मेरे मंत्रिमंडल के सहयोगियों, इस शो में भाग ले रहे गण्‍यमान्‍य व्‍यक्तियों और अतिथियों

मुझे एयरो इंडिया शो के दसवें संस्‍करण में उपस्थित होने पर प्रसन्‍नता है।

इसमें 250 से अधिक भारतीय कंपनियां और 300 से अधिक विदेशी फर्म भी शामिल हैं।

इस शो में विश्‍वभर से कई रक्षा मंत्री, वरिष्‍ठ अधिकारी और व्‍यापार जगत के सैकड़ों प्रमुख शामिल है। 

684-PM AT Aero India-2015 Air Show (5)

 मैं यहां आप सबका हार्दिक

स्‍वागत करता हूं।

यह अब तक का सबसे विशाल एयरो इंडिया शो है। इससे हमारे देश के भीतर और भारत में अंतर्राष्‍ट्रीय हितों के प्रति विश्‍वास की नई ऊंचाई का पता चलता है।

आप में से कई शायद समझेंगे कि भारत व्‍यापार का प्रमुख अवसर है।

हमें विश्‍व में रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आयातक माना जाता है।

यह आप में से कुछ को अच्‍छा लग रहा होगा लेकिन यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हम पहले स्‍थान पर नहीं बने रहना चाहते।

हमारी सुरक्षा की चुनौतियां सभी जानते हैं। हमारे अंतर्राष्‍ट्रीय दायित्‍व भी स्‍पष्‍ट हैं। हमें अपनी रक्षा तैयारियों में वृद्धि करने की आवश्‍यकता है। हमें अपने रक्षा बलों को आधुनिक बनाना है।

हमें भविष्‍य की जरूरतों के अनुरूप स्‍वयं को साजो सामान से लैस बनाना होगा। इसमें  प्रौद्योगिकी प्रमुख भूमिका निभायेगी।

एक अरब लोगों के देश होने के नाते राष्‍ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमारी  विशाल आवश्‍यकताएं भी हैं।

हम प्रौद्योगिकी और प्रणालियों में सम्मिलन का दायरा बढ़ा रहे हैं।

इन अवसरों से एयरो इंडिया महत्‍वपूर्ण अंतर्राष्‍ट्रीय आयोजन बनता है।

684-PM AT Aero India-2015 Air Show (2)

मेरे लिए यह रक्षा उपकरणों का मात्र व्‍यापार मेला नहीं है।

यह अति उन्‍नत प्रौद्योगिकी और जुझारू उपकरणों वाले विशाल अंतर्राष्‍ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं का विशाल सम्‍मेलन है।

इतना ही नहीं यह भारत के रक्षा विर्निर्माण क्षेत्र की शुरूआत का मंच भी है।

सशक्‍त रक्षा उद्योग वाला कोई भी राष्‍ट्र न केवल अधिक सुरक्षित होगा अपितु इससे समृद्ध आर्थिक फायदे भी मिलेंगे।

इससे देश में निवेश, विर्निर्माण के विस्‍तार, उद्यमों को सहायता, प्रौद्योगिकी के स्‍तर और आर्थिक दर में वृद्धि को भी बढ़ावा मिल सकेगा।  

 भारत में सरकारी क्षेत्र में रक्षा उद्योग में ही  लगभग 200,000 कामगारों और हजारों इंजीनियरों तथा वैज्ञानिकों को रोजगार मिला हुआ है। ये लगभग सात अरब डॉलर मूल्‍य के रक्षा उपकरण प्रतिवर्ष बनाते हैं। इससे बड़ी संख्‍या में लघु और मध्‍यम उद्यमों को भी सहायता मिलती है।

निजी क्षेत्र में हमारा रक्षा उद्योग बहुत छोटा है फिर भी इसमें हजारों लोग काम करते हैं।

हमारे रक्षा उपकरणों का लगभग 60 प्रतिशत हिस्‍से का आयात किया जा रहा है।

और, हम विदेशों से रक्षा उपकरण प्राप्‍त करने के लिए दसियों अरब डॉलर व्‍यय करते है।

कुछ अध्‍ययनों के अनुसार अगर हम अपने आयात में 20 से 25 प्रतिशत की भी कटौती कर सके तो इससे भारत में एक लाख से एक लाख 20 हजार के बीच और अत्‍यंत कुशल रोजगारों का प्रत्‍यक्ष सृजन किया जा सकेगा।

हम अगर खरीदे जा रहे स्‍वदेशी उपकरणों में 40 से 70 प्रतिशत की वृद्धि कर सकें तो अगले 5 वर्ष में हमारे रक्षा उद्योग का उत्‍पादन दोगुना हो जाएगा।

