ सप्ताह पहले भारतीय संसद ने बांग्लादेश के साथ 1974 के हमारे भूमि सीमा समझौते और 2011 के संबंधित प्रोटोकॉल को कार्यान्वित करने वाला संविधान संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया। मैं राजनीतिक दलों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ओर से मिले भरपूर समर्थन को रेखांकित करना चाहूंगा जिसकी बदौलत यह संशोधन विधेयक बड़ी सहजता के साथ पारित हो गया। यह अनुमोदन बांग्लादेश के साथ हमारे संबंधों के एक अत्यंत प्रमुख क्षण को दर्शाता है।
दोनों देशों की जनता के बीच सम्पर्क एवं कनेक्टिविटी को और ज्यादा बढ़ावा देने के लिए मैं प्रधानमंत्री शेख हसीना और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मिलकर कोलकाता-ढाका-अगरतला और ढाका-शिलांग-गुवाहाटी रूटों पर बस सेवाओं को झंडी दिखाकर रवाना करूंगा। मैं ढाका स्थित रामकृष्ण मिशन का दौरा करूंगा। इसकी स्थापना बेलूर मठ के श्रद्धालुओं ने वर्ष 1899 में की थी। मैं ढाका स्थित प्रसिद्ध ढाकेश्वरी मंदिर भी जाऊंगा।
मुझे पक्का विश्वास है कि मेरी यात्रा दोनों देशों की जनता के साथ-साथ दक्षिण एशिया के हित में होगी।''
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