गिर के सिंहों के मध्य प्रदेश स्थानांतरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुजरात स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ की बैठक आज गांधीनगर में आयोजित हुई। गिर के सिंहों के मध्य प्रदेश में स्थानांतरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए फैसले के सन्दर्भ में बोर्ड के सदस्यों की मांग पर यह बैठक आयोजित हुई।बैठक में गिर के एशियाई सिंहों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए गुजरात सरकार एवं समाज की भागीदारी से मिली सफलता की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई प्रशंसा एवं शीर्ष न्यायालय में सात वर्ष से सात शपथपत्रों के माध्यम से गुजरात सरकार की ओर से दिये गए सुझावों के सर्वग्राही कार्यों से बोर्ड के सदस्यों को अवगत कराया गया।
बैठक में वन्यजीवन के जतन एवं संवर्द्धन के लिए समर्पित सभी गैर सरकारी सदस्यों ने गिर के एशियाई सिंहों को मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर में बसाने से जो विपरीत असर होगा उस संबंध में सटीक एवं तर्कबद्ध वैज्ञानिक पहलुओं को प्रस्तुत किया और सर्वोच्च न्यायालय से इस संबंध में पुनःविचार करने तथा इस फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटीशन) दायर करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया।बोर्ड के सदस्यों ने गुजरात में गिर के सिंहों के संरक्षण एवं संवर्द्धन को लेकर राज्य सरकार द्वारा किये गए कार्यों का पूर्ण समर्थन किया। पिछले डेढ़ सौ वर्षों में समूचे एशिया में सिर्फ गुजरात के गिर अभयारण्य में ही एशियाई सिंहों का जतन होता रहा है। बैठक में सदस्यों ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार का सिंह रक्षण तथा स्थानीय जनसमाज एवं सिंह परस्पर भावनात्मक सहअस्तित्व के संबंध से जुड़े हैं।
मध्य प्रदेश में गिर के सिंहों के स्थानांतरण को लेकर गिर-नेसड़ा, सौराष्ट्र सहित समस्त गुजरात की जनता में व्याप्त तीव्र आक्रोश और विरोध के स्वर की अभिव्यक्ति सदस्यों ने बैठक में व्यक्त की।
बोर्ड के सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विश्लेषण करते हुए यह भी कहा कि इस फैसले के सभी पहलुओं का गहन अध्ययन कर उत्तम कानूनी राय हासिल करनी ही चाहिए। शीर्ष अदालत के फैसले से प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि गुजरात स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ एवं राज्य सरकार के सुझावों को अस्वीकृत किया गया है जबकि नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ के सुझावों को ध्यान में लिया गया है। बोर्ड के सभी गैर सरकारी सदस्यों ने अपनी राय साफ तौर पर व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में संघीय ढांचे को देखते हुए यदि स्टेट बोर्ड के सुझावों का महत्व नहीं रहता है तो यह एक गंभीर एवं विचार के योग्य मामला है।
बैठक में वन एवं पर्यावरण मंत्री गणपतभाई वसावा, राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा और गोविंदभाई पटेल, मुख्य सचिव डॉ. वरेश सिन्हा, वरिष्ठ सचिवों एवं गैर सरकारी सदस्यों ने भाग लिया।
वन एवं पर्यावरण विभाग के वरिष्ठ सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षकों ने भी अपने सुझाव रखे।