ज एक ऐसे नए प्रोजेक्ट का हम लोकापर्ण कर रहे हैं जिसके कारण कई सारे डॉक्टरों की दुकानें बंद हो सकती हैं, ऐसा काम हम आज अहमदाबाद को दे रहे हैं। यह रिवरफ्रन्ट शहर की तबीयत के साथ साथ नागरिकों की तबीयत को भी सुधारेगा। मित्रों, ये आज पहला कार्यक्रम है रिवरफ्रन्ट के लोकापर्ण का, 'वॉक वे’ का लोकापर्ण है। इसका लोकापर्ण हो इससे पहले राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के आधे दर्जन से ज्यादा अवार्ड यह प्रोजेक्ट जीत चुका है। जो लोग गुजरात को बदनाम करते थे, दिन रात बस एक ही काम... आज के कार्यक्रम के बारे में आपने पढ़ा होगा, कैसी गंदगी का उपयोग किया है आपने देखा होगा ....।

भाइयों-बहनों, दो प्रोजेक्टों की मैं बात करना चाहता हूँ, नर्मदा योजना के लिए वर्ल्ड बैंक से हमने पैसे मांगे थे और वर्ल्ड बैंक ने यह कह कर नर्मदा परियोजना के लिए पैसा देने से मना कर दिया था कि यह प्रोजेक्ट ऍन्वाइरमॅन्ट फ्रेन्ड्ली नहीं है और इसके कारण ऍन्वाइरमॅन्ट को नुकसान पहुँचेगा। अपने विरोधियों, गुजरात विरोधियों ने जो हंगामा मचाया था, रोज सवेरे पत्र लिखना, इसके कारण वर्ल्ड बैंक ने इस प्रकार का कदम उठाया था। उस समय मैंने निर्णय किया कि वर्ल्ड बैंक की ऐसी की तैसी..! गुजरात अपने बलबूते पर यह करके दिखायेगा। लेकिन मुझे वर्ल्ड बैंक को जवाब देना था, उन्हें समझाना था कि हम हिन्दुस्तान के लोग पर्यावरण की कितनी चिंता करते हैं, मानवता की कितनी चिंता करते हैं और हमारी शर्तों पर तुम्हें झुकाएंगे। निवेदन नहीं किया था, निश्चय किया था..! और जब गुजरात में भूकंप आया, भूकंप के बाद फिर पुनर्निर्माण का जो काम हुआ, इस पुनर्निर्माण के काम के लिए, भूकंप के बाद यहाँ जो नए मकान बनाए गए उसके लिए पर्यावरण का, ऍन्वाइरमॅन्ट का वर्ल्ड बैंक का सबसे बड़ा 'ग्रीन अवॉर्डगुजरात ले आया, मित्रों..! 'ग्रीन मूवमॅन्ट’ किसे कहते हैं, ऍन्वाइरमॅन्ट किसे कहते हैं यह वर्ल्ड बैंक को हमने समझा दिया।

