नोमष्कार! खुलुम खा जोतो नोनो! भाईयों बंधुरा, बंग्लादेशेर विशिष्ट अथिति गण, आपना देर सवाईके अमार आंतरिक शुभेच्छा!
मैं पिछले तीन दिन से North East में भ्रमण कर रहा हूं। शायद देश के किसी प्रधानमंत्री को एकसाथ इतना लंबा समय North East के लोगों के बीच बिताने का सौभाग्य नहीं मिला होगा, जो सौभाग्य मुझे मिला है। मेरी यात्रा का ये आखिरी कार्यक्रम है। North East के नागरिकों ने मुझे जो प्यार दिया, सम्मान दिया, सत्कार दिया, उसके लिए उन सभी राज्यों के नागरिकों का मैं हृदय से अभिनंदन करता हूं, आभार व्यक्त करता हूं।
North East में मेरा पहला कार्यक्रम था जो गति से जुड़ा हुआ था और आखिरी कार्यक्रम है जो उर्जा से जुड़ा हुआ है। विकास करना है तो उर्जा भी चाहिए, गति भी चाहिए, और दिशा भी चाहिए और इसलिए हमने North East की दिशा को पकड़ा है। Look East Policy की चर्चा - अब वक्त आया है - Look East Policy से आगे Act East Policy का। उसी के तहत इस पूरे North East क्षेत्र के विकास के लिए तेज़ गति से हम आगे बढ़ना चाहते हैं।
आज त्रिपुरा में भारत सरकार, राज्य सरकार इन सबके सहयोग से पूरे North East का सबसे ज्यादा capital investment वाला ये project 10,000 करोड़ Rs., 726 मेगावाट पॉवर - और ये भी इतने छोटे से राज्य में इतना बड़ा कार्यक्रम, इतना बड़ा पूंजी निवेश, इतना बड़ा बिजली का उत्पादन -लेकिन ये विश्व के नक्शे पर भी जगह बनाने वाला है। क्योंकि पूरा विश्व climate change की परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए जिस दिशा में काम कर रहा है, Kyoto protocol की जो चर्चा हो रही है - उन सारे norms का पालन त्रिपुरा के इस project में हो रहा है और उस प्रकार से विश्व में Green Energy Movment के क्षेत्र में त्रिपुरा आज अपना नाम दर्ज करा रहा है।
अभी-अभी SAARC Summit हुई थी। बंग्लादेश की प्रधानमंत्री बेगम हसीना जी भी वहां मौजूद थीं। SAARC Summit में एक महत्वपूर्ण निर्णय किया गया है कि सार्क के देश Energy के क्षेत्र में साथ मिल करके, एक दूसरे के लिए उपयोगी हो करके Energy को एक common commodity के रूप में कैसे उपयोग करें, इस पे सहमति हुई है।
जब सार्क देशों की सहमति हुई है तो मैं आज बंग्लादेश से अनुरोध करता हूं, मैं उनको offer करता हूं कि अगर बंग्लादेश भारत से बिजली खरीदना चाहता है तो भारत बंग्लादेश को बिजली देने के लिए तैयार है। हम उस स्थिति में पहुंचे हैं। और मैं उस जगह से घोषणा कर रहा हूं, ये वो ही जगह है, ये वो ही इलाका है, जहां के लोगों ने 1971 में, बंग्लादेश का जब मुक्ति आंदोलन चलता था, तब उनके दुख के साथ दुखी, उनके सुख के साथ सुखी, ये भूमिका इस क्षेत्र के लोगों ने निभाई थी। हमारे बंग्लादेश के मंत्री श्री मुझे कह रहे थे कि “मैं 41 साल के बाद यहां आ रहा हूं। ‘71 में बंग्लादेश का जब मुक्ति आंदोलन चल रहा था, तब मैंने यहां आकर आश्रय लिया था। आज मैं दोबारा यहां आया हूं”, वो संतोष की अनुभूति कर रहे थे।
अभी मुख्यमंत्री जी fertilizer के कारखाने के संबंध में petroleum sector की नई नई योजनाओं के संबंध में विषय रख रहे थे। हम भी चाहते हैं कि हम उर्जा के क्षेत्र में गैस पर आधारित हमारी economy को कैसे develop करें। इस बार ओएनजीसी ने गैस उत्पादन के क्षेत्र में अपने बजट को डबल कर दिया है, ताकि उसके कारण, खास करके त्रिपुरा जैसे क्षेत्र, जहां गैस के भंडार पड़े हैं, उसका सर्वाधिक उपयोग करके हम पूरे देश की economy को कैसे बदल सकें। उर्जा के माध्यम से पूरे North East के नौजवानों को रोज़गार मिलने की पूरी संभावनाएं उसमें निहित हैं, और उस पर हम बल देना चाहते हैं।
