प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन एकीकरण की 25 वीं वर्षगांठ पर जर्मनी को बधाई दी
चांसलर मर्केल, आपका नेतृत्व यूरोप और दुनिया के लिए एक मुश्किल परिस्थिति में विश्वास और आश्वासन का स्रोत है: प्रधानमंत्री
भारत आर्थिक परिवर्तन की हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में जर्मनी को एक प्राकृतिक भागीदार के रूप में देखता है: प्रधानमंत्री
जर्मन की शक्तियां और भारत की प्राथमिकताएं आपस में जुड़ी हुई हैं: प्रधानमंत्री
भारत और जर्मनी विश्व के मानवीय, सतत, न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण भविष्य के लिए मजबूत सहयोगी हो सकते हैं: प्रधानमंत्री
स्मार्ट शहरों, स्वच्छ गंगा और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में जर्मनी के सहयोग और सहायता ने मूर्त रूप ले लिया है: प्रधानमंत्री मोदी
रक्षा उत्पादन, प्रौद्योगिकी, सूचना, आतंकवाद से मुकाबला हमारे व्यापक रिश्ते के महत्वपूर्ण सुरक्षा आयाम हैं: प्रधानमंत्री
अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता के लिए जर्मनी के मजबूत समर्थन का हम स्वागत करते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
भारत, जर्मनी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध: प्रधानमंत्री मोदी

चांसलर मर्केल,

जर्मन शिष्‍टमंडल के सदस्‍यों,

मेरे सह‍कर्मियों,

मीडिया के सदस्‍यों,

चांसलर एंजेला मर्केल तथा उनके प्रतिष्ठित शिष्‍टमंडल का भारत में अभिनन्‍दन करते हुये हमें बेहद प्रसन्‍नता हो रही है।

भारत के नागरिकों की ओर से मैं जर्मनी को जर्मनी एकीकरण की 25वीं वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई देता हूं। इस महत्‍वपूर्ण उपलब्धि पर, आप अपने देश तथा दुनिया भर में हासिल की गई अपनी उपलब्धियों की ओर बड़े गर्व से मुड़ कर देख सकते हैं। चांसलर मर्केल आपका नेतृत्‍व इस कठिन घड़ी में यूरोप तथा विश्‍व के लिये आत्‍मविश्‍वास तथा आश्‍वासन का एक स्रोत है।

अपने क्षेत्र में इतनी व्‍यस्‍तता होने के बावज़ूद आपने भारत दौरे का निर्णय लिया। आपके शिष्‍टमंडल की सशक्‍कता भारत के साथ अपने संबंधों को आपके द्वारा दिये जा रहे महत्‍व को प्रतिबिम्‍बित करती है और दर्शाती है कि अंतर-सरकारी परामर्शों को आप कितनी गंभीरता से लेते हैं। आपकी प्रतिबद्धता ही हमारे संबंधों की प्रगति की कुंजी है।

अंतर-सरकारी परामर्शों की प्रणाली निश्‍चय ही अनूठी है। और, इससे हमारे संबंधों का हर तरह से विकास हुआ है। इसके अलावा, गत वर्ष के दौरान, हमारे दो पहलुओं ने हमारे संबंधों को और प्रगाढ़ किया है। हम भारत के आर्थिक रूपान्‍तरण के स्‍वप्‍न को पूरा करने  में जर्मनी को अपने एक स्‍वाभाविक सहभागी के रूप में देखते हैं। जर्मनी की खूबियों और भारत की प्राथमिकताओं में एकरूपता नज़र आती है। और, उसी प्रकार हमारी परस्‍पर साख़ में भी।

हमारा ध्‍यान मुख्‍य रूप से आर्थिक संबंधों पर है। लेकिन, मेरा मानना है, कि बेजोड़ चुनौतियों तथा अवसरों की इस दुनिया में भारत तथा जर्मनी विश्‍व के लिये एक अधिक मानवीय, शांतिपूर्ण, न्‍यायपूर्ण तथा स्‍थायी भविष्‍य प्रस्‍तुत करने में सशक्‍त सहभागी हो सकते हैं। संबंधों का हमारा एक समृद्ध इतिहास रहा है।  हमारे संबंधों में मान्‍यतायें हैं, आश्‍वासन है और विश्‍व के प्रति जि़म्‍मेदारी का एक अहसास है।

आज हमने लगभग तीन घंटे की मुलाक़ात की। हम अपनी बातचीत यहां और कल बेंगलूरू में ज़ारी रखेंगे। अपनी चर्चाओं और उनसे निकले व्‍यापक परिणामों से मैं बेहद प्रसन्‍न हूं।