हाँ जब इस नदी के ऊपर हजारों की संख्या में झोपड़पट्टी बन गई थीं, कब्जा हो गया था, कई प्रकार की अवैध गतिविधियों का अड्डा बन चूका था। अब रीवर-फ्रन्ट बनाना हो तो उनका पुनर्वास भी कराना पड़े। चुपचाप सारे सर्वे कर लिए गए, सारी जानकारी एकत्र कर ली गई। हमारे कांग्रेस के मित्र हवन में हड्डियां डालने का एक भी मार्ग नहीं छोड़ते हैं। केवल मीडिया का प्रयोग करते हैं ऐसा नहीं, कोर्ट कचहरी में जाकर ऐसे अच्छे से अच्छे कामों को रूकवाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है मित्रों, कोई कसर नहीं रखी..! ये रिवर-फ्रन्ट नहीं बन सके इसके लिए दर्जनों बार स्टे लाने के लिए कोर्ट में गए हैं। इतना ही नहीं, ये मकान देने पर भी बखेड़ा खड़ा किया कि ये लडक़ा अब बड़ा हो गया है, इसे अलग से मकान दो, इसको ये दो, उसे वो दो... हजारों मकान बनाए गए, तो उसके लिए भी हंगामा मचा दिया। कोर्ट में उस हद तक याचिका दायर की कि ये मकान ऐसे हैं कि जिसमें कोई रहने जा ही नहीं सकता। झोपड़पट्टी में जिंदगी गुजारने वाले लोगों का फ्लॅट देने का निर्णय किया, फ्लॅट बनाए, फिर भी कोर्ट कचहरी की..! भाइयो और बहनों, यही कांग्रेस की सरकार दिल्ली में बैठी है। यहाँ कांग्रेस के लोग कोर्ट कचहरी करके, स्टे लाकर पूरे प्रोजेक्ट को रोकने के लिए प्रयास करते हैं और वही दिल्ली की कांग्रेस सरकार की 'हुडकोनाम की एजेंसी उत्तम कार्य के लिए अवॉर्ड दे..! हाउसिंग की उत्तम कारवाई की गई, पुनर्वसन का उत्तम काम किया, गरीब झोपड़पट्टी के लोगों को अच्छे से अच्छे घर दिए, जिसके लिए 'हुडको’ ने हमें अवॉर्ड भी दिया..!

भाइयो-बहनों, इस कांग्रेस के चरित्र को पहचानने की जरूरत है। यह देश गरीब क्यों रहा है इसके मूल में कांग्रेस की मानसिकता है, कांग्रेस की गरीब मनोवृत्ति है। आज सुबह मैं प्रधानमंत्री का भाषण सुन रहा था। रोज़ कोई बोलता हो तो कुछ खास सुनने की इच्छा नहीं होती, लेकिन बारह महीने में एक बार सुनने को मिले तो मन करता है कि भाई, हम सुनें तो सही, प्रधानमंत्री बोल रहे हैं..? मेरे लिए प्रधानमंत्री मौन खोल रहे हों वह बड़ी घटना थी। मैं जूनागढ़ में था, सवेरे खास तौर पर टीवी चालू करके मैंने उन्हें सुना। पढ़ रहे थे वो..! और वह भी हिन्दी में नहीं लिखा हुआ था, गुरूमुखी भाषा में लिखा हुआ था और हिन्दी में पढ़ रहे थे..! क्योंकि मैं बराबर देख रहा था, उन्होंने एक पन्ना पलटा इसलिए मुझे पता चला कि ये पीछे की ओर से पढ़ रहे हैं, इसका अर्थ यह है कि भाषा हिन्दी नहीं है। हिन्दी हो तो हम बाएं से दाएं जाते हैं, दाएं से बाएं तो... उर्दू हो तो ऐसे जाते हैं, गुरूमुखी होती है तो ऐेसे जाते हैं... जो भी हो, हमारी समझ में तो सब कुछ आ ही जाता है..! मित्रों, कांग्रेस पार्टी के नेता हैं डॉ. मनमोहन सिंहजी, यू.