अभी मुख्यमंत्री जी बहुत सारे विषयों की चर्चा कर रहे थे। रोड नहीं हैं, अस्पताल नहीं हैं, फिल्म डिवीज़न का कुछ नहीं है। ये जब सारी बातें बता रहे थे, तो मुझे मन में बड़ा संतोष हो रहा था कि कम से कम इस मुख्यमंत्री को भरोसा है कि ये सरकार तो कुछ करेगी। और अगर मुख्यमंत्री का मुझ पर इतना भरोसा हो तो फिर मेरा भी मन करता है कि कुछ करना चाहिए। 

इन्होंने जो पोरबंदर सिल्चर रोड की बात कही। जब अटल जी की सरकार थी तो पोरबंदर में उस रोड के प्रारंभ का शिलान्यास मैंने ही किया था, मुख्यमंत्री के नाते। हो सकता है वैसा उद्घाटन करने के लिए मुझे ही यहां आना पड़ेगा। लेकिन, जितनी बातें मुख्यमंत्री जी ने बताई हैं, बहुत महत्वपूर्ण हैं और हम भी चाहते हैं कि पूरा North East ये हमारा अष्टलक्ष्मी का प्रदेश, विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे और इसलिए इस बजट में North East के करीब 60,000 करोड़ रूपए से ज्यादा बजट, इस बजट में हमने रखा था क्योंकि हम चाहते हैं कि यहां infrastructure पर बल दें। 

अभी मैं म्यांमार गया तो म्यांमार में जो हमारी bilateral बातचीत हुई, वहां की सरकार के साथ, उसमें अधिकतम चर्चा, इंफाल के साथ कैसे जुड़ना, उसी की हुई है। रोड connectivity हो, air connectivity हो, i-ways का लाभ मिले और म्यांमार सरकार भी सकारात्मक रूप से भारत के साथ infrastructure के काम में, इस इलाके के साथ जुड़ने में बहुत महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं। आने वाले दिनों में इसका परिणाम आपको ज़रूर नज़र आएगा। 

आज संगई festival में मुझे आने का इधर सौभाग्य मिला। हमारे देश में tourism के विकास के लिए बहुत संभावना है। विश्व के अंदर किसी देश में कोई tourist जाए और पूरा उस देश में उसको जितना देखने को मिले, जानने को मिले, उससे ज्यादा tourist को हमारे यहां एक एक state में मिल सकता है। एक राज्य में ही महीने भर वो चीज़े देख सकता है, गुन सकता, जान सकता है। और हर राज्य की विशेषता अलग है। यानी कभी-कभी एक tourist अगर हर वर्ष यहां आता है और हर वर्ष एक महीना बिताता है, तो भी एक जनम के अंदर पूरा हिंदुस्तान नहीं देख पाएगा, इतनी विविधताओं से भरा ये हमारा देश है। 

North-East में tourism की बहुत संभावनाएं हैं, मणिपुर में अनेक संभावनाएं हैं। अभी मुख्यमंत्री जी ने याद कराया था पोरबंदर और मैं गुजरात का हूं, याद कराया था। तो गुजरात में द्वारका भी है। जहां द्वारका है वहां कृष्ण हैं। और जहां मणिपुर है, वहां भी कृष्ण हैं। अभी मैंने कृष्ण को जिस रूप में यहां देखा, तो मैं उसी माहौल में पैदा हुआ, पला-बढ़ा हूं तो मुझे तो मणिपुर अपनापन सा महसूस होता है। 

दुनिया में 3 ट्रिलियन डालर की tourism business की संभावना नज़र आ रही है। दुनिया में सबसे तेज़ गति से अगर किसी क्षेत्र का विकास हो रहा है, तो tourism का हो रहा है। कुछ स्थानों पर 40 परसेंट ग्रोथ है tourism की। भारत के पास दूनिया को देने के लिए बहुत कुछ है, दिखाने के लिए बहुत कुछ है, उसको प्रभावित करने के लिए बहुत कुछ है, प्रेरित करने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन ये सारा हमारा क्षेत्र untapped पढ़ा हुआ है। हमारी कोशिश है कि भारत की जो विरासत है, विरासत के माध्यम से हम दूनिया को tourism के क्षेत्र में आकर्षित करें। 

