मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव, उपस्थित भाइयों और बहनों, साईं राम वेकैंया जी ने मेरा काम सरल कर दिया कि अब किसी का नाम बोलना नहीं है। न कभी चिंता रहती है किसी का नाम छूट जाता है। वेंकैया जी का सुपर फास्ट एक्सप्रेस की तरह भाषण सुन लिया आपने।
अभी रमन सिंह वर्णन कर रहे थे कि 6 बजे निकले हैं मोदी जी संडे होलीडे होता है। तो मेरे लिये real sense में होलीडे होता है। मैं होलीडे के संबंध में कहता हूं पवित्र दिवस। सारे काम जितने कर सकते हैं करना चाहिए। और मैं जब शाम को बिस्तर पर जाऊंगा तब तक पांच राज्यों का आज मेरा दौरा हो गया होगा। दिल्ली से चला हूँ छत्तीसगढ़ आया हूं यहां से ओड़िशा जाऊंगा, ओड़िशा से पश्चिम बंगाल जाऊंगा फिर वहां से उत्तर प्रदेश जाकर के सो जाऊंगा।
जनता जनार्दन जब कोई जिम्मेदारी देती है तो उसको पूरे मनो योग से पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिए। और हर किसी ने कोशिश करनी चाहिए। आज यहां मुझे साईं बाबा की प्रतिमा का लोकार्पण करने का अवसर मिला। ये अस्पताल गरीबों की निःशुल्क सेवा करने का काम करती है, खासकर के बालकों के हृदय का ऑपरेशन, जो लोग पुट्टापर्थी गये होंगे वहां एक बहुत बड़ा अस्पताल और साईं बाबा का जो सामाजिक काम था उस चीज पर लोगों का बहुत कम ध्यान जाता है। चमत्कारों की चर्चा बहुत होती है। लेकिन उन्होंने जो पानी में काम किया है। शिक्षा में काम किया है। स्वास्थ में जो काम किया है। ये सचमुच में बहुत प्रेरक है। एक भी चमत्कार की चर्चा न करें तो भी ये काम अपने आप में बहुत बड़ा चमत्कार है। मैं बाबा के इस महान सामाजिक कामों को प्रणाम करता हूं। आज यहां एक नई नीति का प्रारूप आपके सामने प्रस्तुत किया गया। innovation and Entrepreneurship के संबंध में। मैं रमण सिंह जी उनकी सरकार को बधाई देता हूं कि उन्होंने इस दिशा में सोचा और सरकार क्या करेगी, क्या कर सकती है लोगों को क्या करना चाहिए और सरकार और लोग मिलकर के क्या कर सकते हैं। इसका उसमें एक खाका है। दुनिया में पिछले 50 वर्ष में जिन देशों ने प्रगति की है। अगर उसकी तरफ हम नजर करें तो हमें ध्यान में आता है। उन देशों के प्रगति के मूल में एक बात है innovation अनेक नई चीजों को लेकर के आए। अनेक नई कल्पना को लेकर के आए, जिसको दुनिया ने स्वीकार किया। और वो innovation समाज हितकारी बना लेकिन वो उस राष्ट्र के लिये आर्थिक उन्नती का कारण बन गया। और innovation नहीं होता है तो एक ठहराव आ जाता है। रुकावट आ जाती है। जीवन समाज का एक सहज स्वभाव होना चाहिए वो युगानुकूल परिवर्तन करता रहे। आविष्कार की परम्परा निभाए रखे। और नये -नये आविष्कारों को समाज उपयोगी, जनोपयोगी कैसे बनाएं उस दिशा में प्रयास करे। Entrepreneurship, हमारे देश 65 प्रतिशत जहां पर नौजवान हैं demographic division ये भारत के एक बहुत बड़ी शक्ति के रूप में दुनिया देख रहा है। लेकिन अगर हम इस demographic division के सिर्फ माला जपते रहेंगे कि हमारे पास 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की है, तो बात बनने वाली नहीं है। ये 65 प्रतिशत जनसंख्या उसके हाथों में हुनर हो। अपना कौशलय दिखाने के लिए वो आर्थिक व्यवस्था का प्रबंधन हो। सरकार की नीतियां ऐसे छोटे-छोटे उद्यमकारों को प्रोत्साहित करने वाले हों। हमारा युवा जॉब सीकर से जॉब क्रिएटर बनें। वो खुद नौकरी खोजने कि बजाय मैं खुद दो चार लोगों को नौकरी दूंगा। ये सपने लेकर के काम करे। और ये एक माहौल देश में बन सकता है। सरकार ने जो योजना बनाई है। वो सारी योजनाएं इन बातों को बल देती है। ग्रेजुएट होना, सर्टिफिकेट लेकर के दर दर भटकते रहना। ये मेरे देश के युवा की जिन्दगी नहीं हो सकती है। मेरे देश के युवा की जिन्दगी उसके सपनों को साकार करने के लिए अनुकूल माहौल बना कर के उस सपनों को पूरा करने वाले होने चाहिए। और दिशा में सरकार के एक के बाद एक कदम उस स्थितियों को प्राप्त करने के लिए है।
