"PM: Teaching is a "jeevan dharm" – way of life. It is not a profession or job"
"PM: Teachers should be two steps ahead of time – anticipate change and prepare the new generation for it "

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्‍या पर आज अपने आवास पर करीब 350 पुरस्‍कृत शिक्षकों के साथ अनौचारिक रूप से बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘शिक्षा देना’ कोई नौकरी या पेशा नहीं है, बल्कि यह ‘जीवन धर्म’ है। उन्‍होंने कहा कि एक शिक्षक कभी सेनानिवृत्‍त नहीं होता बल्कि नई पीढ़ी को सीख देने के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहता है।

शिक्षकों ने अनौपचारिक बातचीत में उत्‍साहपूर्वक हिस्‍सा लिया और शिक्षा के विभिन्‍न पहलुओं तथा अच्‍छे शिक्षकों के अपरिहार्य गुणों के बारे में अपने विचार व्‍यक्‍त किए।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर समाज को तरक्‍की करनी है, तो शिक्षकों को हमेशा समय से दो कदम आगे रहना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि शिक्षकों को विश्‍व में हो रहे बदलाव को समझने की आवश्‍यकता है और नई पीढ़ी में उत्‍सुकता पैदाकर उन्‍हें इन बदलावों के लिए तैयार करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वे पहली बार गुजरात के मुख्‍यमंत्री बने थे, तब उनकी दो अभिलाषाएं थीं- उनके विद्यालय के सभी मित्रों और उन्‍हें पढ़ाने वाले शिक्षकों से मुलाकात करना। उन्‍होंने संतोष व्‍यक्‍त किया कि उनकी दोनों अभिलाषाएं पूरी हुईं।

प्रधानमंत्री ने देश की नई पीढ़ी को तराशने में शिक्षकों के प्रयास के लिए उन्‍हें शुभकामनाएं दीं।

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