अब मणिपुर, जिसने पोलो को जन्म दिया! कल आपका यहां पोलो का कार्यक्रम था, मैंने सुना यहां 8 देश के लोग उसमें थे। अब ये, ये आपकी विरासत है। ये दुनिया को कैसे पता चले, दुनिया उसे देखने कैसे आए? ये खेल यहाँ प्रारंभ हुआ, वो क्या था, दुनिया जाने तो! इसलिए मणिपुर का जो सामर्थ है, उस सामर्थ को देश भी जाने, दुनिया भी जाने। और उसमें मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिला करके काम करना चाहता हूं। 

मुझे अभी यहाँ के एचआरडी के विभाग के लोग मिले थे, तो मैंने उनसे कहा कि हिंदुस्तान में इतनी universities हैं, क्या हर university से साल में एक बार सौ नौजवान, ज्यादा नहीं कह रहा, सौ नौजवान North East में tourist के नाते जा सकते हैं क्या? आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर हिंदुस्तान की एक university के सौ युवक अगर यहां पर tourist के नाते आएं, North East के इन इलाकों में जाएं, सिर्फ university के स्टूडेंट के कारण यहां का tourism इतना बढ़ सकता है कि जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। 

उन्होंने इस दिशा में काम शुरू किया है, आने वाले दिनों में नज़र आएगा। यहां पर विविधता इतनी है और मणिपुर तो एक प्रकार से पूरे North East की सांस्कृतिक राजधानी के जैसा है ये प्रदेश। क्या नहीं है आपके पास! नृत्य है, नाट्य है, गीत है, संगीत है, कास्ट्यूम हैं, क्या नहीं है! यानी एक प्रकार से कला की अप्रतिम विरासत की यह धरती है। उस धरती को दुनिया देखे। मेरा आज इस संगई festival से जुड़ने के पीछे, देश को मुझे एक संदेश देना है, कि एक जगह है जहां प्रधानमंत्री जाने को लालयित है, आप भी जाइए। 

कभी-कभी लोग सोचते हैं कि infrastructure होगा तो tourist आएंगे। कोई कहता है कि tourist आएंगे तो infrastructure होगा। दानों बातों में वजन है। लोग आना शुरू करेंगे तो व्यवस्थाएँ विकसित होने लगेंगीं। व्यवस्थाएं विकसित होने लगेंगी, तो लोग आने वाले बढ़ते जाएंगे। और धीरे-धीरे समाज के अंदर अपनेआप एक ताकत होती है वो progressively इन चीज़ों का develop करते हैं, हमने थोड़ा बस friendly environment create करना होता है। 

अगर उचित connectivity मिल जाए तो यहां टूरिस्टों का तांता लग रहेगा। मुझे विश्वास है कि tourism ऐसा क्षेत्र है जो कम से कम पूंजी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोज़गार देता है। बहुत पूंजी नहीं लगानी पड़ती। Tourism ऐसा है- चना-सेव बेचने वाला भी कमाता है, पापड़ बेचने वाला भी कमाता है, आटो रिक्शा वाला भी कमाएगा, फूल पौधे बेचने वाला भी कमाएगा, सब्जी बेचने वाला भी कमाएगा, टैक्सी वाला भी कमाएगा, छोटे-छोटे guest-house लेकर के बैठे होंगे वो भी कमाएँगे, home stay की जो व्यवस्था करते होंगे वो भी कमाएंगे, चाय वाला भी कमाएगा। चाय वाला कमाए तो मुझे जरा ज्यादा आनंद होता है। 

कहने का तात्पर्य यह है कि गरीब से गरीब को रोज़गार मिलता है। भारत सरकार ने तय किया है, मणिपुर की ताकत का परिचय करते हुए, हमने निर्णय किया है कि मणिपुर में sports university बनेगी। एक प्रकार से विश्व में खेल-कूद की दुनिया में भारत का नाम कमाने में मणिपुर का बहुत बड़ा योगदान है। मणिपुर के पास ये जो ताकत है, उस ताकत के लिए भारत सरकार जो भी कर सकती है करना चाहती है। क्योंकि यहां inherent यहां के डीएनए में खेल कूद है। मणिपुर में sports है, इतना ही नहीं, मणिपुर में sportsmen spirit भी उतना ही ज्यादा है। पूरे मणिपुर में sportsmen spirit है। और इसलिए, यह पूरे भारत के लिए प्रेरणा बने, ये हमारा प्रयास है। 

