गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पद्म विभुषण कत्थक नृत्यकार पंडित बिरजु महाराज के 75 वें वर्ष की जन्म जयंती के अमृत पर्व पर उनका अभिवादन करते हुए आज कहा कि बिरजु महाराज की 6 दशक की अविरत नृत्य साधना वन लाइफ वन मिशन है। उन्होंने कहा कि भारत की नृत्य कला साधना योग से भी एक कदम आगे है ,यह शरीर, बुद्धि, मन और उससे भी आगे बढ़कर भावना को जोड़ती है और यही सम्पूर्ण अनुष्ठान है।।
अहमदाबाद में संगीत- नृत्य संबंधी महानुभावों की उपस्थिति में आयोजित सम्मान समारोह में श्री मोदी ने पंडित बिरजु महाराज के काव्य संपुट “अनुभूति” का विमोचन भी किया। श्री मोदी ने पंडित बिरजु महाराज की छ: से अधिक दशक की शास्त्रीय नृत्य साधना को “वन मिशन वन लाइफ” करार दिया।
भारतीय नृत्य संगीत की महान विरासत 1200 वर्ष के गुलामी कालखंड की वजह से राज परिवारों तक सीमित रह गई थी। अंग्रेजों को तो यह विरासत आंखों में खटकती रही मगर कई राज परिवारों ने इसका संरक्षण भी किया।
हम हजारों वर्षों से इतने आगे और विचारवान थे कि कोई मन्दिर नृत्य मंडप के स्थापत्य बगैर नहीं था। नृत्य को ईश्वर के साथ जोड़ने का आध्यात्मिक मार्ग भारत ने अपनाया है। विश्व के पास हमारे जैसी विरासत जिसी मिसाल नहीं है। श्री मोदी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने पल-पल संध्या प्रभात के संगीत, नृत्य की शिक्षा- दीक्षा की विरासत प्रदान की है। हमें इस विरासत का विश्व में गौरव करना है।
आज विश्व उनकी समस्याओं के कारण योग से प्रभावित हुआ है परंतु पश्चिम का संगीत तन को डोलाता है और भारतीय संगीत मन को डोलाता है। हमारी इस विरासत का संरक्षण करने वाले ऐसे साधक ,तपस्वी हमारे सामाजिक संस्कारों की मिसाल भी हैं।
इस अवसर पर पंडित बिरजु महाराज ने कहा कि ताल-स्वर ही ईश्वर का नाम है। भारत का नाम रौशन करे ऐसी निरंतर खोज ही मेरा जीवनमंत्र है और मैं बालकों को भी यही सिखाता हूं। विश्व प्रसिद्ध द्वारिका गुजरात में है इसलिए ही गुजरात के प्रति मुझे अपार श्रद्धा है। कार्यक्रम में पंडित ईश्वर प्रसाद चौरसिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर कुमुदिनी बेन लाखिया,शास्वति सेन,युवक, सेवा और सांस्कृतिक मामलों के सचिव भाग्येश झा, साल हॉस्पिटल के मेनेजिंग ट्रस्टी राजेन्द्र शाह और नृत्य कलाप्रेमी उपस्थित थे।