सरकार का केवल एक धर्म है - इंडियाफर्स्ट (भारत सर्वोपरि)!

सरकार की केवल पवित्र पुस्तक है - संविधान।

सरकार को केवल एक भक्ति में लीन रहना होगा भारतभक्ति !

सरकार की केवल एक शक्ति हैजनशक्ति !

सरकार का सिर्फ एक संस्कार है -125 करोड़ भारतीयों की कुशलता!

सरकार की एक ही आचार संहिता होनी चाहिए सबका साथ, सबका विकास!

: नरेन्‍द्रमोदी

स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा कोई भी राजनेता नहीं हुआ है, जिसने सर्व समावेशी एकता का ऐसा ज़बर्दस्त और परिपक्व संदेश दिया हो।

नरेन्‍द्र मोदी भारत में होने वाले सामान्य राजनीतिक संवाद से काफ़ी आगे निकल गए हैं। भारत में राजनीतिज्ञ अक्सर एक समूह की भावनाएं दूसरों के ख़िलाफ़ भड़काकर वोट बैंक को पाला-पोसा करते हैं। वहीं कुछ नेता एक धर्म को दूसरों के ख़िलाफ़ और कई नेता एक जाति को दूसरों के ख़िलाफ़ खड़ा करते हैं। कुछ राजनीतिक दल औद्योगिक विकास के ख़िलाफ़ जन भावनाएं भड़का कर चुनाव के दौरान उसका लाभ उठाते हैं।

ऐसे समय में , नरेन्‍द्र मोदी के विचारों ने नए विचारों का संचार करते हुए एकता के सही मायने पर बहु-प्रतीक्षित विकल्प प्रस्तुत किया। नरेन्‍द्र मोदी एकता और समावेशन के दूत बनकर उभरे हैं और उन्होंने गुजरात में दिखा दिया है कि उनके शब्दों को कैसे मूर्त रूप दिया जा सकता है ।

कार्यालय में उनके कार्यों, उनकी नीतियों और उनके भाषणों में हर जगह सबका साथ, सबका विकास संदेश गुंजायमान होता है। सबसे अहम बात ये है किउन्होंने इस मिथक को तोड़ा है कि एक जाति, समुदाय, धर्म, गांव, शहर या सेक्टर का विकास दूसरे की कीमत पर होता है। उन्होंने दिखा दिया है कि किसी का विकास, उन्नति और प्रगति दूसरे की कीमत पर नहीं होनी चाहिए, बल्कि विकास की प्रक्रिया में सबको शामिल करना चाहिए।

इस बीच एक बड़ी घटना अक्टूबर 2013 को उस समय घटीजब वह पटना में हुंकार रैली को संबोधित करने गए थे। उनका भाषण शुरु होने ही वाला था कि ऐतिहासिक गांधी मैदान में बम फूटने लगे। कोई अन्य नेता होता तो विचलित हो जाता या आतंकी योजना के ख़िलाफ़ भारी भीड़ को उकसाता। उस समय कोई भी तैयार भाषण काम नहीं आता। ऐसे हालात में नरेन्‍द्र मोदी ने दिल से अपनी बात रखते हुए हिंदुओं और मुसलमानों को एक शांति और एकता का दमदार संदेश दिया। उन्होंने आह्वान किया कि हिंदू और मुसलमानों को एक दूसरे से लड़ने की बजाय मिलकर गरीबी से लड़ना होगा। देश ऐसे ही आगे बढ़ेगा।

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नरेन्‍द्र मोदी की सफलता के मूल में उनका पंचामृत दर्शन है। इस दर्शन के केंद्र में सर्वांगीण विकास के लिए एक दूरदृष्टि है। पंचामृत पांच विभिन्न धाराओं का समन्वय है, जो विकास को बल देती हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में समग्र और दीर्घकालीन विकास के लिए ज़रूरी ज्ञान, जल, ऊर्जा, सुरक्षा और मानव संसाधन की पंच शक्ति का यह संगम बेजोड़ विकास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार में काफ़ी कारगर रहा है। सबका साथ, सबका विकास के मंत्र और पंचामृत दर्शन का मिलन ही नरेन्‍द्र मोदी के सुशासन मॉडल की नींव का पत्थर है ।

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विकास का नरेन्‍द्र मोदी का मॉडल अनोखा है, क्योंकि वह असमानता या विरोधाभासी ज़रूरतों के बीच विवाद पैदा नहीं करता है। जहां उनका मॉडल शहरीकरण को खतरे के बजाये अवसर मानता है, वहीं शहरी क्षेत्रों में जीवन के आधुनिकीकरण और सुधार के लिए प्रावधान भी करता है। इसी तरह, गुजरात ने जहां एक ओर औद्योगिक विकास व निवेश परफोकस किया वहीं कृषि तथा किसानों पर भी विशेष ध्यान दिया। जहां छोटे व बड़े नि‍जी उद्यम व्यवसाय-अनुकूल परिवेश में पनपे, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का भी कायापलट हुआ। नरेन्‍द्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात का जीडीपी विकास काफ़ी बढ़ा, वहीं सामाजिक सूचकाकों में भी बेहतर सुधार देखने को मिला। टेक्नोलॉजी को महत्व दिया गया और साथ ही जनोन्मुख कौशल विकास पर भी बहुत ज़ोर दिया गया।

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इसी तरह गुजरात में सभी जातियों, पंथों व अल्पसंख्यकों तथा समाज के वंचित वर्गों सहित सभी धर्मों के लोगों ने नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में विकास किया है।

यह मॉडल अनोखा और अनुकरणीय है, क्योंकि यह भेदभाव व पूर्वाग्रह के दोषों से मुक्त है। जब सभी को समान महत्व और अवसर मिलेगा, तो निश्चित रूप से इसका परिणाण एक समतामूलक और स्वस्थ्य समाज के निर्माण के रूप में सामने आएगा।

 

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