कन्या केलवणी- शाला प्रवेशोत्सव का दूसरा दिन: श्री मोदी आणन्द में

गुजरात का आनेवाला कल ओजस्वी- तेजस्वी बनाना है

गुजरात का बालक शिक्षित, सशक्त और संस्कारी बने इसके लिए समाज उदासीनता छोड़े

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और बालकों के विकास के प्रति समाज की उदासीनता दूर करने के लिए राज्य सरकार ने पूरी ताकत लगा दी है। कन्या केलवणी और शाला प्रवेशोत्सव के 11 वें अभियान के दूसरे दिन आज मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही।

आणन्द जिले की सोजित्रा तहसील के देवा बांटा, बांटवा और मेघलपुर गांवों में घूमकर आज श्री मोदी ने प्राथमिक शिक्षा के लिए समाज की संवेदना को जगाने का कार्य किया।

ग्रामीणों के उमंग, उत्साह के अभूतपूर्व माहौल में तीनों गांवों की प्राथमिक शालाओं में जाकर प्राथमिक शाला और आंगनवाडियों में नये बालकों की प्रवेश विधि श्री मोदी ने की। जनभागीदारी से बालकों के आनन्द, प्रमोद के लिए खिलौनों, शैक्षणिक साधनों, विद्यालक्ष्मी बॉंण्ड, पुस्तकों और मिठाई का वितरण भी किया।

शाला के बालकों द्वारा मंच संचालन, योग निदर्शन और सांस्कृतिक प्रस्तुति का स्वागत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि बालकों में शक्तियों का भंडार है। राज्य सरकार ने प्राथमिक शालाओं में भी सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं मगर समाज, शाला और शिक्षक के बीच जीवंत नाता नहीं होगा तो तो बालक का विकास गतिशील नहीं होगा।

गुजरात के आनेवाले कल की चिंता करके बालक को सशक्त, शिक्षित और संस्कारी बनाएंगे। यह संकल्प व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ओजस्वी और तेजस्वी बचपन के लिए समाज को दायित्व निभाना होगा।

इन तीनों गांवों की प्राथमिक शालाएं 100 वर्ष से भी ज्यादा पुरानी हैं, इसके बावजूद समाज और अभिभावकों की उदासीनता के कारण इनका जन्मोत्सव नहीं मनाया जा सका है। इस पर दुख जताते हुए श्री मोदी ने कहा कि प्रति वर्ष शाला का जन्मोत्सव गांव की ओर से धूमधाम से मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शाला के शिक्षक चाहें तो शाला को उत्तम बनाया जा सकता है और शैक्षणिक प्रवृत्ति में बाल मानस की जिज्ञासावृत्ति जागे, ऐसे नित नये प्रयोग भी किए जा सकते हैं। अभिभावकों और गांव के नागरिकों के लिए गांव की प्राथमिक शाला गौरव होनी चाहिए।

कुपोषण के खिलाफ जंग में समाजशक्ति को प्रेरित करने के लिए मुख्यमंत्री ने गांव की डेयरी में गरीब बालकों के लिए दूध आहार के रूप में रखे जाने वाले भगवान के भागरूपी दूध का केन अर्पित किया।

श्री मोदी ने कहा कि गुजरात के गांवों में बालकों को खेल के मैदान में पसीना बहाकर सशक्त बनाने, योग- प्राणायाम से शारीरिक और बौद्धिक विकास करने, कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए जनता दायित्व निभाए तो गुजरात का बालक कमजोर नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि बालक का मात्र शैक्षणिक विकास ही नहीं बल्कि सर्वांगीण विकास करने की जागृति आवश्यक है।

कन्या शिक्षा के लिए दस वर्ष की तपस्या का यज्ञ फलिभूत हो रहा है, इसका उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भूतकाल की सरकारों ने महिला साक्षरता की उपेक्षा की थी जिसकी वजह से आज भी निरक्षर माता- बहनें शर्मिन्दा होती हैं। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि माताएं अपनी बेटी को शिक्षित बनाने में कोई कमी ना रखें।

मुख्यमंत्री ने अपनी निजी लाइब्रेरी में से तीनों गांवों के शालाओं में 5-5 पुस्तकें दान करते हुए कहा की गरीब के घर में सरस्वती आएगी तो उसके पीछे लक्ष्मीजी तो आएगी ही। गरीब के घर में सरस्वतीरूपी शिक्षा पहुंचाने की प्राथमिकता इस सरकार की है।

मुख्यमंत्री के साथ इस शैक्षणिक अभियान में आणन्द जिला पंचायत प्रमुख जशवंतसिंह सोलंकी, विधायक दिलीप पटेल और अन्य महानुभाव शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने मेघलपुर शाला में नये वर्गखंड का शिलान्यास भी किया।

इस अवसर पर पूर्व सांसद दीपक भाई पटेल, पूर्व उप सचेतक अम्बालाल रोहित, जिला प्राथमिक शिक्षा समिति के प्रमुख बिपिन भाई, विपुल भाई पटेल, जिलाधीश डॉ. कुलदीप आर्य, जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र अंसारी सहित कई जनप्रतिनिधि, अधिकारी और बालकों के साथ ही अभिभावक मौजूद थे।