स्किल डेवलपमेंट देश के नौजवानों को हुनर का अवसर देता है। मुद्रा योजना ऐसे नए Entrepreneur हैं, और पुराने भी हैं जो विस्तार करना चाहते हैं। उनके लिए है without कोई गारंटी देश के सामान्य लोग जो कभी बैंकिंग के दरवाजे तक जा नहीं सकते थे। साहुकार जिनको लूटते थे। ब्याज बेशुमार होता था। और कभी-कभी उसे गांव छोड़कर भागना पड़ता था या संसार छोड़ कर चला जाना पड़ता था। इस चंगुल से उसे बचाने के लिए। छोटे-छोटे लोग, धोबी हो, नाई हो, बर्तन बेचने वाले हो, कपड़े बेचने वाले हो, मोमबत्ती, अगरबत्ती बेचने वाले हो, पूजा का सामान बेचने वाले हो या सामान्य लोग हों। उनको पांच हजार या दस हजार रुपये चाहिए तो भी वो साहूकार के यहां जाकर के एक प्रकार से अपने आपको गिरवी रखना पड़ता था। मुद्रा योजना के तहत 50 हजार से लेकर के दस लाख तक without गारंटी ऐसे लोगों को पैसा देने का प्रबंध शुरू कर दिया है। अब तक दो करोड़ लोगों को राशि दे दी गई है। और करीब-करीब एक लाख करोड़ से ज्यादा राशि दे दी गई है। किसी भी प्रकार की गारंटी मांगे बिना दे दी गई है। और इरादा यह है कि वो अपने कारोबार को बढ़ाएं। ताकि उसमें गरीबों को रोजगार दें। एक को दें, दो को दें, चार को दें। लेकिन इसी से काम बढ़ने वाला है। और इसलिए दुनिया में प्रचलित मान्यता रही है कि आर्थिक विकास के लिए एक प्राइवेट सैक्टर, दूसरा पब्लिक सैक्टर यानी Government के PSUs होंगे या कॉर्पोरेट हाउसेस होंगे। भारत जैसे देश में तीसरी विधा की आवश्यकता है। उस तीसरी विधा में मैं बल दे रहा हूं और वो है परसनल सैक्टर।
प्राइवेट सैक्टर का आपना उपयोग है, पब्लिक सैक्टर का आपना उपयोग है, लेकिन परसनल सैक्टर जहां हर व्यक्ति एक Entrepreneur बनें। और ये जो नीति लेकर के आज छत्तीसगढ़ आया है। उसमें उसकी झलक है। मुद्रा योजना से उसको फाइनेन्स मिले। स्किल डेवलप से उसको स्किल मिले। और मार्केट पॉजिटिव मार्केट का एक Environment Create हो जाए। मुझे खुशी है कि ये जो दो करोड़ लोगों को मदद मिली है। उसमें करीब-करीब 70 प्रतिशत SCs, STs या OBCs के लोग हैं बहुत बड़ी मात्रा में महिला Entrepreneur आगे आई हैं। ये जो ताकत खड़ी हो रही है। वो जो इस नीतियों को लेकर के छत्तीसगढ़ आए हैं। मैं मानता हूं उसके साथ जुड़ कर के ये दोनों की शक्ति काम आएगी। और केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की शक्ति मिलती है तो फिर तेजी बहुत बढ़ जाती है। और मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ के नौजवानों को इसका लाभ मिलेगा।
आज प्रधानमंत्री आवास योजना का भी आरंभ हो रहा है। देश की आजादी के इतने सालों के बाद पांच करोड़ परिवार ऐसे हैं। जिनके लिए आवास निर्माण आवश्यक है।
करीब दो करोड़ शहरों में हैं, तीन करोड़ गावों में हैं और ये वो लोग हैं कि अपने बल बूते पर मकान बना पाएं संभव नहीं है। न उसके पास जमीन है न उसके पास पैसा है। विकास के लिए व्यवस्थाएं कभी कभी बहुत बड़ा रोल प्ले करतीं हैं। गरीब से गरीब व्यक्ति होगा। झुग्गी झोंपड़ी में जीता होगा, तो वो जीने के तरीके ऐसे ढूंढ लेता है कि रात को सोने के लिए आता है फिर दिन को चला जाता है। न उसके परिवार का माहौल बनता है न उस व्यक्ति के सपने सजते हैं। लेकिन अगर उसको छोटा सा मकान भी दिया जाए, तो वो पैसे भरने के लिए तैयार होता है। सरकार अगर मदद करे, बैंक अगर मदद करे, पब्लिक प्राइवेट partnership मॉडल से आगे बढ़े।
