आज चैस की दुनिया में एक नया रिकार्ड प्रस्थापित करने वाली गुजरात की गौरवपूर्ण बेटी, ध्यानी, मंच पर बिराजमान सभी महानुभाव और गुजरात के कोने-कोने से आयी हुई, इस शतरंज के खेल में अपना सामर्थ्य दिखाने वाली सभी बहनें, मैं आप सबका हृदय से अभिनंदन करता हूँ! क्योंकि सामान्य छवि है कि ये काम महिला नहीं कर सकती, फलाना काम महिला नहीं कर सकती, ढिकना काम महिला नहीं कर सकती...! ये शतरंज के विषय में भी यही सोच थी, आज उस सोच को बदलने का काम आप सब बहनों ने किया है इसलिए मैं आपका अभिनंदन करता हूँ। एक साथ एक छत के नीचे 4000 बहनें इस शतरंज के खेल में शरीक हों, यह अपने आप में विश्व की सबसे बड़ी घटना है और वह आज गांधीनगर के अंदर विश्वनाथ आंनद की उपस्थिति में संपन्न होने जा रही है। आज ये भी खुशी की बात है, करीब 148 प्रज्ञाचक्षु उन बहनों ने शतरंज के खेल में अपना नाम दर्ज करवाया है और उन्होंने भी आज वर्ल्ड रिकार्ड प्रस्थापित कर दिया। तो अपने आप में आज का अवसर गुजरात के लिए, गुजरात सरकार के लिए और नारी शक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में जाना जाएगा।

हमारे देश में यह स्पष्ट माना गया है कि जब-जब मानव जाति ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है भारत ने मानव जाति का नेतृत्व किया है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और शतरंज, ज्ञान की दुनिया का एक बहुत ही धैर्यपूर्ण खेल है, ये ‘वॉर ऑफ नर्व्स’ है। योगिक दुनिया में जितना ध्यान केन्द्रित करना पड़ता है, उससे ज्यादा चैस के खेल में करना पड़ता है। और एक प्रकार से इस ज्ञान तंतुओं की लड़ाई में विजयी होना सबसे बड़ी ताकत होती है और जो ज्ञान तंतुओं की लड़ाई जीत जाते हैं, वो शरीर से लडऩे वाली किसी लड़ाई को कभी भी हारते नहीं हैं। ये अपने आप में उनको ताकत प्राप्त होती है। शतरंज उस प्रकार का सामर्थ्य देती है। पूरे विश्व में नई पीढ़ी में फ्रस्ट्रेशन का दौर आने की चर्चा हो रही है। मनोवैज्ञानिक रूप से ये बातें होती हैं कि नई पीढ़ी के लोगों को अपने मन के एंगर को निकालने के लिए कोई जगह नहीं होती, अपने ग्रिवेन्सिस बताने के लिए कोई जगह नहीं होती, कोई रास्ता नहीं सुझता है और तब जाकर के कभी-कभी नई पीढ़ी के नौजवान आत्महत्या की ओर चले जाते हैं। पेपर ठीक नहीं गया, एक्ज़ाम में कुछ गड़बड़ हो गई तो आत्महत्या करने का मन करता है, कभी मां-बाप ने कुछ कह दिया तो आत्महत्या करने का मन करता है, कभी स्कूल में टीचर ने कुछ कह दिया, आत्महत्या करने का मन करता है। लेकिन जो शतरंज खेलता है उसमें, ऐसे कितने घाव क्यों ना आए, बड़े आराम से झेलने का सामर्थ्य होता है, वो कभी भी अपना संतुलन खोता नहीं है, अपने धैर्य को खोता नहीं है और वो कभी भी इस प्रकार के पाप का हिस्सेदार नहीं बनता है, यह ताकत है इस खेल की..!

हमारे यहाँ ये शब्द प्रयोग हुआ है, ‘शत-रंज’। ये ‘शतरंज’ शब्द बहुत समझदारी के साथ विकसित हुआ है। ‘रंज’ यानि मन के भीतर के सारे फ्रस्ट्रेशन्स, जो 100 टाइप ऑफ फ्रस्टेशन को रिमूव करता है, जब ‘शत’ ‘रंज’ को दूर करता है, वो शतरंज होता है। ये शतरंज का सामर्थ्य होता है, और इसलिए शतरंज का खेल सामने वाले को पराजित करने के लिए जितनी ताकत रखता है, उससे ज्यादा अपने आपको जीतने की ताकत देने वाला ये खेल है। ये अकेला खेल ऐसा है, जो मनुष्य खुद पर विजय प्राप्त करता रहता है। स्वयं पर विजय दिलाने वाला अगर कोई खेल है तो उस खेल का नाम शतरंज है। और इसलिए गुजरात सरकार की कोशिश है कि इस खेल को और बढ़ावा मिले, ये खेल परिवार का हिस्सा बने, जीवन का हिस्सा बने, स्कूल के सिलेबस का हिस्सा बने और शतरंज हमारी उल्झनों से मुक्ति पाने के लिए रास्ता दिखाने वाला एक खेल बन जाए, इस प्रकार का हमारा ये प्रयास है।