प्रत्‍यक्ष रूप से और संबंधित विर्निमाण और सेवाओं क्षेत्र में रोजगार के सृजन किए गए अवसरों के प्रभाव की कल्‍पना तो कीजिए।

उन्‍नत सामग्री और प्रौद्योगिकियों के मद्देनजर अन्‍य क्षेत्रों को होने वाले बेहद फायदों की कल्‍पना करना भी आपको अच्‍छा लगेगा।

इसलिए हम मिशन भावना से भारत में रक्षा उद्योग को विकसित करने पर ध्‍यान केंद्रित कर रहे हैं।

इसलिए यह हमारे मेक इन इंडिया कार्यक्रम का केंद्रबिंदु भी है।

हम अपनी रक्षा उपकरणों की खरीद नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार ला रहे हैं। भारत में निर्मित उपकरणों की स्‍पष्‍ट प्राथमिकता होगी।

हमारी खरीद प्रक्रियाओं में सरलता, जवाबदेहता और त्‍वरित निर्णय लेने की क्षमता सुनिश्चित की जाएगी।

684-PM AT Aero India-2015 Air Show (10)

हमने विदेशी प्रत्‍यक्ष  निवेश की स्‍वीकृत सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दी है। यदि ऐसी परियोजनाओं से स्‍टेट ऑफ द आर्ट प्रौद्योगिकी आने लगे तो इस सीमा को बढ़ाया जा सकता है।

हमने 24 प्रतिशत तक के विदेशी संस्‍थागत निवेश के लिए धन लगाने की अनुमति दी है और अब पूंजी में कम से कम 51 प्रतिशत एक अकेले भारतीय निवेशकर्ता के निवेश की शर्त नहीं है।

कई मदों के लिए औद्योगिक लाइसेंस लेने की आवश्‍यकता समाप्‍त कर दी गई है। जहां जहां जरूरी था वहां प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।

हम निजी क्षेत्र की भूमिका का विस्‍तार कर रहे हैं, ऐसा प्रमुख मंचों के लिए भी किया जा रहा है। हमारा उद्देश्‍य सभी को एक समान अवसर उपलब्‍ध कराना है।

रक्षा उद्योग को विकसित और उन्‍नत बनाने के लिए ऑफसेट सिस्‍टम अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण माध्‍यम है।

हमने ऑफसेट नीति में महत्‍वपूर्ण सुधारों की शुरूआत की है। मुझे यह पूरी तरह ज्ञात है कि इसमें अब भी काफी सुधारों की जरूरत है। हम स्‍वदेशी उद्योग और अपने विदेशी भागीदारों के साथ परामर्श से इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।

मैं चाहता हूं कि हमारी ऑफसेट नीति सस्‍ते उत्‍पादों के निर्यात में मददगार न बने बल्कि हम इससे स्‍टेट ऑफ द आर्ट प्रौद्योगिकी और प्राथमिकता के शीर्ष क्षेत्रों में कौशल हासिल करना चाहते हैं।

रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सरकारी सहायता आवश्‍यक है और इसके साथ खरीद का विश्‍वसनीय आश्‍वासन भी होना चाहिए।

हम भारत में प्रोटोटाइप के विकास के लिए सरकार से 80 प्रतिशत तक राशि प्रदान किए जाने की स्‍कीम ला रहे हैं। इसके अलावा हम प्रौद्योगिकी विकास कोष की भी शुरूआत कर रहे है।

काफी समय से हमारा अनुसंधान और विकास का काम सरकारी प्रयोगशालाओं तक सीमित रहा है। हमें  अनुसंधान और विकास के काम में अपने वैज्ञानिकों, सैनिकों , शिक्षाविदों, उद्योग और स्‍वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल करना होगा।

पिछले महीने सेना दिवस स्‍वागत समारोह में मैंने रक्षा उपकरण के क्षेत्र में बेहतरीन नवीनताएं लाने वाले अधिकारियों और सैनिकों से मिलने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी और मैं उनसे मिलकर काफी प्रभावित हुआ।

सबसे बड़ी बात यह है कि हमने अपनी निर्यात नीतियों को स्‍पष्‍ट, सरल और पूर्वानुमानजनक बनाया है। मगर हम निर्यात नियंत्रण और अंतर्राष्‍ट्रीय दायित्‍वों के सर्वोच्‍च मानकों का पालन भी करेंगे।