एक बार मकान हो जाता है दूसरा मन कर जाता है। मेहमान आते हैं तो घर में प्रवेश जहां होता है तो पैर पोछने के लिए भी कुछ रखना चाहिए। तो सोचता है कि यार दस रूपये बचा लो तो कुछ ला करके रखना चाहिए। फिर उसको लगता है कि लोग आते हैं झुग्गी झोंपड़ी में तो चलता था अब थोड़ा दरी वरी लानी पड़ेगी थोड़ा पैसे बचाता है एक दरी लेता है अगले महीने। फिर थोड़े दिन हो जाते हैं तो उसको लगता है कि बच्चों को पढ़ना चाहिए। तो बच्चों को पढ़ने के लिए सोचने लगता है।
एक बार चारदीवारी आ जाती है, छत आ जाती है तो उसके सपनों में जान आ जाती है और वो नई नई चीजें करने लग जाता है।
और इसलिए ये प्रधानमंत्री आवास योजना वो Infrastructure नहीं है। ये प्रधानमंत्री आवास योजना, ये उन दीवारों को खड़ी करने के लिए नहीं है। किसी को जगह दे देंगे वो उन सपनों को जान भरने का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम है। जो हिन्दुस्तान के गरीब से गरीब व्यक्ति को अपना और इंसान जो सामान्य व्यक्ति के मन की जो इच्छा होती है जो कहीं भी रहता हो यार अपना घर हो तो अच्छा हो, हर किसी की इच्छा रहती है। लेकिन उस गरीब की इच्छा पूरी नहीं होती। कोई गरीब मरने के बाद अपने बच्चों को विरासत में गरीबी देना नहीं चाहता है। और गरीब से गरीब मां बाप भी अपने बच्चों को गरीबी विरासत में नहीं देना चाहता है। वो भी उसको कुछ दे करके जाना चाहता है। सरकार ने सपना देखा है।
2022 भारत की आजादी को 75 साल होंगे। क्या अभी से देश का हर नागरिक, देश की सभी सरकारें, देश की स्थानीय स्वराज की सभी संस्थाएं, जो-जो भी सार्वजनिक जीवन में या वैक्तिगत जीवन में सोचने वाले लोग हैं। उन सब ने 2022 के लिए संकल्प मन में लेना चाहिए कि 2022 जब देश की आजादी के 75 साल होंगे जिन महापुरूषों ने इस देश की आजादी के लिए बलिदान दिया। जवानी जेलों में खपाई, फांसी के फंदे पर लटक गये, पीठ पर पुलिस के डंडे खाए, उन लोगों ने जिन्होंने इतना त्याग किया, तपस्या की और हमें आजादी दी उनको आजादी के 75 साल के वर्ष पर हम क्या दे सकते हैं उसका संकल्प हर देशवासी का होना चाहिए। हम उनको कैसा भारत दें। भारत की आजादी के दीवानों को आजादी के 75 साल पर कैसा भारत दें। ये सपना देखना चाहिए। हमने ये सपना देखा है कि जब आजादी के 75साल हों हिन्दुस्तान के गरीब के गरीब का भी अपना घर हो।
2022 तक पांच करोड़ घर बनाने हैं। काम बहुत बड़ा हैं मैं जानता हूं। मानव संसाधन लगेंगे। लेकिन इससे रोजगार भी बढ़ेगा। सीमेंट बिकेगा, लोहा बिकेगा मेन्शन के काम करने वालों को काम मिलेगा। ईंट माटी, भट्टा,चूना सब काम करने वालों को काम मिलने वाला है। देश के अन्दर एक बहुत बड़ी आर्थिक प्रवृत्ति ये भी देश के युवा पीढ़ी के काम आने वाली है। जीवन बदलने वाला है और इसलिए उस कार्यक्रम का आज यहां पर आरंभ होने वाला है। पूरे देश में सभी सरकारें आगे आएं जितना हो सके जल्दी अपने यहां जमीन के संबंध में जगह तय करें। भारत सरकार इस काम को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। राज्य और केन्द्र मिलकरके इस काम को करेंगे और देश के गरीब से गरीब को हम एक छत्त देंगे। जिस छत के सहारे उसके सपनों को जान देंगे। और वो जानदार सपनों से देश 2022 में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा। इसी एक विश्वास के साथ मैं फिर एक बार रमन सिंह जी को उनकी टीम को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। श्रीमन वेंकैया जी, इस विभाग के मंत्री हैं दिन रात उन्होंने इस काम के पीछे लगे रहे हैं और मुझे विश्वास है कि ये सपना साकार होकर रहेगा। बहुत बहुत धन्यवाद