पी.ए. सरकार ने उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान किया है... वे अपने भाषण में ऐसा कहते हैं कि अपने देश में रोजगार बढ़े इसके लिए उद्योग लाना जरूरी है, विदेश से निवेश लाने की आवश्यकता है, इस देश में मूलभूत सुविधाएं बढ़ाने की आवश्यकता है... ये सब डॉ. मनमोहन सिंहजी ने आज सुबह बोला है। अभी भी टी.वी. पर आ रहा होगा, बीच-बीच में टुकड़े आते होंगे। यही कांग्रेस पार्टी के नेता मनमोहन सिंहजी दिल्ली से एक भाषण दे रहे हैं और उन्हीं के चेले चपाटे जो यहाँ गुजरात में बैठे हैं, कांग्रेस के मित्रों, वे विज्ञापन दे रहे हैं। वह विज्ञापन देखने जैसा है, पूरी तरह से मनमोहन सिंहजी से विपरीत, पूरा कांग्रेस का विज्ञापन मनमोहन सिंहजी के विरुद्ध है..! मनमोहन सिंहजी ये कह रहे हैं कि कारखाने आने चाहिए, विकास होना चाहिए, ऊर्जा का उत्पादन होना चाहिए, ये सब कहते हैं, जबकि गुजरात कांग्रेस का टीवी पर विज्ञापन यह कहता है कि हमें रोड नहीं चाहिए, हमें कारखाने नहीं चाहिए, हमें तो आधी रोटी मिल जाए तो भी चलेगा... देखा था न यह विज्ञापन..? मित्रों, आप ही मुझे बताओ, ये कांग्रेस आपको अठ्ठारहवीं शताब्दी में ले जाना चाहती है, आपको अठ्ठारहवीं सदी में जाना है..? ऐसी दरिद्र मानसिकतावाली विज्ञप्ति लेकर कांग्रेस आती है कि हमें रोड नहीं चाहिए, बोलिए... हमें कारखाने नहीं चाहिए, हमें बिजली नहीं चाहिए, हमारे बच्चों को पढऩे के लिए कॉलेज नहीं चाहिए, यूनिवर्सिटी नहीं चाहिए... बस, आधी रोटी दे दो तो काफी है..! इन साठ सालों में यही तो दिया है इन लोगों ने..! मैं कांग्रेस के विज्ञापन के जो इंचार्ज होंगे उन्हें बधाई देता हूँ कि आपकी असलियत तो सामने आई..! आप इससे आगे सोच भी नहीं सकते। इस देश के गरीब लोगों को महंगाई से बचाकर रोजी रोटी देने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार आपकी है। आप यह मंहगाई घटाते नहीं हो। आपने सौ दिनों में महंगाई हटाने की बात कही थी, आज भी गुजरात का गरीब इंसान, हिन्दुस्तान का गरीब इंसान इस दिल्ली की सल्तनत को पूछ रहा है कि आपने महंगाई घटाने का वादा किया था, हुआ क्या, इसका जवाब दो..! भाइयो और बहनों, नहीं दे सकेंगे।

