प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनरों का आह्वान किया कि वे अपने सरकारी कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए सार्वजनिक हित को सबसे आगे रखें। भूटान सिविल सर्विस के तीन प्रोबेशनरों सहित 183 प्रोबेशनरों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारी वर्ग ब्रिटिश शासन के दौरान भी मौजूद था, लेकिन अंतर यह था कि उस समय के अधिकारी ब्रिटिश शासन को स्थिर रखने के लिए काम करते थे, जबकि स्वतंत्र भारत में प्रशासन का उद्देश्य सार्वजनिक हित होना चाहिए। यही लोकतंत्र का मूलमंत्र हैं। इन प्रोबशनरों ने आज प्रधानमंत्री से भेंट की।
भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रोबेशनरों को यह कहते हुए प्रेरित किया अप्पो दीप भव:। उन्होंने कहा कि यह अंतर्निहित अच्छाई है, जो मानवता में मौजूद है, जो उसके करियर की सर्वश्रेष्ठ गाइड बन सकती है।
प्रधानमंत्री ने हाल में केन्द्र सरकार के सभी सचिवों को दी गई अपनी उस सलाह का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे उस स्थान का दौरा करें, जहां उनकी पहली तैनाती हुई थी और देखें कि वहां क्या बदलाव आया है, चाहें वे अपने करियर में प्रगति क्यों न कर लें। उन्होंने प्रोबेशनरों से कहा कि आईएएस के सुनिश्चित करियर से उन्हें आत्म संतुष्ट नहीं होना चाहिए। वे अपने बारे में कोई भी राय अपने पद से नहीं बनाएं, बल्कि इस बात से बनाएं कि गरीबों का जीवन बनाने में वह क्या कुछ कर पायें। प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत सी नौकरियां जिनकी पेशकश भारत सरकार कर रही है, उसी तरह की नौकरियां निजी क्षेत्र भी दे रहे है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार में इस तरह की नौकरियां देने वाले अधिकारी सेवाओं की गुणवत्ता के बारे में राय बनाते समय उस श्रेणी और यहां तक की अंतर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक सर्वश्रेष्ठ मानदंडों का इस्तेमाल करें।
पूर्वोत्तर के विकास और क्षेत्र में विमुखता की भावना समाप्त करने के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नीति नहीं, बल्कि रीति की समस्या है। उन्होंने कहा कि किसी समय देश के अन्य भागों के अधिकारी पूर्वोत्तर में तैनाती से बचते थे। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि पूर्वोत्तर में ढांचागत विकास की जरूरत है, ताकि देश के अन्य भागों के साथ सम्पर्क सुधारा जा सकें। उन्होंने कहा कि एक बार संरचनात्मक विकास होने पर पूर्वोत्तर प्रगति कर सकेगा।
एक अन्य सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका दृढ़ मत है कि 21वीं सदी भारत की होगी और भारत विश्व गुरू के स्थान तक पहुंचेगा। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि दुनिया ने एक बार फिर भारत की तेज आर्थिक विकास दर पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
रक्षा तैयारियों के बारे में पूछे गये प्रश्न के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बहुआयामी दृष्टिकोण जरूरी है, जिसमें सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध और घरेलू रक्षा निर्माण क्षमता बढ़ाना शामिल है।