बेमिसाल है हिन्दुस्तान की संतशक्ति की समाज सेवाः श्री मोदी
संत देवीदास की पावनभूमि में लाखों भक्तों की मौजूदगी में लोक उत्सव में सहभागी बनें मुख्यमंत्री
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज अषाढ़ी दूज के पवित्र पर्व के अवसर पर गिरनार की गोद में संत देवीदास की पावन भूमि परबधाम में आयोजित लोक उत्सव में सहभागी बनते हुए हिन्दुस्तान की संतशक्ति की समाज सेवा, संस्कार और मानव धर्म को बेमिसाल बताया और कहा कि दुनिया को भारत की संत परंपरा की गरिमा का साक्षात्कार कराना चाहिए।जूनागढ़ जिले की भेंसाण तहसील में संत देवीदास और अमर मां की दैवीय भूमि में करशनदास बापू की प्रेरणा से आयोजित अषाढ़ी दूज महोत्सव में विराट संख्या में भाविक भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा था। श्री मोदी ने परबधाम के नवनिर्मित विजय द्वार का लोकार्पण करने के बाद भक्ति-भाव से मंदिर में पूजा-अर्चना की और उपस्थित जनसमूह तथा करशनदास बापू का अभिवादन किया।
देश की गुलामी के कालखंड में फैले झूठ की भूमिका पेश करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के साधु-संतों को लेकर ऐसी विकृत छवि निर्मित कर दी गई है जिसमें उन्हें आटे-पानी और लड्डू के सिवाय अन्य प्रवृत्तियों से दूर बताया गया है। दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी एक वर्ग समाज में ऐसी भ्रामक मान्यता फैला रहा है, लेकिन परबधाम जैसे सेवा तीर्थों के संतों ने सेवा के धर्म के साक्षात्कार कराया है।
अषाढ़ी दूज के परम महात्म्य का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा की सेवा के महर्षि देवीदास के परबधाम में सेवा तीर्थ में आने का सौभाग्य मिला तथा संतों का आशीर्वाद मिला।
उन्होंने कहा कि परबधाम के संत देवीदास ने रक्त पित (कोढ़) के मरीजों की सेवा का महायज्ञ किया और कोढ़ के रोगियों को लेकर व्याप्त अंधश्रद्धा के खिलाफ जागृति पैदा की जिससे तत्कालीन समाज शिक्षित हुआ। इसके बाद तो महात्मा गांधी जी और उनके सेवाभावी अनुयायियों ने कोढ़ियों की मानवसेवा का अभियान चलाया। कोढ़ के अस्पताल में ताला लगने के गांधी जी के स्वप्न को साकार करने के लिए वर्तमान सरकार ने गुजरात में प्रति 10,000 में से एक रोगी का लक्ष्य निर्धारित किया, जो सामाजिक चेतना के जरिए संभव हो सका। अब गुजरात में कोढ़ के मरीजों के लिए समाज में नफरत का वातावरण नहीं है बल्कि उनके उपचार की व्यवस्था समाज ने अपने कंधों पर ली है। संत देवीदास जैसे अनेक संतों-महंतों की सेवाप्रवृत्तियों ने समाज सेवा, शिक्षा, संस्कार और स्वास्थ्य सेवाओं के साथ माता का गौरव तथा बेटियों की शिक्षा का अभियान चलाया है।
हमारी इस संतशक्ति की दुःखियों की सेवा, मानव सेवा और मूक पशुओं की सेवा की मिसाल ऐसी है जो हिन्दुस्तानी संस्कृति की एक नई छवि दुनिया के समक्ष रखती है। आजादी की जंग में भी संतशक्ति द्वारा भक्ति आंदोलन के जरिए समाज-चेतना का अनोखा अभियान चलाए जाने का गौरवपूर्वक जिक्र करते हुए श्री मोदी ने विश्वास जताया कि समाज के सुख में सुखी और दुःख में दुःखी ऐसे हमारे संत-महंतों के समाज सेवा के संस्कार तपस्वी संतों की प्रेरणा से मिलते रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परबधाम में दर्शन के लिए लाखों भाविक भक्तों के आगमन के बावजूद समग्र तीर्थधाम में स्वच्छता और अनुशासन का स्वयं व्यवस्थापन एक अद्भुत मिसाल पेश करता है।
परबधाम के महंत श्री करशनदास बापू ने मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को आशीर्वाद दिया कि वे शासन में रहते हुए और भी ज्यादा सेवा करें। महंत श्री भारती बापू ने कहा कि परबधाम में संत देवीदास द्वारा शुरू की गई सेवा की परंपरा आज भी बरकरार है, इस सेवा परंपरा ने सौराष्ट्र को गौरवांवित किया है। चांपरडा के महंत श्री मुक्तानंद बापू ने कहा कि 300 साल पूर्व संत देवीदास ने बिना किसी जाति-धर्म के भेदभाव के सेवा यज्ञ का प्रारंभ किया था, जो आज भी अहर्निष जारी है। उन्होंने उपदेश कम और सेवाकार्य ज्यादा किए थे, समाज में सद्भावना के सेतु का निर्माण किया था। उन्होंने आत्मशक्ति को जागृत कर सृजनात्मक कार्य करने का युवाओं से आह्वान किया था।
बीकानेर के महंत श्री लालबापू ने कहा कि किसी भी कार्य में समर्पण भाव का होना जरूरी है। समर्पण भाव के कारण ही श्रद्धाभाव जागृत होता है, और यही आध्यात्मिकता है। तोरणिया के महंत श्री राजेन्द्र बापू ने स्वागत भाषण में राजशक्ति के माध्यम से सर्वलोक के सुखी होने का आशीर्वाद दिया।
इस अवसर पर राज्य मंत्री गोविंदभाई पटेल, सत्ताधार के श्री विजय बापू, पंजाब के श्री दोलत गिरी बापू, श्री दानेव बापू, श्री विवेकसागर स्वामी, जूनागढ़ के माधवप्रियदास जी स्वामी, विधायक सर्वश्री महेन्द्रभाई मशरु, अरविंदभाई लाडाणी, नलिनभाई कोटड़िया, जेडी सोलंकी, जयेश रादड़िया, राजेश चुडास्मा, गोवा के विधायक किसन शंकर, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दिवीबेन बारैया, पूर्व मंत्री कनुभाई भालाळा और श्रीमती जसुमतिबेन कोराट सहित विशाल संख्या में भक्तजन उपस्थित थे।