"After ten years, the Government in Delhi is remembering the poor. Their motive is suspect: Shri Modi on Twitter"
"The Congress-led Government sitting in Delhi has burdened the people with price rise and what they are now doing is inflicting salt on their wounds: CM on Twitter"
"For the last ten years, Gujarat is providing the poor with wheat at Rs. 2/- and rice at Rs. 3/- through PDS. Is this not food security: CM on Twitter"

गरीब के पेट और गरीब की थाली का भी राजनीतिकरण करने का पाप केन्द्र सरकार कर रही है 

केन्द्र सरकार के बिल लाने के प्रस्ताव पर श्री मोदी ने उठाए सवाल

गुजरात सहित देश के सभी राज्यों ने उनके बजट में से गरीबों के घर चूल्हा जले और रोटी मिले इसकी व्यवस्था की ही है

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य सुरक्षा बिल लाने के केन्द्र सरकार के इरादों पर आक्रोश जताते हुए आज कहा कि दिल्ली में बैठी युपीए सरकार उसके पिछले दस वर्षों के शासन की विफलता से बचने और आगामी चुनावों को जीतने के लिए कोई ना कोई बहाने खोजती रही है। खाद्य सुरक्षा बिल लाने का उसका यह मलिन इरादा भी देश की जनता की आंखों में धूल झोंकने के समान है।

मुख्यमंत्री ने कहा की दिल्ली की केन्द्र सरकार का यह प्रयास महंगाई से त्रस्त और त्राहिमाम गरीब के घावों पर नमक छिड़कने के समान है। केन्द्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के सभी राज्य गरीब के घर चूल्हा जले, उनकी थाली में रोटी मिले इसके लिए हर तरह के प्रयास करते ही रहे हैं।

गुजरात ने पिछले दस वर्ष में गरीब परिवारों को सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के माध्यम से 2 रुपए किलो गेहूं और तीन रुपए किलो चावल देने की जो सुदृढ़ व्यवस्था की है, क्या यह खाद्य सुरक्षा नहीं है ? यह सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि अब इसको केन्द्र सरकार खुद के नाम पर चढ़ाकर कोई बड़ी क्रांति कर रही हो ऐसे गरीबों के पेट और गरीब की थाली का राजनीतिकरण कर रही है।

श्री मोदी ने सीधा सवाल प्रधानमंत्री को केन्द्र में रखकर उठाया कि 2004 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार सत्ता में आई और 2014 में जब लोकसभा चुनाव सामने नजर आए तब गरीबों की याद कैसे आई? वर्ष 2004 में जब अटलजी की एनडीए सरकार ने सत्ता छोड़ी तब गरीबों का पेट भरता था। उसकी थाली में रोटी होती थी मगर श्री मनमोहन सिंह की सरकार ने ऐसी अस्त व्यस्त सरकार चलाई कि गरीबों की थाली में आज रोटी नहीं है।

हिन्दुस्तान के गरीब से गरीब व्यक्ति को भी रोजी- रोटी मिलती रहे, उसकी थाली भरी हुई हो, पेट भरा हो इसके लिए राज्य सरकारों ने उनके बजट में से पहले से व्यवस्था रखी हो तो इस प्रकार का राजनैतिक खेल खेलना युपीए सरकार को शोभा नहीं देता।