विपरित परिस्थितियों में भी शिवाजी महाराज सुशासन के प्रणेता बने रहे: प्रधानमंत्री
विकास ही सभी समस्याओं का हल है, और यही आगे का रास्ता है: प्रधानमंत्री
125 करोड़ भारतीयों की ताकत देश में एक सकारात्मक बदलाव लाएगी: प्रधानमंत्री

मंच पर विराजमान सभी महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

आप कल्पना कर सकते हैं कि आज मैं कितना आनन्दमय अनुभूति कर रहा हूं, जब भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के चुनाव के लिये मुझे जिम्मेवारी दी, तो मैं पहले रायगढ़ के किले पर आया। क्षत्रपतिजी की समाधी उसके सामने बैटकर के ये वीर प्राकर्मी महापुरुष, जिन्होंने सुशान और प्रशासन हिन्दुस्तान के इतिहास में एक नवीन अध्याय लिखा था और अपने योग्यता और क्षमता के आधार पर किया था। और संकटों के बीच किया था। संघर्षमय जीवन के रहते हुए किया था। शायद इतिहास में विश्व के इतिहास में ऐसा व्यक्तित्व असंभव है के जिसने लगातार संघर्ष के बीच में सुशासन की उद्धव परम्परा को मजबूत बनाया हो। आगे बढ़ाया हो। इतिहासकारों की नजरों से रंगकर्मियों की नजरों से जब भी हम क्षत्रपति शिवाजी महाराज को देखते हैं तो घोड़ा हो घोड़े पर शिवाजी महाराज हो हाथ में तलवार हो और उसके कारण हमारे मन में भी एक ही छवि बनी हुई है। क्षत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व बहुआयामी था। अगर हम भगवान रामचंद्रजी का मूल्यांकन सिर्फ रावण वध से करें, अगर हम श्रीकृष्ण का मूल्यांकन सिर्फ कंश को प्राजित किया उस प्रकार से करें। अगर महात्मा गांधी का मूल्यांकन सिर्फ अंग्रेजों को निकाला यहां तक करें तो शायद हम इन महापुरुषों का पूर्णरूप देखने में असफल हुए हैं। ये हमें स्वीकार करना होगा। प्रभु रामचंद्र जी रावण का वध उनके जीवन के अनेक पहलुओं में एक पहलु था। लेकिन बाकि इतने पहलु थे जो आज भी भारतीय जीवन को प्रभावित करते हैं प्रेरित करते हैं। श्रीकृष्ण के जीवन में भी सिर्फ कंश ही एक घटना नहीं थी। युद्ध के मैदान में गीता का संदेश कोई कल्पना कर सकता है कि ये देश की कैसी मिट्टी है कि जिस मिट्टी में ऐसे लोग जन्म लेते हैं कि जो युद्ध के मैदान में भी हजारों साल प्रेरणा देने वाले चिंतन की धारा को गीता के रूप में प्रस्तुत करते हैं। महात्मा गांधी ने आजादी के लिये लड़ते रहे अंग्रेजों को निकालने के लिए जूझते रहे। लेकिन साथ-साथ महात्मा गांधी समाज में बुराइयों के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी। हर व्यक्ति के अंदर चेतना भरने का प्रयास किया। आत्मसम्मान जगाने का प्रयास किया। हम उसे कभी भी कम नहीं आंक सकते हैं। उसी प्रकार से क्षत्रपति शिवाजी महाराज यानी घोड़ा तलवार युद्ध लड़ाई विजय यहां तक सीमित नहीं है। वे प्राकर्मी थे वीर थे। पुरुषार्थी थे। हम सबकी प्रेरणा है। लेकिन साथ-साथ आप कल्पना तो कीजिये। जैसे राम जी ने छोटे-छोटे लोगों की सेना बनाई वानर सेना बनाई। और लड़ाई लड़ी और जीत ली। कितना बड़ा संगठन का कौशल्य था। क्षत्रपति शिवाजी महाराज ने भी छोटे-छोटे किसा मावड़े उनको सात लिया उनको प्रशिक्षित किया और युद्ध के लिये तैयार किया। कितने बड़े संगठन शास्त्र का कौशल्य क्षत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रस्तुत किया।