रशिया के अंदर ये कास्परोव जिस राज्य से आते हैं और वो भी ‘ग्रैंड मास्टर’ में हमारे आनंद के खिलाफ हर बार मुकाबले में आते भी हैं और पराजित होकर जाने का उनको सौभाग्य भी मिलता है। वो जिस राज्य से आते हैं, वो राज्य बुद्ध परंपरा का राज्य रहा है और पिछले सात सौ वर्षों से वहाँ की राज्य व्यवस्था ने शतरंज को स्कूलों में कम्पलसरी किया हुआ है। हर परिवार में, उस स्टेट में, बुद्धिस्ट परंपरा के कारण शतरंज खेला जाता है, और आज भी रशिया में जितने भी इस खेल के अंदर लोग आए हैं उसी एक इलाके से आए हैं। और पूरे रशिया में सब राज्यों में जो क्राइम रेट है, उसमें सबसे कम क्राइम रेट अगर कहीं पर है तो उस राज्य में है जहाँ शतरंज कम्पलसरी है, यह शतरंज की ताकत है। भाईयों और बहनों, हम गुजरात में जीवन बदलने के लिए शतरंज को एक माध्यम बना करके जन जीवन में जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। और उस दिशा में आप लोगों का इस प्रकार का हिस्सेदार होना, इसमें जुडऩा, यह अपने आप में एक नया उमंग और उत्साह दिखा रहा है।

भाईयों और बहनों, यहाँ आए हुए बालक कोई पांचवी कक्षा के हैं, कोई सिक्स्थ स्टैन्डर्ड के हैं, कोई सेवन्थ के हैं, कोई एइट्थ के हैं, कोई नाइन्थ के हैं। स्कूल के छोटे-छोटे बालक हैं। ये वो बालक हैं जिनको आज वोट देने का अधिकार नहीं है, चुनाव में हिस्सेदारी का उनको अधिकार नहीं है, ऐसे बालक हैं। लोग मुझे सवाल पूछते हैं कि मोदीजी, ये चुनाव का वर्ष है, दो-तीन महीने के बाद चुनाव आने वाले हैं, आप अपना ध्यान मतदाताओं पर केन्द्रित कीजिए..! भाईयों-बहनों, मेरे लिए गुजरात महत्वपूर्ण है, ये छोटे-छोटे बालक भले ही वो मतदाता ना हों, लेकिन वो गुजरात का भविष्य है और इसलिए सरकार के लिए इनके साथ जुड़ना प्राथमिकता है।

मैं इन दिनों दो प्रकार के टी.वी. समाचार देखता रहता हूँ। अखबार देखें, टी.वी. देखें, दिल्ली में जो भ्रष्टाचार चल रहा है उसकी कथाएं आती रहती हैं। रोज नया एक भ्रष्टाचार की कथा आती है। ये सभी नौजवानों के मन में ये सवाल उठता होगा कि ये क्या हो रहा है..? और दूसरी तरफ, कुछ लोग एडवर्टाइज़मेंट देते हैं, पैसों से खेल खेले जा रहे हैं। एडवर्टाइज़मेंट देते हैं ‘दिशा बदलो, दशा बदलेगी’..! मैं उन लोगों को कहना चाहता हूँ, मेरे मीडिया के मित्रों को कहना चाहता हूँ कि इस द्रश्य को देखो, चार हजार से अधिक कन्याएं पूरे विश्व में हिंदुस्तान का नाम रोशन कर रही हैं, पूरे विश्व में रिकार्ड बना रही हैं। प्रधानमंत्रीजी, अगर आप गुजरात की दिशा पकड़ लोगे तो देश की दशा भी बदल जाएगी। गुजरात की दिशा पकड़ो, मैं विश्वास दिलाता हूँ देश की दशा बदल जाएगी..! आप गलत दिशा में हो इसलिए देश की दुर्दशा हो रही है। मेरे नौजवान भाईयों और बहनों, आपको वोट देने का अधिकार हो या ना हो लेकिन मैं आपको भरोसा देता हूँ, आप जब बड़े होंगे तब हम आपके हाथ में एक ऐसा गुजरात देकर जाएंगे ताकि आप भी गौरव करें, आपके जीवन के सारे सपने पूरे हों, ऐसा गुजरात आपके हाथों में देने का प्रयास है, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। एक चैतन्यवान, सामर्थ्यवान गुजरात का सपना लेकर हम काम कर रहे हैं। ये ‘महात्मा मंदिर’ जिस जगह पर आप बैठे हैं, यह हमारे ही देश के कारीगरों ने बनाया है। 182 दिवसों में बनाया है, 182 दिन, हंड्रेड एंड एइटी टू डेज़ में, हार्डली सिक्स मंथ्स। ये ताकत हमारे देश में है। उस ताकत को उजागर करने का काम ये गुजरात करता है।

मैं फिर एक बार आप सब को बधाई देता हूँ, आपका बहुत बहुत अभिनंदन करता हूँ। बहन ध्यानी को बहुत बधाई देता हूँ, जो उसने आज फिर एक नया रिकार्ड स्थापित कर दिया। वो हर बार अपना ही रिकार्ड तोड़ती चली जा रही है। पुराने अपने रिकार्ड को तोड़ करके आज उसने अपना एक नया रिकार्ड बना दिया। मैं विश्वनाथन आनंद का बहुत आभारी हूँ कि वे आज आएं और गुजरात की चेस की दुनिया में जो हमारी एक कशमकश चल रही है, कुछ करने की कोशिश चल रही है, उसमें लगातार वो हमारा साथ दे रहे हैं उसके लिए मैं उनका भी बहुत अभिनंदन करता हूँ। मैं आदरणीय आडवाणी जी का विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूँ कि पार्लियामेंट चालू होने के बावजूद भी, दिल्ली में इतना बड़ा घमासान चल रहा है तो भी पूरे विश्व में देश को गौरव दिलाने वाली इस घटना में वे यहाँ आए, शरीक हुए, हमें आशीर्वाद दिए, मैं उनका बहुत-बहुत आभारी हूँ..!

 

भारत माता की जय...!!

पूरी ताकत से बोलो दोस्तों, मुठ्ठी बंद करके हाथ ऊपर करके बोलो,

भारत माता की जय...!! भारत माता की जय...!! भारत माता की जय...!! भारत माता की जय...!!

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