प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज पठानकोट में आतंकवादी हमले की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि मानवता के दुश्मन जो राष्ट्र की प्रगति को नहीं देख सकते, उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है। आतंकवादियों के मंसूबों को सफलतापूर्वक नाकाम करने के लिए उऩ्होंने सशस्त्र बलों का अभिनन्दन किया और कार्रवाई के दौरान प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें जवानों और सुरक्षा बलों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि देश इन शत्रुओं के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है और इसलिए उनके नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। प्रधानमंत्री ने मैसूर के महाराजा कॉलेज ग्राउंड में श्री सुत्तूर मठ के परम पूज्य जगतगुरू डॉ. श्री शिवराथरी राजेन्द्र महास्वामीजी के शताब्दी समारोह के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए ये उद्गार व्यक्त किए।
इससे पहले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज मैसूर पहुंचे। कर्नाटक के राज्यपाल श्री वजुभाई वाला और कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धारमैया ने मैसूर हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की।
प्रधानमंत्री ने अवधूत दत्त पीठम का दौरा किया, जहां उन्होंने परम पूज्य श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामीजी से भेंट की। वह दत्त मंदिर गए और उन्हें पीठम सम्मान प्रदान किया गया। वहां उपस्थित जन-समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के ऋषियों-मुनियों और संतों ने समाज के लिए बहुत कार्य किये हैं, जिन्हें पूरी तरह सराहा नहीं गया है। इस संदर्भ में उन्होंने अवधूत दत्त पीठम के कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री वजुभाई वाला उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने मैसूर के महाराजा कॉलेज ग्राउंड में श्री सुत्तूर मठ के परम पूज्य जगतगुरू डॉ. श्री शिवराथरी राजेन्द्र महास्वामीजी के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर ज्ञान अनुसंधान केन्द्र की आधारशिला रखी। विशाल जन-समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संत बसेश्वर जी ने सदियों पहले समाज सुधार का रास्ता दिखाया था। उन्होंने याद किया कि उन्हें हाल ही में लंदन में श्री बसेश्वर जी की प्रतिमा का अनावरण करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय समाज बहुत विलक्षण है, क्योंकि यहां समाज में सुधार लाने के लिए और सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए समय-समय पर समाज सुधारक पैदा होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि 18वीं और 19वीं शताब्दी के समाज सुधार आंदोलनों ने ही 20वीं सदी में भारत के सफल स्वाधीनता संग्राम की बुनियाद रखी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी, ज्ञान की सदी है और इस सदी में जो देश ज्ञान और नवाचार पर ध्यान केन्द्रित करेगा, वही दुनिया का नेतृत्व करेगा। उन्होंने ज्ञान अनुसंधान केन्द्र की पहल के लिए जगतगुरू डॉ. श्री शिवराथरी राजेन्द्र महास्वामीजी की सराहना की।
प्रधानमंत्री पेरिस में हाल ही में संपन्न सीओपी 21 की बैठक और ‘मिशन नवाचार’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की पहल को याद किया, जिसमें भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई।
इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री वजुभाई वाला, कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धारमैया और केन्द्रीय मंत्री श्री अनंत कुमार तथा श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा भी उपस्थित थे।
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