प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को प्राथमिकता देते हुए केन्द्र सरकार ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं।
वे आज त्रिपुरा के पलाताना में ओएनजीसी त्रिपुरा कंपनी लिमिटेड पावर प्लांट की दूसरी इकाई को राष्ट्र को समर्पित करने के पश्चात् लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे संयंत्रों से जुड़ी परियोजनाओं के जरिए पूर्वोत्तर राज्यों के युवाओं को अधिक रोजगार मिल सकेगा।
श्री मोदी ने कहा कि संभवत: यह पहला मौका है कि एक प्रधानमंत्री को पूर्वोत्तर के लोगों के बीच लगातार तीन दिन तक रहने का शुभ अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के जिन चार राज्यों का दौरा किया और वहां के लोगों ने उनके प्रति जो प्यार और अपनापन दर्शाया, इसके लिए वे सदा उनके आभारी रहेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में उनका पहला समारोह ''गति'' (कनेक्टिविटी) था और यहां पलाताना में आज अंतिम समारोह ''ऊर्जा'' को समर्पित है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए गति और ऊर्जा दोनों की जरूरत है। साथ ही दिशा की भी जरुरत होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी वजह से हमने 'लुक ईस्ट पॉलिसी' को 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' में परिवर्तित कर दिया है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने म्यांमार में एक आर्थिक कॉरिडोर की स्थापना करने के लिए जापान के साथ एक समझौता किया है। इस कॉरिडोर से पूर्वोत्तर में रोजगार के और ज्यादा अवसर मुहैया होंगे। उन्होंने कहा कि अब पूर्वोत्तर क्षेत्र पिछड़ा नहीं रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एशिया का द्वार होने के नाते इस सदी में इस क्षेत्र के विकास की काफी संभावनाएं हैं। इस सदी को एशिया की सदी कहा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र में आधुनिक बुनियादी ढांचा तैयार करने पर विशेष जोर दे रही है ताकि इस क्षेत्र की संभावनाओं को अमलीजामा पहनाया जा सके। पावर प्लांट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस संयंत्र में ग्रीन ऊर्जा के लिए तमाम अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाया गया है और इसके निर्माण में किया गया निवेश इस क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।
संयंत्र निर्माण के दौरान बांग्लादेश की मदद की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि यह पड़ोसी देश हमसे बिजली खरीदना चाहे तो हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि 1971 के मुक्ति आंदोलन के दौरान बांग्लादेश के लोगों के साथ त्रिपुरा के लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया था। उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को उपकरणों की आवाजाही में मदद के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि ऐसे सहयोग से पूरे सार्क क्षेत्र में एक अच्छा संदेश गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह प्लांट पूर्वोत्तर राज्यों के आपसी सहयेाग को भी बखूबी दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय तिरंगे के चार रंगों का जिक्र किया और कहा कि वह आने वाले समय में देश में चार क्षेत्रों में क्रान्ति चाह रहे हैं। कृषि में दूसरी हरित क्रान्ति की जरुरत है और इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने उपायों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने दूध और पशुपालन क्षेत्र के लिए श्वेत क्रान्ति, नवीन ऊर्जा के साथ ऊर्जा के विकास के लिए केसर क्रान्ति और मत्स्य और समुद्री उत्पाद विकास के लिए नीली क्रान्ति की बात कही।