प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नीति आयोग में जाने-माने अर्थशास्त्रियों के साथ विचार-विमर्श किया। यह प्रधानमंत्री का नीति आयोग में पहला दौरा था।
प्रधानमंत्री ने अपने उदघाटन भाषण में यह बात रेखांकित की कि नीति आयोग का एक मुख्य उद्देश्य ऐसा गतिशील संस्थागत ढांचा बनाना है, जिसमें सरकारी प्रणाली के बाहर रहने वाले प्रख्यात व्यक्ति भी नीति निर्माण में योगदान कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने विचार-विमर्श के लिए सकारात्मक माहौल बनाते हुए सहकारी संघीय व्यवस्था कायम करने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही यह भी कहा कि वह विकास के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के पक्ष में हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य से लाभ उठाते हुए भारत को तेजी से विकास करना चाहिए, ताकि देश आम जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतर सके। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए विभिन्न कदमों का भी जिक्र किया। इनमें प्रधानमंत्री जन धन योजना, एलपीजी सब्सिडी का प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण और स्वच्छ भारत मिशन प्रमुख हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह प्रख्यात लोगों के साथ विचार-विमर्श एवं उनसे सुझाव आमंत्रित करने को लेकर आशान्वित हैं।
इस मौके पर वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली और नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री अरविंद पनगढि़या ने भी संक्षिप्त भाषण दिए।
अनेक जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने विचार-विमर्श में भाग लिया। श्री विजय केलकर, श्री नितिन देसाई, श्री बिमल जालान, श्री राजीव लाल, श्री आर. वैद्यनाथन, श्री सुबीर गोकर्ण, श्री पार्थसारथी शोम, श्री पी. बालाकृष्णन, श्री राजीव कुमार, श्री अशोक गुलाटी, श्री मुकेश बुटानी और श्री जी.एन. बाजपेयी भी इन अर्थशास्त्रियों में शामिल थे।
अर्थशास्त्रियों ने विशेष जोर देते हुए कहा कि सरकार को तेज विकास सुनिश्चित करने, अनुमान के अनुरूप कर व्यवस्था कायम करने, राजस्व की हालत दुरुस्त करने और त्वरित ढांचागत विकास के लिए प्रयास करने चाहिए। इस अवसर पर अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में बड़ी संख्या में सुझाव भी दिए गए।
नीति आयोग के सदस्य श्री बिबेक देबरॉय और इसके सीईओ डॉ. वी के सारस्वत ने भी बैठक में शिरकत की। कैबिनेट सचिव, वित्त मंत्रालय में सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार और पीएमओ तथा नीति आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।