हम अपने निर्यात का विस्‍तार करेंगे लेकिन हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि हमारे उपकरण और प्रौद्योगिकी गलत लोगों के हाथ में न पहुंच सकें।

इस क्षेत्र में भारत का रिकार्ड बेदाग रहा है और ऐसा ही रहेगा।

मुझे अपनी नीतियों के अनुकूल प्रभाव से प्रसन्‍न्‍ता है।

भारत के निजी निगमों ने उत्‍साह के साथ समर्थन और सहयोग दिया है। इसी तरह हमारे लघु और मध्‍यम क्षेत्र में भी नया उत्‍साह दिखाई देता है। कई विशाल अंतर्राष्‍ट्रीय फर्म भी भारत में महत्‍वपूर्ण भागीदारी बना रही हैं।

इनमें से कुछ ने तो अपनी अंतर्राष्‍ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला या इंजीनियरी सेवाओं के एक हिस्‍से के लिए भारत का इस्‍तेमाल करना शुरू कर दिया है।

सितंबर 2014 में डायनामेटिक टेक्‍नोलॉजी और उसके सहयोगी बोईंग ने भारत में बोईंग हेलीकॉप्‍टर और इसके महत्‍वपूर्ण हिस्‍से पुर्जों को बनाने का संयंत्र का उदघाटन किया। बोईंग हेलीकॉप्‍टर की विश्‍वभर में ब्रिकी की जाती है। मैं समझता कि इस संयंत्र का उदघाटन मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत से एक दिन के बाद किया गया।

मुझे इस बात की खुशी है कि हिस्‍से पुर्जों की पहली खेप अब जहाज से भेजे जाने के लिए तैयार है। लेकिन हमें अब भी  बहुत कुछ करना है।

हमें अपनी खरीद और स्‍वीकृति प्रक्रियाओं में और सुधार लाना होगा। हमें अपनी भावी आवश्‍यकताओं के लिए एक स्‍पष्‍ट खाका तैयार करने का संकेत देना चाहिए।

हमें न केवल नई प्रौद्योगिकियों की प्रवृतियों अपितु भावी चुनौतियों के स्‍वरूप को भी ध्‍यान में रखना चाहिए।

हमें नवीनताओं पर अधिक जोर देते हुए आपूर्तिकर्ताओं की श्रृंखला विकसित करने पर भी ध्‍यान देना चाहिए।

हमें प्रोटोटाइप विकास और उत्‍पाद की गुणवत्‍ता के बीच की खाई को भी भरना होगा।

हमें रक्षा उद्योग की विशेष आवश्‍यकताओं के अनुकूल वित्‍तीय प्रणाली का भी विकास करना चाहिए। यह एक ऐसा बाजार है जिसमें प्रमुख रूप से सरकारें ही क्रेता होती हैं और बड़ी मात्रा में किया गया पूंजीगत निवेश होता है तथा जोखिम भी ज्‍यादा रहता है।

हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी कर प्रणाली से आयात की तुलना में स्‍वदेशी विनिर्माताओं के साथ भेदभाव न हो।

यदि हम भारत के विनिर्माण क्षेत्र में परिवर्तन ला सकें तो मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि हमारा रक्षा उद्योग अधिक कामयाबी हासिल करेगा।

हमें अधिक बुनियादी ढांचे, सशक्‍त व्‍यापारिक वातावरण, स्‍पष्‍ट  निवेश नीतियों, व्‍यापार करने में आसानी, स्थिर और पूर्वानुमानजनक कर व्‍यवस्‍था और उत्‍पादन के लिए आवश्‍यक सामग्रियों तक आसान पहुंच बनाने की आवश्‍यकता है।

हमें एक ऐसा राष्‍ट्रीय उद्योग बनाने की जरूरत है जो उन्‍नत सामग्रियों, अत्‍यंत उन्‍नत इलेक्‍ट्रोनिक्‍स और सर्वश्रेष्‍ठ इंजीनियरी उत्‍पाद तैयार कर सके।

हमने पिछले आठ महीनों में आपके लिए अनुकूल वातावरण बनाने के वास्‍ते कठिन परिश्रम किया है।

684-PM AT Aero India-2015 Air Show (12)

हमें सबसे अधिक रक्षा उद्योग के लिए बेहद कुशल और योग्‍य विशाल मानव संसाधन की आवश्‍यकता है।

हमारे वायुअंतरिक्ष यानि एयरोस्‍पेस उद्योग के लिए ही अगले दस वर्ष में लगभग दो लाख लोगों की आवश्‍यकता होगी।

