लंदन वेम्बली में “अमे गुजराती” बिजनस कल्चरल ईवेंट - गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का प्रेरक वीडियो संदेश
समाज और देश का ऋण चुकाने का कोई भी मौका हाथ से ना जाने दें
“अमे गुजराती” कहने के साथ ही सीना गर्व से चौड़ा होता है
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिटेन के लंदन में वेम्बली स्टेडियम में आयोजित होने वाले “अमे गुजराती ” बिजनस कल्चरल ईवेंट की सफलता के लिए वीडियो कांफ्रेंस केमाध्यम से शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अमे गुजराती कहते हुए सीना गर्व और स्वाभिमान से चौड़ा हो जाता है कि हम गुजरात को ऐसी ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।श्री मोदी का अक्षरस: वीडियो संदेश इस प्रकार है:
लंदन के वेम्बली स्टेडियम में 27 और 28 जुलाई को “अमे गुजराती ” मिलन समारोह को मेरी खूब खूब शुभकामनाएं देता हूं।
हम जब कहते हैं कि “अमे गुजराती ”, अमे गुजराती मतलब कौन? अमे गुजराती का मतलब है कि जो सर्व समावेशक हो, जो साहसी हो। गुजरात की धरती पर से सदियों पहले गुजराती दुनिया में निकल पड़े थे। दुनिया में जहां पहुंचा जा सके वहां गुजराती पहुंचे। वह सिर्फ रोजगार की तलाश में जाते थे, ऐसा नहीं है, साहस तो गुजरातियों के स्वभाव में है। अमे गुजराती कहते हैं तो इसका अर्थ यह है कि हमारी रगों में व्यवसाय, व्यापार, साहस, सदभाव सभी गुण हैं। गुजरातियों की खासियत यह है कि वह अपनेपन को छोड़ता नहीं है। आज दुनिया में किसी भी गुजराती परिवार में जाओ तो गुड़ वाली दाल खाने को मिलेगी ही और मिठास का अहसास भी होगा। हिन्दुस्तान के अन्य राज्यों के लोग जब विदेश में जाते हैं तब गुजरातियों के घरों में ही रहना पसंद करते हैं। इसकी वजह यह है कि उनके वहां बरसों बाद भी खुद के देश की अनुभूति होती है, गुजरात की अनुभूति होती है, यही गुजरातियों की खूबी है।
दूध में शक्कर मिल जाती है उसी तरह दुनिया के किसी भी देश में हम जाएं तो गुजराती वैसे ही मिला होता है। किसी के साथ विवाद हो, कलेश हो, तनाव हो ऐसा गुजराती के मामले में नहीं होता है। किसी समाज को गुजराती पसन्द ना हो ऐसा भी नहीं होता है।
हां, गुजराती वहां के सार्वजनिक जीवन में दखल देना पसन्द नहीं करते। वहां की राजनैतिक प्रवृत्तियों में वह कभी दखल नहीं देते, यही गुजरातियों की विशेषता है। हमारे यहां कहावत है कि व्यापारी बुद्धि के व्यक्ति हैं। व्यापारी बुद्धि के व्यक्ति मतलब अत्यंत व्यावहारिक व्यक्ति। उसमें कुशलता भी होती है और कुशाग्रता भी। इसी कुशलता, कुशाग्रता और कर्मठता को साथ लेकर गुजराती घूमते हैं। इसके परिणाम स्वरूप इसकी कठोर परिश्रम करने की मानसिकता भी है जो पेट पर पट्टा बांधकर भी जीवन का मार्ग खोज लेते हैं। गुजराती की इस ताकत की चर्चा दुनियाभर में चल रही है।
देश स्वतंत्र हुआ उसके बाद जो कुछ तुरंत होना चाहिए था वह नहीं हुआ इससे लोग निराश हो गए थे। हमने वही करने का प्रयास किया है। मंजिल पर पहुंच गये हैं ऐसा दावा हमने कभी नहीं किया है, मगर हमें यह विश्वास है कि हम गुजरात को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने की
हमारी जो मंजिल है वहां तक जरूर पहुंच जाएंगे। इसकी वजह- हमारा रास्ता साबित हो गया है। पिछले एक दशक का अनुभव कहता है कि “ एष: पंथा ” और वह रास्ता है विकास का, वह रास्ता है सर्वांगीण विकास का, वह रास्ता है सर्व समावेशक विकास का। समाज का कोई तबका पीछे ना रह जाए, गरीबतम व्यक्ति का कल्याण हो, कोई भी क्षेत्र अविकसित ना रह जाए, सभी को लाभ हो, सभी को शिक्षा मिले, सभी को आवास मिले, सभी को स्वास्थ्य मिले, रोजगार मिले। आखिर आजादी के लिए जिन लोगों ने बलिदान दिया था, महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने हमें जो रास्ता दिखलाया था वह रास्ता गरीबतम व्यक्ति का भला करने का रास्ता ही तो है, और इसके लिए विकास जरूरी है।
विकास की नयी ऊंचाइयों को पार करना जरूरी है और यही हम कर रहे हैं। आप सभी से मेरा आग्रह है कि आप जहां हैं वहीं से आपका अनुभव, आपकी बुद्धि, आपकी शक्ति मानव कल्याण के लिए उपयोग करें। हम लोग “ वसुधैव कुटुम्बकम ” की भावना को समर्पित हैं। हमारेसमाज का भी हम पर ऋण है और हमारे देश का भी हम पर ऋण है। इस ऋण को चुकाने का कोई भी अवसर ना छोड़ें। “अमे गुजराती ” कहते हुए सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
आप सभी को बहुत- बहुत शुभकामनाएं देता हूं। जय जय गरवी गुजरात।