आज भी हिन्दुस्तान के Engineering के Student के लिए अगर Water management क्या होती है Water के लिये Infrastructure क्या होता है। पानी के लिये तरस्ते इलाकों को पानी कैसे पहुंचाया जा सकता है। अगर उसका उत्तम से उत्तम ज्ञान प्राप्त करन है, जो क्षत्रपति शिवाजी महाराज ने पानी के लिए जो पूरी व्यवस्थाएं खड़ी की थीं। वो आज भी किसी को भी प्रेरणा दे सकती है। मुद्रानीति क्षत्रपति शिवाजी महाराज के सामने प्रस्ताव था कि मुद्रा का निर्माण सिक्के बनाने का काम वेदेशी लोग करने को तैयार थे। क्षत्रपति शिवाजी महाराज की दीर्घ दृष्टि थी। उन्होंने कहा अगर मुद्रा पर किसी का अधिकार हो गया तो शासन को प्राजित होने में देर नहीं लगती है। और उन्होंने खुद ने सिक्के बनाने के लिए व्यवस्था खड़ी की। लेकिन कभी विदेशों की व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया।

आज पूरे विश्व में सामुद्रिक सुरक्षा एक बहुत बड़ा विषय बना हुआ है। सारी दुनिया सामुद्रिक सुरक्षा को लेकर के सजग हो गई है। हर किसी को अपने अधिकारों की रक्षा और अपने व्यापरिक संबंधों को विश्व भर में सुरक्षा मिले उसकी चिंता रहती है। लेकिन इतने सालों पहले इसी धरती पर एक वीर पुरुष पैदा हुए थे। जिन्होंने नेवी की स्थापना की थी। और सामुद्रिक सामर्थ को जिन्होंने पहचाना था। और हम सिंधु दुर्ग समते जितने भी किले देखते हैं उसमें उस नेवी के लिए आवश्यकताओं को बल दिया गया है। ये बात सही है दुनिया में जहां पर पुरातन जीवन व्यवस्थाएं हैं उन देशों में Tourism को आकर्षित करने के लिए Iconic चीजें एक बहुत बड़ा आकर्षण का कारण बनती हैं। आज भी दुनिया हिन्दुस्तान में Tourism की चर्चा आती है तो ताजमहल का नाम सुनते ही उसको लगता है कि मुझे जाना चाहिए। हर युग में इस प्रकार के Iconic Symbolic चीजों का जो निर्माण हुआ है। सदियों तक उस देश की वो पहचान बना हुआ है। दुनिया के कई देश हैं जहां सिर्फ For Tourism किलों का प्रवासन इसके लिये अलग से व्यवस्थाएं हैं। भारत के पास भी हमारे राजा महाराजाओं के जमाने में ऐसे पूरे देश के हर कोने में अनेक किले बने हुए हैं। इसकी अपनी एक रचना है। सुरक्षा का विज्ञान है। Architecture है। उस समय किस प्रकार के संसाधनों का उपयोग होता था। उसकी भली भांति विशेषताएं हैं। लेकिन दुर्भाग्य से हम ताजमहल के बाहर निकल ही नहीं पाए। इस देश के हर कोने में विश्व को आकर्षित करने के लिए अनेक प्रवासन धाम है। अगर भारत का सही रूप में विश्व के सामने प्रस्तुतीकरण हो तो विश्व को भारत में Tourism के लिये आकर्षित करने की पूरी ताकत है। आज दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला कोई क्षेत्र है तो Tourism है। Trillions of Trillion Dollar का व्यापार Tourism में है। भारत दुनिया के पुरान्तन परम्पराओं से जीने वाला देश विश्व को आकर्षित कर सकता है। क्षत्रपति शिवाजी महाराज ने जो किले बनाए अगर हम सही रख रखाव करें, विश्व