हम परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष उद्योग की तरह ही अपने रक्षा उद्योग की जरूरत पूरी करने के लिए विशेष विश्‍वविद्यालय और कौशल विकास केंद्र स्‍थापित करेंगे।

मैंने विशेष रूप से राज्‍य सरकारों को यहां आमंत्रित किया कि वे रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निवेश आकर्षि‍त करने के लिए सुविधाओं के पैकेज के साथ इस आयोजन में शामिल हों।

गण्‍यमान्‍य अतिथियों,

भारत में रक्षा उद्योग के लिए यह एक नया युग है।

अब केवल उपकरण खरीदकर उसे देश में असेंबल करना या उपकरणों को जोड़कर तैयार करना पर्याप्‍त नहीं होगा। ऐसा हम काफी वर्षों से करते आ रहे हैं और इससे हम किसी प्रौद्योगिकी को अपना नहीं सके या अपनी  क्षमताओं का विकास नहीं कर सके। कुछ क्षेत्रों में हम उसी स्‍थान पर हैं जहां तीन दशक पहले थे।

अगर स्‍पष्‍ट रूप से कहा जाए तो हमारे सार्वजनकि क्षेत्र को वर्तमान की तुलना में और अधिक बेहतर करने की आवश्‍यकता है। हमें उनकी व्‍यापक संपत्तियों और विशाल क्षमताओं का दोहन करना होगा। साथ ही हमें उन्‍हें जवाबदेह बनाना होगा।

हम ऐसा उद्योग बनाना चाहते है जो गतिशील हो, जो लगातार अंतर्राष्‍ट्रीय उद्योग के साथ स्‍पर्धा में आगे रहने को तैयार हो।

मुझे विश्‍वास है कि भारत रक्षा उद्योग में एक प्रमुख अंतर्राष्‍ट्रीय केंद्र के रूप में उभरेगा।

हमारे पास भारत में इसके लिए आधारभूत खाका है और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बड़ी आवश्‍यकता भी है।

हम एक ऐसा उद्योग बनायेंगे जिसमें सबके लिए – सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और विदेशी फर्मों के लिए स्‍थान हो।

विक्रेताओं में से विदेशी फर्में भी महत्‍वपूर्ण भागीदार के रूप में सामने आनी चाहिए।

हमें उनकी प्रौद्योगिकी, कौशल, सिस्‍टम सम्मिलन और विनिर्माण क्षमता की आवश्‍यकता है।

इस उद्योग की ऐसी प्रकृति है कि हमेशा आयात बना रहेगा।

इसके बदले वे अपनी अंतर्राष्‍ट्रीय आपूर्तिकर्ता श्रृंखला के अंतर्गत भारत का इस्‍तेमाल कर सकेंगे। 

684-PM AT Aero India-2015 Air Show (11)

विश्‍वभर में रक्षा बजट सख्‍त बनते जा रहे हैं। भारत के सस्‍ते लेकिन अतिआधुनिक विनिर्माण और इंजीनियरी सेवा क्षेत्रों से लागत में कमी लाने में मदद मिल सकती है।

भारत तीसरी शक्ति वाले देशों को निर्यात के लिए आधार भी बन सकता है। क्‍योंकि विशेषतौर पर भारत की रक्षा भागीदारी एशिया और उससे आगे फैल रही है।

सशक्‍त भारतीय रक्षा उद्योग से न केवल भारत अधिक सु‍रक्षित होगा बल्कि यह भारत को अधिक समृद्ध भी बनायेगा।

एयरो इंडिया हमारे लक्ष्‍य हासिल करने में उत्‍प्रेरक बन सकता है। इसलिए मैं आज यहां उपस्थित हूं।

जब हम इन अदभुत विमानों की तरफ देखते है और उनके विस्‍मयकारी फ्लाईपास्‍ट का आनंद लेते हैं तो मुझे यह उम्‍मीद बनती है कि हम और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। 

और देश की जनता को नए अवसर प्रदान करने, देश को सुरक्षित बनाने और विश्‍व को ओर अधिक स्थिर तथा शांतिपूर्ण बनाने के लिए हम सफल नए उपक्रमों और भागीदारियों का बीजारोपण करेंगे।

धन्‍यवाद।

Explore More
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

लोकप्रिय भाषण

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन
Modi govt's next transformative idea, 80mn connections under Ujjwala in 100 days

Media Coverage

Modi govt's next transformative idea, 80mn connections under Ujjwala in 100 days
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
मध्य वर्ग के लिए आर्थिक लाभ
March 14, 2019

मध्य वर्ग के लिए आर्थिक लाभ