प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 14 से 19 नवंबर 2014 के दौरान ऑस्ट्रेलिया यात्रा से पहले ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट ने ब्रिस्बेन में जी-20 शिखर वार्ता के एजेंडे पर चर्चा के लिए आज सुबह प्रधानमंत्री को फोन किया। प्रधानमंत्री एबट ने ये भी कहा कि वो तथा ऑस्ट्रेलिया की जनता प्रधानमंत्री मोदी की ऑस्ट्रेलिया के चार शहरों की द्विपक्षीय यात्रा का उत्सुकता के साथ इंतजार कर रहे हैं।
 
प्रधानमंत्री एबट ने प्रधानमंत्री मोदी को खासतौर से वैश्विक आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन में तेजी लाने के उनके विजन को साझा करने के लिए आमंत्रित किया है, जो राज्य स्तर पर सुधारों और विकास को लेकर उनके अनुभवों तथा भारत के लिए उनकी योजनाओं पर आधारित होगा। प्रधानमंत्री एबट ने जी-20 में ऑस्ट्रेलिया की ढांचागत पहल के लिए भी प्रधानमंत्री का सहयोग मांगा।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री एबट द्वारा उनकी ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने के लिए उनकी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री एबट द्वारा मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में उनके सम्मान में एक विशेष भोज की मेजबानी करने के लिए खासतौर से उनका धन्यवाद अदा किया। प्रधानमंत्री ने अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा से जुड़े महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इससे उन रिश्तों में गुणात्मक बदलाव आएगा, जिसे वो बहुत महत्व देते हैं।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए एक सार्थक एजेंडा तैयार में प्रधानमंत्री एबट की अग्रणी भूमिका के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि ब्रिस्बेन शिखर सम्मेलन सर्वाधिक यादगार जी-20 शिखर सम्मेलनों में एक होगा, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक नई गति प्रदान करेगा। वैश्विक आर्थिक समन्वय के लिए जी-20 को एक महत्वपूर्ण फोरम बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वो अपने पहले जी-20 शिखर सम्मेलन को उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री एबट की प्राथमिकताओं को पूरा समर्थन देने की पेशकश की। 
 
प्रधानमंत्री मोदी ने 'रोजगाररहित विकास' की आशंकाओं पर अपनी चिंता जताई और कहा कि वो महसूस करते हैं कि रोजगार पैदा करने वाले आर्थिक विकास के लिए लोगों के जीवन को बेहतर बनाने पर फोकस होना चाहिए, न कि सिर्फ वित्तीय बाजारों की सेहत जैसे मुद्दों पर। 
 
उन्होंने ये सुझाव भी दिया कि ढांचागत वित्तपोषण के लिए वित्तीय प्रवाह को बढ़ावा देने के अलावा बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक इनोवेटिव प्रणाली के बारे में विचार करने की जरूरत है। इसमें कचरे को ढांचागत कच्चे माल में बदलने के बारे में शोध और सूचनाओं के आदान-प्रदान, मार्गदर्शन, अवसरों की पहचान और प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल सेंटर की स्थापना शामिल है। ऐसे करने से गरीब देशों को भी फायदा मिलेगा।