के सामने उसकी पहचान कराएं। हिन्दुस्तान की यूनिवर्सटीज़ को भी कहें कि आइए आपका Adventure tourism करना है इन किलो की जरा चढ़ाई कर के दिखाइए घोड़े पर जाना है किले पर जाइये घोड़े पर हम लेने कि व्यवस्था करते हैं। मैं भारत सरकार के ASI डिपार्टमेन्ट कहूंगा कि क्यूं न हम क्षत्रपति शिवाजी महाराज के किलो से शुरुआत करें। और देश भर में एक टीलों के Tourism का एक माहौल बनाएं। उसका रख रखाव जनसामान्य को आकर्षित करे ऐसा बनाएं। भाइयों बहनों आज मेरे लिये अत्यंत आनन्द का पल इसलिये है, और महाराष्ट्र सरकार का महाराष्ट्र की जनता का आभारी हूं कि मुझे आज जो शिव स्मारक बनने वाला है। उसमें जल पूजन का भूमि पूजन का सौभाग्य मिला है। ऐसा अवसर जीवन में धन्यता की अनुभूति कराता है। और मुझे विश्वास है कि जो संकल्पना महाराष्ट्र ने की है फडनवीस सरकार ने की है ये संकल्पना परिपूर्ण होकर रहेगी। और पूरा देश जब निर्माण कार्य पूरा होगा। तब गर्व की अनुभूति करेगा। और विश्व में सीना तान कर खड़ा होगा कि दुनिया का सबसे ऊंचा Iconic Building हमारे पास है। और उस महापुरुष का है जिसने जनसामान्य के सुख के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया था। ऐसे क्षत्रपति शिवाजी महाराज को आज नमन करने का मुझे अवसर मिला है।

भाइयों बहनों हमारे देश में भांति- भांति की राजनीति हुई है। विविधताओं से भरे हुए अनेक प्रकार के रास्ते अपनाए गए हैं। लेकिन अब 70 साल के अनुभव के बाद हमें इस बात को स्वीकार करना होगा अच्छा होता देश आजाद होने के बाद हमें एक मात्र विकास का मार्ग अपनाया होता तो आज भारत में जो समस्याएं जड़े जमा चुकी हैं ऐसी समस्याएं कभी जड़ें जमा नहीं सकती थीं।

विकास यही एक मात्र समस्याओं का समाधान है। देश के नौजवानों को रोजगार देने की संभावना विकास में है। देश के गरीबों को हक दिलाने की ताकत विकास में है। मध्यमवर्गीय लोगों को अपने अरमान पूरे करने के लिये ऊंची दौड़ के लिए आगे बढ़ना है, तो विकास ही उसको अवसर दे सकता है। सम्मान से जीने के लिए विकास ही एक मार्ग होता है। और इसलिये भाइयों बहनों जबसे आपने हमें दायित्व दिया है हमनें विकास को ही केन्द्र बिन्दु मे रखा है। और जब हमने विकास को ही केन्द्र बिन्दु में रखा है तब हमारे मन में साफ है कि विकास वो हो जो Sustainable हो। विकास वो हो जो गरीबों को अपनी जिन्दगी में बदलाव लाने का मौका देता हो। अपने आशा अरमान पूरा करने का बल देता हो ताकत देता हो, Empowerment देता हो। और इसलिये हमारी सारी योजनाओं के केन्द्र बिन्दु में गरीब का कल्याण है। जब हमारी सरकार बनी, तो हमारे सामने एक रिपोर्ट आया। छोटे-छोटे कारखानों में जो लोग निर्मुक्त होते थे। सरकारी कामों से जिनको पेंशन मिलता था। मैं हैरान हो गया। कुछ लोगों को 7 रुपये पेंशन मिलता था। कुछ लोगों को 51 रुपये पेंशन मिलता था। कुछ लोगों को 80 रुपये पेंशन मिलता था। सौ डेढ़ सौ से आसपास कोई नहीं था। अब पेंशन लेने वाला भी सात रुपया लेने के लिए ऑटो रिक्शा करके 80 साल का व्यक्ति पोस्ट ऑफिस क्यूं जाएगा। हमनें आते ही निर्णय किया। कि जो