उसी प्रकार से कुछ दिन पहले मैं जापान गया था, जापान सरकार के साथ हमने एक एग्रीमेंट किया है। उस एग्रीमेंट का लाभ भी North East के लोगों को होने वाला है, त्रिपुरा के नौजवानों को होने वाला है। हमने जापान के साथ पूरे North East में म्यांमार तक एक economical corridor बनाने का संयुक्त प्रयास करने का निर्णय किया है। इसके कारण यहां पर तेज़ गति से आर्थिक विकास हो, जापान हमारे साथ उसमें सहयोग करे, उस पर हम बल दे रहे हैं। मेरी दृश्टि से अब North East भारत के दूर-सुदूर क्षेत्र का एक उपेक्षित इलाका नहीं रहने वाला है। अब North East, जिसका भविष्य उज्जवल है। 21वीं सदी एशिया की सदी कही जाती है। अगर 21वीं सदी एशिया की सदी है तो North East एशिया का प्रवेश द्वार है और एक प्रकार से समृद्धि का प्रेवश द्वार भी North East में बनने की पूरी संभावनाएं मैं देख रहा हूं। इसलिए, एक लंबी सोच के साथ, यहां infrastructure को कैसे बल मिले, रेल connectivity हो, रोड connectivity हो, digital divide खत्म हो, सामूद्रिक मार्ग का लाभ मिले, जैसा अभी मुख्यमंत्री जी कह रहे थे, इन सारी बातों का एकसूत्री कार्यक्रम ले करके। और वो एकसूत्री कार्यक्रम है - आधुनिक से आधुनिक infrastructure बना करके, पूरे North East के विकास के नए क्षितिजों को खोल देना।
मैं आज, बंग्लादेश की प्रधानमंत्री का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं क्योंकि इस project को बनाने में, हमें जो मशीनरी यहां लानी थी - अगर बंग्लादेश का हमें जिस तरह से सहयोग मिला, वो न मिलता - तो ये काम करने में बहुत दिक्कत रहती। बंग्लोदश ने जो सहयोग किया, इसके लिए मैं उनका आभारी हूं। ये एक ऐसा project है, जिसमें, दो देश मिल करके कितना काम कर सकते हैं, इसका ये उदाहरण है। और आगे चल करके, सार्क देशों के लिए ये एक संदेश है कि दो पड़ोसी देश मिल करके काम करें तो त्रिपुरा में से कितनी बड़ी उर्जा पैदा हो सकती है, ये सार्क देशों के लिए एक सकारात्मक संदेश देती है, ये घटना।
इतना ही नहीं, राज्यों के बीच में भी अगर coordination हो, सहयोग की भावना हो, एक दूसरे के साथ मिल करके काम करें तो कितना बड़ा फायदा हो सकता है। ये ऐसा project है, त्रिपुरा का जिसमें North East के सभी राज्यों ने मिल करके transmission काम से लिए एक संयुक्त जिम्मा लिया है। राज्य मिल करके किसी काम की जिम्मेवारी उठाएं, ये अपने आप में विकास के लिए एक नई आशा पैदा करने वाली घटना है। मैं North East के सभी मुख्यमंत्रियों को ये सहयोगपूर्ण निणर्य करने के लिए, उसको आगे बढ़ाने के लिए, मैं हृदय से बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं, और इस प्रकार का सहयोग का वातावरण। और हमारा तो मंत्र है- सबका साथ, सबका विकास। इसी को लेकर हम आगे चलें तो हम नई नई सिद्धियों को प्राप्त कर सकते हैं।
पूरे North East में एक ऐसा क्षेत्र है, जिस पर ध्यान देने की मुझे आवश्यकता लगती है। हमारे देश में हम तिरंगे झंडे का सम्मान करने वाले लोग हैं, तिरंगे झंडे का गौरव करने वाले लोग हैं। लेकिन, मैं तिरंगे झंडे से प्रेरणा ले करके चतुष्क्रांति की चर्चा करना चाहता हूं। चहुंमुखी क्रांति की चर्चा करना चाहता हूं।