कुछ लोगों के दिमाग में ये सोच होती है कि sports university बनती है, मतलब कि अच्छे खिलाड़ी तैयार होते हैं। ऐसा नहीं है। Sports एक बहुत बड़ी economy है। मैदान तैयार करने से ले करके, score board लिखने वाले लोग, उसके data collection करने वाले लोग, food habits की चिंता करने वाले लोग, physiotherapy की चिंता करने वाले लोग, sports के आवश्यक costume बनाने वाले लोग, यानी खेल-खिलाड़ी के पीछे हज़ारों प्रकार के अलग व्यवसाय होते हैं। मुझे मणिपुर के नौजवान - जो खुद शायद खिलाड़ी नहीं बन पाए होंगे, लेकिन वो खेल की दुनिया में पले-बढ़े इसलिए sports university में उनकी प्रोपर ट्रेनिंग से वे कहीं umpire बन सकते हैं, कहीं scorer बन सकते हैं, कहीं बढ़िया sportsman के physiotherapist बन सकते है, कहीं बढ़िया sportsman के dietitian बन सकते हैं, मैदानों की रचना करने वाले बन सकते हैं, मैदान के आर्किटेक्ट बन सकते हैं। एक प्रकार से सर्वांगीण विकास की संभावनाएं स्पोट्र्स युनिवर्सिटी के साथ जुड़ी हुई हैं। वरना कुछ लोगों को लगता है, sports university यानी कि अच्छा चलो यहां खिलाड़ियों की ट्रेनिंग होगी। ऐसा नहीं है। एक पूरा विज्ञान है। एक पूरा अर्थशास्त्र है। एक पूरी रचना - और उसमें technology है, arithmetic है, सब चीज़ है। आप कल्पना कर सकते हैं कि मणिपुर के जीवन में एक university कितना बड़ा बदलाव लाएगी। 

मैं अभी आस्ट्रेलिया गया था, मैंने आस्ट्रेलिया से कहा है कि हमारे मणिपुर में हम जो sports university बना रहे हैं, आस्ट्रेलिया हमारे साथ जुड़े। दुनिया के देशों को मैं यहां जोड़ना चाहता हूं, और उसका लाभ आने वाले दिनों में मिलेगा। 

मणिपुर में यहां के नौजवान को रोज़गार चाहिए और रोज़गार के लिए skill development का महात्मय होना चाहिए। अगर skill development होता है तो उसको अपने आप रोज़गार मिल जाता है। हम skill development पर बल देना चाहते हैं। मैं अभी IT professional से मिला था। मैंने उनको कहा कि आपके call center वगैरह हैदराबाद और बैंगलोर में क्यों चलाते हो? ये मणिपुर में भी चल सकता है, ये नागालैंड में चल सकता है, मेघालय में, मिजोरम में चल सकता है। यहां तो मौसम ऐसा है, कि एयरकंडीशन की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी और यहां के बच्चे English speaking हैं सब, अंग्रेज़ी भाषा जानते हैं। कम से कम खर्च से आप दुनिया के अंदर बढ़िया से बढ़िया call center यहां खड़े कर सकते हो। मैं इसके पीछे लगा हूं, दोस्तों! मैं देखूंगा, किसी न किसी को यहां खींच लाउंगा। इसके कारण यहां के नौजवानों के लिए रोज़गार की संभावनाएं बहुत बढ़ेंगी, उसको मणिपुर छोड़कर जाना नहीं पड़ेगा। 

मैंने एक ये भी सोचा है कि दिल्ली पुलिस में विशेष रूप से North East के बच्चों को पुलीस के रूप में भर्ती किया जाए, उनको अवसर दिया जाए। देश की राजधानी में North East के बच्चे पुलिसिंग करते हों तो पूरी दूनिया को पता चले कि North East के नौजवान हमारी पूरी दिल्ली को कैसे संभालते हैं, उस दिशा में मैं काम करना चाहता हूं। 

मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था तो इच्छा थी मेरी, जो अधूरी रह गई। अब शायद मैं फिर से कोशिश करूंगा, पूरी हो जाए। मैंने एक इच्छा व्यक्त की थी कि North East के सभी मुख्यमंत्रियों के सामने, जब मैं मुख्यमंत्री था। मैंने कहा था कि North East के हर राज्य से 200 women पुलिस, सब states से 200 women पुलिस, 8 state हैं तो 1600 women पुलिस, दो साल के लिए मैंने कहा, गुजरात में मुझे दीजिए और हर दो साल नई बैच देते रहिए। यानी एक प्रकार से यहां की 1600 बच्चियां दो-दो साल के लिए वहां आएं, पुलिस में काम करें। आप बताइए, कितना बड़ा national integration होगा। 