निवर्तमान लोग हैं जिनको इतना कम पेंशन मिलता है। सरकारी खजाने पर बोझ तो लगेगा। लेकिन उनको कम से कम 1000 रुपया मिले इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। और भाइयों बहनों 35 लाख से ज्यादा लोग ये छोटा आंक नहीं है सैकड़ों करोड़ों का बोझ सरकार के खजाने पर लगा और उसके बावजूद भी हमारी सरकार ने इन बुजर्गों को अच्छी जिन्दगी जीने के लिये एक अहम कदम उठाया। दवाइयां मंहगी हो रही हैं। हमने निश्चित रूप से Generic Medicine पर बल दिया। जन औषाधालय खोलने का पूरे देश के अंदर ये बीड़ा उठाया ताकि गरीब को सस्ते में दवाई मिले। और सही मिले अच्छी मिले समय पर मिले ताकि गरीब का कोई दवाई के नाम पर शोषण न मिले गरीब मां लकड़ी के चूल्हे में चूल्हा जलाकर के खाना पकाती थी। उस गरीब मां के शरीर में एक दिन में चार सौ सिगरेट का धुंआ जाता था। वो गरीब मां बीमार नहीं होगी तो क्या होगा उस गरीब मां का बच्चा बीमार नहीं होगा तो क्या होगा। सरकार ने निर्णय किया कि गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले झुग्गी झोपड़ी में जिन्दगी गुजारने वाले इन गरीब परिवारों को ये लकड़ी के चूल्हे के धुंएं से मुक्त कराना है। और हमने बीड़ा उठाया करोड़ों करोड़ों गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर का Connection देने का बीड़ा उठाया है। करोड़ों की तादात में लोगों को मिल चुका है। और आने वाले तीन साल में गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले दिनों में पांच करोड़ परिवारों तक पहुंचने का काम हमनें उठाया है। इस देश में आजादी इन 70 साल हो गए। 18 हजार गांव ऐसे थे जो 18वीं शताब्दि में जीने के लिए मजबूर थे। बिजली का खंबा तक नहीं लगा था। न तार पहुंचा था न बिजली देखी थी। क्या इतिहास कि 70 साल जिन्होंने बर्बाद किये उनको माफ करेगा क्या। कि उन्होंने आजाद हिन्दुस्तान में 70 साल तक इन गांव वालों को 18 शताब्दि में जीने के लिये मजबूर कर दिया था । उन्होंने उजाला नहीं देखा था। अंधेरी जिंदगी में गुजारा करते थे। हमनें एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। आधे से अधिक गांवों को पूरा कर दिया है। और गांवों का काम तेजी से चल रहा है। और 1000 दिन में इस काम को परिपूर्ण करके रहना है।

भाइयों बहनों कौन कहता है देश बदल नहीं सकता है। मैं विश्वास से कहता हूं सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत के भरोसे कहता हूं देश बदल सकता है दोस्तों और लिखकर रखीए देश बदलेगा भी। देश बढ़ेगा भी। देश दुनिया के सामने सर ऊंचा करके खड़ा हो जाएगा। ये तीन साल के अनुभव के आधार पर कह सकता हूं। आप कल्पना कर सकते हैं आज इसी मंच पर जिन प्रकल्पों को लेकर शुभारंभ हुआ है। उन प्रकल्पों का अगर रुपये पैसे में जोड़ें तो कितना बड़ा हो रहा है। इसी एक मंच पर से ये जितने जितने बटन मुझसे दबवा रहे थे ना एक लाख छह हजार करोड़ रुपयों के प्रोजैक्ट हैं एक लाख छह हजार कोरड़। अकेले मुंबई में एक ही कार्यक्रम में एक लाख छह हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा विकास के कामों का शुभारंभ होता हो। ये शायद मुंबई के इतिहास की बहुत बड़ी घटना होगी। और ये हम करके दिखाते हैं।