भाइयो-बहनों, आज इस अहमदाबाद शहर के आंगन में रीवर-फ्रन्ट की रचना हुई है। इसका पहला चरण, इस वॉक-वे को आज लोकार्पित किया गया है। मैं चाहता हूँ कि समाज के सभी लोग अपने तदंरूस्ती के लिए इसका उपयोग करें। पर साथ-साथ, कांकरीया में जैसे अहमदाबाद के नागरिकों ने, गुजरात के नागरिकों ने मेरे अनुरोध का मान रखा है। उनको मैंने कहा था कि कांकरीया की स्वच्छता को कोई आंच नहीं आनी चाहिए, कांकरीया की एक भी चीज़ टूटनी नहीं चाहिए। भाइयो-बहनों, नए कांकरिया को बनाए हुए आज करीब पांच साल हो गए हैं, इस अहमदाबाद के नागरिकों ने एक भी वस्तु को टूटने नहीं दी, कचरे का कहीं नामोनिशान नहीं है..! भाइयों, इस रिवर-फ्रन्ट को भी ऐसा ही, हमें अपने घर की तरह ही स्वच्छ रखना है, साफ़-सुथरा रखना है। और एक बार यदि नागरिक तय कर लें कि हमें इसे अच्छा रखना है तो फिर इस कॉर्पोरेशन की ताकत नहीं है कि इसको गंदा कर सके..! यह कॉर्पोरेशन इसे गंदा नहीं कर सकती ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ। अगर इस शहर के नागरिक, इस राज्य के नागरिक तय कर लें कि इसको हमें स्वच्छ रखना है, किसी चीज को हमें टूटने फूटने नहीं देना है..! हमारे शहर की अमानत है, मित्रों। भले ही इस रिवर-फ्रन्ट का लोकापर्ण अहमदाबाद की धरती पर हो रहा है, परन्तु हकीकत में इस रिवर-फ्रन्ट का लोकापर्ण हिन्दुस्तान को हो रहा है। क्योंकि पूरे हिन्दुस्तान में यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जिसकी हमने शुरूआत की है। पूरे देश में कहीं नहीं है, मित्रों..! अभी आने वाले दिनों में हम ऐसी बस लाने वाले हैं कि जिसे ऊपर चलने वाली बस में ना जाना हो, तो वह एक छोर से दूसरे छोर तक पानी में चलने वाली बस में जाए..! ट्रांसपोर्टेशन के जितने भी साधन उपलब्ध हो सकते हैं, हमें उपलब्ध करवाने हैं। मैंने यंग दोस्तों को आकर्षित करने के लिए एक बार असितभाई से कहा था कि हम ‘फेसबुक फोटोग्राफी कम्पीटीशन’ करते हैं। और मैंने देखा कि 'फेसबुक फोटोग्राफी‘ में कितने सारे युवा भाग ले रहे हैं और उनकी ‘फेसबुक फोटोग्राफी’ कितनी रिट्विट हो रही है, कितनी व्यापक रूप में उसकी पब्लीसिटी हो रही है..! आज दुनिया में किसी एक प्रोजेक्ट को सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा देखा जाता हो तो वह ये रिवर-फ्रन्ट है। मैंने आज उनसे कहा कि हर सप्ताह का फेसबुक स्पर्धा में जो फोटो सर्वश्रेष्ठ आए उसे यहाँ प्रदर्शनी के लिए रखो, फिर हर महीने उत्तम आने वाले फोटो को प्रदर्शन में रखो और पूरे साल में जो बेस्ट फोटो साबित होगा उसे महंगी से मंहगी कार ईनाम में दी जाएगी, साढ़े छह लाख रूपये की काम उसे मिलने वाली है..! मोबाइल से फोटो लो, फोटो का प्रिंट भेजने की जरूरत नहीं है, सस्ते से सस्ता... बस, फोटो खींचों और मेल करो..! आपके मित्र देखें, लाइक करें, आगे भेजें... चारों तरफ चलता है फेसबुक का नेटवर्क। रिवर-फ्रन्ट पूरी दुनिया में नंबर एक पर आ सके ऐसी ताकत रखता है। अहमदाबाद के युवाओं, लग जाओ..!

भाइयों और बहनों, इस प्रकार की व्यवस्था शहर को ताजगी देती है, शहर में एक नई प्राणशक्ति पैदा करती है। ये अरबों-खरबों रूपये का जो खर्चा किया है वह इस शहर की जनता के लिए है, इन नौजवानों के लिए है, भावी पीढ़ी के लिए है। मित्रों, गुजरात को मानसिक दरिद्रता से बाहर लाने का एक भागीरथ प्रयास हमने किया है, इसके एक भाग के रूप में यह काम किया है। और आज इस रिवर-फ्रन्ट के काम के लिए इसके आर्किटेक्ट, इसके डिज़ाइनर... क्योंकि देश में पहली बार ऐसा कुछ हो रहा था, इसलिए सभी चीज़ें नए सिरे से करनी थीं। और नए सिरे से किए गए सभी प्रयोगों को हमने सफलता पूर्वक पूरा किया है तब आज पन्द्रह अगस्त के आजादी के अवसर की भी शुभकामनाएं और नए उपहार के लिए भी आपको शुभकामनाएं। मेरे साथ बोलिए...

भारत माता की जय...!!

उस पुल तक लोग हैं, आवाज वहां तक पहुँचनी चाहिए...

भारत माता की जय...!!

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