मैंने ये भी कहा था उस समय कि “Gujaratis are the best tourists”. आप दुनिया में कहीं पर भी जाओ, ‘केम छो’ मिल ही जाएगा। वो ऐसे ही इधर-उधर दुनिया भर में घूमते रहते हैं। पैसे बहुत हैं, खर्च करते रहते हैं। मैंने कहा, ये 1600 बच्चियां गुजरात में पुलिस से नाते रहेंगी, दो साल तो उसको 15-20 परिवारों से तो परिचय हो ही जाएगा। और पक्का! वो 15-20 परिवार यहां पर टूरिस्ट के नाते आएंगे। क्या इन सब चीज़ों को बढ़ावा दिया जा सकता है? मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री को कहा है कि मेरा ये प्रस्ताव है कि अगर अभी भी North East से लोग आना चाहते हैं तो गुजरात इनको सलामी के लिए तैयार है। आप कल्पना करिए, कितना बड़ा परिवर्तन आएगा। एक समृद्ध राज्य के साथ, यहां के लोग जुड़ें, कितना परिवर्तन आएगा। 

इसलिए मणिपुर के मेरे भाईयों बहनों! ये संगई समारोह के समापन पर मुख्यमंत्री जी ने जितने विषय रखे हैं, और स्वाभाविक है, मुझ पर भरोसा करके रखे हैं, तो मैं इस भरोसे को निभाने का पूरी तरह प्रयास करने वाले इंसानों में से हूं। उन्होंने जितनी बातें रखी हैं, मैं वहां जा करके डिपार्टमेंट को कहूंगा कि “ज़रा देखिये क्या है इसमें, क्या हो सकता है।“ उसी प्रकार, और जो बातें मैंने बताई हैं, उनको पूरा करने का मेरा प्रयास रहेगा, और मैं चाहूंगा, मणिपुर ने खेल के मैदान में जिस प्रकार से हिंदुस्तान का नाम रौशन किया है, वो विकास के क्षेत्र में भी हिंदुस्तान का सिरमौर बने। 

एक बात की चिंता मुझे सता रही है। वो चिंता मैं व्यक्त करना चाहता हूं। जब मैं सुनता हूं कि मणिपुर का नवयुवा, ड्रग्स का शिकार हुआ है, ये बात मुझे बहुत पीड़ा देती है। उन मां-बापों के प्रति मुझे मन में भारी संवेदना है। ये हम सब का दायित्व है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम बरबाद न होने दें। हमारे युवकों को तबाह न होने दें। ये रास्ता खतरनाक है। कोई इंसान बरबाद होता है, ऐसा नहीं है, पूरा परिवार तबाह हो जाता है, पूरा परिवार तबाह होता है, ऐसा नहीं है, पूरा समाज और राज्य तबाह हो जाता है। 

इसलिए हम एक सामूहिक जिम्मेवारी उठाएं। ये मणिपुर, जहां भगवान कृष्ण की धरती रही है, जहां कृष्ण की लीला होती है, मणिपुर, जहां हिंदुस्तान को उत्तम से उत्तम खिलाड़ी मिलते हैं, उस मणिपुर में ये बिमारी नहीं होनी चाहिए। ये बिमारी से मणिपुर मुक्त होना चाहिए। यहां का नौजवान मुक्त होना चाहिए। भारत के नाम को अब रौशन करने की ताकत मणिपुर के नौजवान में है। ड्रग्स उसको तबाह कर जाएगा और इसलिए मैं आज जब संगई जैसे एक पवित्र माहौल में आया हूं तब मैं मणिपुर के युवकों से आग्रह कर रहा हूं। मैं जानता हूं, इस आदत में फंसे हुए लागों को निकलना मुश्किल है, लेकिन एक बार फैसला कीजिए, निकल जाओगे दोस्तों! एक बार अपने आपको बचा लीजिए, आपका और आपके परिवार का भला हो जाएगा।

इतनी अपेक्षा के साथ, मैं फिर एक बार, मणिपुर में मुझे आने का अवसर मिला, आप सबने मेरा स्वागत किया, सम्मान किया, मैं आप सबका बहुत बहुत आभारी हूं। धन्यवाद। 

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