भाइयों बहनों मैं जब आज मुंबई की धरती पर आया हूं। तो मैं पूरे महाराष्ट्र की जनता का सर झुकाकर के अभिनन्दन करना चाहता हूं प्रणाम करना चाहता हूं। हमारे देश में अच्छा कहो या बुरा कहो लेकिन एक आदत सी बन गई है। कि आप कुछ अच्छा कर रहे हैं इसका सबूत क्या अगर चुनाव जीतते हैं तो सबूत है कि आप अच्छा कर रहे हैं। अगर आप हार गये तो माना जाता है कि आपका निर्णय गलत था। जब हमने भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ जिस दिन से सरकार बनी है लड़ाई शुरू की है। एक के बाद एक कदम उठाए हैं। लेकिन आठ नवम्बर को रात को आठ बजे हमने बहुत बड़ा हमला बोल दिया। जाली नोट काला धन भ्रष्टाचार इसके खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई का बिगुल बजा दिया। और भाइयों बहनों सवा सौ करोड़ देशवासियों ने इतने कष्ट झेले इतनी तकलीफ झेली लेकिन एक पल के लिए मेरा साथ नहीं छोड़ा। उनको भ्रमित करने के प्रयास हुए। उनको डराने के प्रयास हुए अफवाहों का बाजार गरम किया गया। लेकिन जिसको हम अनपढ़ कहते हैं अशिक्षित कहते हैं उसकी Common Sense ने इस बातों में बहकावे में आए बिना देश की भलाई के निर्णय का साथ दिया। और जब पिछले चुनाओं में महाराष्ट्र के लोगों ने इस निर्णय पर मोहर लगा ली। तो पूरे हिन्दुस्तान में Massage चला गया कि सत्य किसके साथ है। और देश किस दिशा में जाना चाहता है।

भाइयों बहनों में मैंने गोवा में कहा था कि ये लड़ाई सामान्य नहीं है। 70 - 70 साल तक जिन्होंने मलाई खाई है। ऐसे तगड़े तगड़े लोग इसको सफल न हो इसके लिये सब कुछ करेंगे। हर तरकीब अपनाएंगे। पूरी ताकत लगा देंगे। और किसी ने भी ताकत लगाने में कसर नहीं छोड़ी है। जिससे जो हुआ वो सब करने की कोशिश की है। लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के संकल्प के सामने ये 70 साल से मलाई खाने वाले लोग कभी टिक नहीं सकते जीत नहीं सकते। और देश देश कभी हार नहीं सकता है दोस्तों। सवा सौ करोड़ का देश कभी पराजित नहीं हो सकता है। ऐसे मुट्ठी भर लोगों से देश कभी झुक नहीं सकता है। कुछ लोगों को लगता था कि बैंक वालों को पटा लो सब काला सफेद हो जाएगा। अरे काले गोरे के खेल वाले आप तो मरे वो बैंक वालों को भी मरवा दिया। कैसे कैसे लोग जाल में फंस रहे हैं। एक के बाद एक परत खुलती चली जा रही है। उनको लगता था कि बैंक में चले गए तो हो गया काम अरे बैंक में आने के बाद ही तो काम शुरू हुआ है। मेरे देशवासियों मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं। मैंने कहा था। पचास दिन तक तकलीफ होती रहेगी। और देशवासियों ने देश के भविष्य के लिये इन तकलीफों को झेला है। आगे भी जितने दिन बाकी हैं जो भी तकलीफ आएगी। देश झेलने के लिये तैयार है। ये मेरा पूरा विश्वास है। और भाइयों बहनों पचास दिन के बाद ईमानदार लोगों की तकलीफ कम होना शुरू होगा। पचास दिन के बाद ईमानदार लोगों की तकलीफ कम होना शुरू होगा। और बेईमानों की तकलीफ बढ़ना शुरू होगा। अभी भी मैं बेईमानी करने वालों को