एक है- Green Revolution, हमारे तिरंगे झंडे का color है, green । उस तिरंगे झंडे का एक कलर green, हमें संदेश देता है green revolution का। Second Green Revolution! लेकिन Second Green Revolution में भी North East especially focus करके organic farming की ओर अगर जाएं तो पूरी दूनिया में North East का agriculture product पूरे विश्व के बाज़ार को अपना बना सकता है, इतनी संभावनाएं पड़ी हैं और उस पर हम बल देना चाहते हैं।
दूसरा है- सफेद रंग। आज भी North East में Milk revolution के लिए बहुत संभावनाएं पड़ी हैं, animal husbandry की बहुत संभावनाएं पड़ी हैं। हम उस दूसरे रंग पर भी बल दें और हम उस milk revolution में कैसे जाएं।
तीसरा है- भगवा रंग। मैं Saffron Revolution की बात करना चाहता हूं। green revolution, white revolution चाहिए, saffron revolution भी चाहिए। मैं जानता हूं, कुछ लोग, जब saffron revolution की बात करूंगा तो उनके कान खड़े हो गए होंगे। उनको ज़रा परेशानी होती होगी कि मोदी क्या लाया! उर्जा का रंग है- saffron. इसलिए मैं जब saffron revolution की बात करता हूं, मैं उर्जा क्रांति की बात करता हूं। Solar radiation से हम लाभान्वित लोग हैं। हम सोलर एनर्जी को बल कैसे दें? हम renewable energy को बल कैसे दें? हम गैस पेज economy में उर्जा को कैसे ले जाएं हम एक over all solution उर्जा के क्षेत्र में कैसे करें? उसके लिए आगे बढ़ना चाहते हैं।
और चौथा! चौथा, हमारे तिरंगे के अंदर blue रंग का अशोक चक्र है। ये blue रंग पानी की ताकत को दर्शाता है, सामुद्रिक शक्ति को दर्शाता है। हमारी सामूद्रिक शक्ति कैसे बढ़े? उसी प्रकार से पूरे North East में पानी भरपूर मात्रा में है। बह्मपुत्र से भरा हुआ इलाका है। पहाड़ों में से झरने बहते रहते हैं। हमारी economy को बदलने के लिए, ये Blue revolution हम कैसे करें? उसे एक शक्ति का स्रोत मान करके, हम उसे कैसे आगे ले जाएं?
ये चहुंमुखी क्रांति को ले करके हम त्रिपुरा के भी भाग्य को बदलें, पूरे North East के भाग्य को बदलें, यहां के नौजवानों को रोज़गार मिले, उस दिशा में हम कैसे आगे बढ़ें।
हिंदूस्तान में प्राकृतिक संपदा के लिए, tourism के विकास के लिए, जितनी संभावनाएं North East के पास हैं, उतनी शायद हिंदुस्तान के किसी और क्षेत्र के पास नहीं हैं। कितनी bio-diversity से भरा हुआ है! पूरे हिंदुस्तान को हमने आकर्षित करना है। और इसके लिए connectivity पर बल देना है। रेल के माध्यम से connectivity पर बल देना है। रोड के माध्यम से connectivity पर बल देना है। Waterway का उपयोग करते हुए हमें connectivity को बढ़ाना है। और इस प्रकार से, त्रिपुरा समेत ये पूरा क्षेत्र विकास कि नयी ऊँचाइयों को पार करे, उस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं।
आज 726 MW का ये पॉवर प्रोजेक्ट पूर्ण हो रहा है। प्रथम चरण जब हुआ तब आदरणीय राष्ट्रपति जी यहाँ आये थे, आज सम्पूर्ण होने के समय मुझे यहाँ आने का सौभाग्य मिला है। राष्ट्र की उर्जा को बढ़ाने में त्रिपुरा के योगदान का मैं गौरव से स्वागत करता हूं और राष्ट्र को ये project समर्पित करते हुए मन में बड़े संतोष के भाव के साथ आगे बढ़ रहा हूं और फिर एक बार! बंग्लादेश का आभार व्यक्त करता हूं और बंग्लादेश को offer करता हूं कि बंग्लादेश की जो उर्जा की ज़रूरत है, अब भारत उस स्थिति में है कि हम बंग्लादेश को बिजली बेच सकते हैं। बंग्लादेश को भी उजाला पहुंचाने का काम भी भारत कर सकता है।
बहुत बहुत धन्यवाद।
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मध्य वर्ग के लिए आर्थिक लाभ