"We must once again accord high respect to teachers, to regain the status of Vishwaguru"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ‘शिक्षक दिवस’ पर देश के शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।

सभी शिक्षकों को ई-मेल के जरिये भेजे संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा है, “शिक्षण महज एक पेशा नहीं है, बल्कि यह मार्ग दर्शन और ज्ञान प्रदान करने का अनुपम दैविक दायित्व भी है।” उन्‍होंने कहा, ‘शिक्षक समुदाय का सम्‍मान कर भारत ने एक समय विश्व गुरु होने का दर्जा हासिल किया था। यही दर्जा दोबारा पाने के लिए हमें एक बार फिर शिक्षकों को वैसा ही उत्‍कृष्‍ट सम्मान देना होगा ताकि भारत समस्त विश्व में ज्ञान का प्रकाश स्तम्भ बन सके।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवर्तन के चक्र ने भारत को ‘सुराज’ की ओर अग्रसर कर दिया है। उन्‍होंने कहा, ‘आपकी प्रतिबद्धता और ईमानदारी से ही देश का भविष्‍य बेहतर आकार ले पाएगा! मैं बड़ी बेसब्री से यह चाहता हूं कि वह दिन आए, जब प्रत्‍येक छात्र अपने शिक्षकों पर और प्रत्‍येक शिक्षक अपने छात्रों पर गर्व महसूस करें।’

प्रधानमंत्री ने कहा, “अपने विद्यार्थियों के साथ साझा किये गये आपके अनुभव विद्यार्थियों के साथ आजीवन रहेंगे। आप समाज की आधारशिला रखने के साथ-साथ उसका निर्माण भी कर रहे हैं। यह बहुत महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी है, क्‍योंकि इसी पर यह निर्भर करता है कि हमारी वर्तमान और हमारी आने वाली पीढ़ी कैसे आगे बढ़ेगी।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में अक्‍सर ज्ञान की तुलना सूचना एकत्र करने और व्‍यवसाय तथा नौकरी के लिए कौशल दक्षता हासिल करने से की जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “बेशक, वह महत्‍वपूर्ण है लेकिन यह भी जरूरी है कि आप अपने विद्यार्थियों की सोच को व्‍यापक बनाएं। उन्‍हें उत्‍साहित करें कि वे अपने देश, समाज तथा पर्यावरण संबंधी विषयों के बारे में व्‍यापक दृष्टि से सोचें। निश्चित तौर पर हमारा लक्ष्‍य अच्‍छे नागरिक बनाना होना चाहिए, जो अतीत को संजोकर रखने तथा बेहतर भविष्‍य का निर्माण करने में सक्षम हों।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “बाल्यावस्था से ही अच्‍छी नागरिकता की शिक्षा देने से निश्चित तौर पर बेहतर समाज के निर्माण में मदद मिलेगी। यह यातायात नियम, साफ-सफाई, महिलाओं के प्रति संवेदना, गरीबों के प्रति चिंता और बड़ों के लिए आदर सिखाने जैसी बेहद सरल बातें हैं। मुझे आशा है कि इस शिक्षक दिवस पर इस दिशा में शुरुआत के लिए मैं आप पर भरोसा कर सकता हूं। आइये, हम सब अपने आपको इस अहम जिम्मेदारी एवं कर्तव्‍य के प्रति फिर से समर्पित करें।”