हमारे विकास कार्यक्रम के प्रति‍ जर्मनी की प्रतिक्रिया काफ़ी उत्‍साहजनक है। हम निवेश, व्‍यापार और निमार्ण, मूलभूत सुविधाओं तथा कौशल विकास में प्रौद्योगिकी सहभागिता बढ़ाने की दिशा में पूरे आत्‍मविश्‍वास से आगे बढ़ सकते हैं। जर्मन अभियांत्रिकी तथा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कौशल अगली पीढ़ी के उद्योग का सृजन कर सकते हैं, जो कि अधिक सक्षम, किफ़ायती तथा पर्यावरण अनुकूल होगा।

भारत में मौज़ूद 1600 जर्मन कम्‍पनियां, जिनकी संख्‍या निरन्‍तर बढ़ रही है, भारत में एक वैश्विक कार्य बल तैयार करने में सशक्‍त भागीदार होंगी।

स्‍मार्ट सिटीज़, स्‍वच्‍छ गंगा तथा अपशिष्‍ट प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में जर्मन सहयोग ने एक ठोस आकार ले लिया है। और, इसी तरह, अभियांत्रिकी से लेकर मानविकी तक शिक्षा में हमारे सहयोग ने भी। 

स्‍वच्‍छ ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन रोकने के प्रति कटिबद्धता में मैं जर्मन नेतृत्‍व की सराहना करता हूं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें हमारे विचारों में एकरूपता है और परस्‍पर सहयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन रोकने हेतु हम भारत-जर्मनी जलवायु एवं नवीकरणीय समझौते पर एक दीर्घावधि परिकल्‍पना तथा एक व्‍यापक कार्यक्रम पर सहमत हो गये हैं। मैं भारत के हरित ऊर्जा गलियारे के लिये जर्मनी द्वारा दी गई एक अरब यूरो से भी अधिक की सहायता और भारत में सौर परियोजनाओं को दिये गये एक अरब यूरो से भी अधिक के एक अन्‍य सहायता पैकेज को काफ़ी महत्‍वपूर्ण मानता हूं। हम स्‍वच्‍छ तथा नवीकरणीय ऊर्जा तथा ऊर्जा सक्षमता के क्षेत्र में अनुसंधान सहयोग को और प्रगाढ़ करने की मंशा रखते हैं। बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने हेतु हमें अपने मिज़ाज में भी बदलाव लाने की आवश्‍यकता है। 

पेरिस में ‘सीओपी 21’ से हम ठोस परिणामों की आशा रखते हैं, जो एक अधिक संवहनीय विकास मार्ग से गुज़रने हेतु, विश्‍व की वचनबद्धता तथा योग्‍यता को दृढ़ता प्रदान करेंगे, खासतौर से ग़रीब तथा कमज़ोर देशों को।

हमारी सहभागिता रक्षा निर्माण, उन्‍नत प्रौद्योगिकी, ख़ुफि़या जानकारी , आतंकवाद तथा कट्टरवाद रोकने जैसे क्षेत्रों में भी बढ़ेगी। ये हमारे विस्‍तृत होते संबंधों के महत्‍वपूर्ण सुरक्षा आयाम हैं।

अन्‍तर्राष्‍ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्‍यवस्‍था में भारत की सदस्‍यता को जर्मनी द्वारा दिये गये ठोस समर्थन का मैं अभिनंदन करता हूं। जैसा कि हमने न्‍यूयॉर्क में जी-4 वार्ता में चर्चा की थी, मैं और माननीया चांसलर संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधारों का अनुकरण करने हेतु कटिबद्ध हैं, खासतौर से इसकी सुरक्षा परिषद में।

इस क्षेत्र के विभिन्‍न मसलों पर हमारा एक समान नज़रिया है : पश्चिमी एशिया में अशांति, यूरोप के समक्ष चुनौतियां और एशिया-प्रशांत तथा हिंद महासागरीय क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को आकार देना। मैंने अफ़ग़ानिस्‍तान में शांति, सुरक्षा तथा विकास हेतु दिये गये इनके अमूल्‍य समर्थन के लिये इनका खासतौर से धन्‍यवाद किया है।

अन्‍तत:, जम्‍मू-कश्‍मीर में 10वीं शताब्‍दी में मां दुर्गा के महिसासुरमर्दिनी अवतार में बनी एक प्रतिमा को लौटाने के लिये मैं चांसलर मर्केल तथा जर्मनी के लोगों के प्रति विशेष आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मां दुर्गा बुराई पर अच्‍छाई की विजय का प्रतीक हैं।

इससे ये भी संकेत मिलते हैं, कि परिवर्तन तथा हलचल के इस युग में भारत-जर्मनी सहभागिता विश्‍व के लिये लाभदायक साबित होगी।

दोनों ही देशों की संस्‍कृति में एक कहावत समान है, कि मित्रता एक पौधे के समान है, जिसे सींचना पड़ता है। मुझे पूरा विश्‍वास है, कि इस असाधारण सत्र के बाद हमारी मित्रता का वृक्ष ख़ूब फ़लेगा-फ़ूलेगा।

धन्‍यवाद।