कहना चाहता हूं। संभल जाइए लौट आईए देश के कानून को स्वीकार कीजिए नियमों को मानिये और हर नागरिक की तरह आप भी सुखचैन की जिंदगी जीने के लिए आइए। मैं आपको निमंत्रण देता हूं। ये सरकार आपको तबाह करने पर तुली नहीं है। ये सरकार आपको फांसी पर लटकाने के लिये तुली नहीं है। लेकिन गरीबों के जो हक का है वो तो आपको चुकाना ही पड़ेगा। आपको बख्सा नहीं जाएगा। अगर कोई मानता है कि पहले की तरह कोई रास्ता खोजकर के निकल जाएगा तो आपने गलत सोचा है। आपको पता होना चाहिए सरकार बदल चुकी है। आपको पता होना चाहिए तीस साल के बात हिन्दुस्तान की जनता ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई है। आपको पता होना चाहिए हिन्दुस्तान की जनता ने भ्रष्टाचार और काले धन को खत्म करने के लिए सरकार बनाई है और वो काम ये सरकार कर के रहेगी। और इसलिये भाइयों बहनों अब जो समय आ रहा वो बेईमानों की बर्बादी का वक्त प्रारंभ हो रहा है। देश की भलाई के लिए ये स्वच्छता का अभियान है। देश की भलाई के लिए साफ सुथरा सार्वजनिक जीवन हो। साफ सुथरा प्रशासन हो। विश्वास का वातावरण हो देश की हर निर्णयों की कीमत होनी चाहिए। उसका सम्मान होना चाहिए। भाइयों बहनों इस प्रकार का पाप करने की आदत मुट्ठी भर लोगों को है। लेकिन उसके कारण देश के कोटी कोटी लोगों को सहन करना पड़ता है। भाइयों बहनों अगर उनको मोदी का डर न लगता हो बेईमानों को तो न लगे, सरकार का डर नहीं लगता है, न लगे। लेकिन बेईमान लोगो इन सवा सौ करोड़ देशवासियों के मिजाज को कम मत आंकीये। उससे तो आपको डरना ही पड़ेगा। सवा सौ करोड़ देशवासियों का मिजाज बदला है। वे अन्याय सहने को तैयार नहीं हैं। बेईमानी सहने को तैयार नहीं भ्रष्टाचार स्वीकारने को तैयार नहीं हैं। काले धन के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए वो सेनापति बनकर निकले हुए हैं। और इसलिए भाइयों बहनों लड़ाई जीतने के लिए आप लोगों ने जो मुझे साथ और सहयोग दिया है। मैं आज इस मुंबई की धरती से महाराष्ट्र की धरती से क्षत्रपति शिवाजी महाराज के शिव स्मारक पर उसका शुभारंभ हो रहा है उस पल पर देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं ये लड़ाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक की हम लड़ाई जीतेंगे नहीं।

मैं फिर एक बार महाराष्ट्र सरकार का इस विकास के कामों में सहभागिता के लिए फडनवीस जी के नेतृत्व में एक दीर्घ दृष्टा महाराष्ट्र को सरकार मिली है विकास को समर्पित सरकार मिली है। चाहे किसानों के लिए पानी की प्रबंध की चर्चा हो, चाहे शहरों में Infrastructure की बात हो, चाहे नौजवानों के लिए skill development की बात हो, शिक्षा का क्षेत्र हो। हर प्रकार से महाराष्ट्र नई ऊंचाइयों को पार करने के लिये ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। मैं फडनवीस जी को उनकी पूरी टीम को हृदय से बहुत बहुत अभिनन्दन करता हूं। मेरे साथ बोलेंगे क्षत्रपति शिवाजी महाराज की, क्षत्रपति शिवाजी महाराज की, क्षत्रपति शिवाजी महाराज की, क्षत्रपति शिवाजी महाराज की, क्षत्रपति शिवाजी महाराज की बहुत बहुत धन्यवाद !