ये निर्माण का एक बड़ा ही अनोखे प्रकार का मॉडल है। मालिक द्वारा संचालित पुनर्निर्माण परियोजना है। गुजरात में 2001 के भूकंप के बाद यह विचार आया था और जब श्रीलंका में सुनामी आई तब श्रीलंका का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल गुजरात आया था। वे इस बात का अध्ययन करना चाहते थे कि पुनर्निर्माण कैसे किया जाए और इसके लिए जब वे गुजरात आये तब उन्होंने मालिक द्वारा संचालित यह परियोजना देखी। वे बहुत उत्साहित थे और मैं खुश हूं कि आज यहां पर यह मालिक संचालित पुनर्निर्माण परियोजना का कार्यान्वयन किया गया है।
इस Project के तहत 27,000 घर बनाने की योजना है, 27,000 परिवारों बसाने की योजना है। मतलब ये हुआ उस परिवार के जो छोटे-छोटे बच्चे हैं, ऐसे 27,000 परिवार के 50 हजार से ज्यादा बच्चे, उनका भाग्य बनाने का ये एक प्रयास है।
ये घर, ईंट और पत्थर से बनी हुई दीवारें सिर्फ नहीं है। ये घर किसी कारीगर की बनाई हुआ कोई इमारत नहीं है। एक प्रकार से भारत और श्रीलंका को, श्रीलंका के दुखी परिवारों को, जाफना के दुखियारों को, उनके दुख-दर्द में शरीख होने का, उनको मदद करने का और उनके जीवन में खुशहाली लाने का एक नम्र प्रयास है।
जिस परिवार का, जिस मकान का, आज लोकार्पण की पूजा हो रही थी। मैंने उस बच्ची की पूछा, बेटी कैसा लगता है? तो अपना घर देखकर वो इतनी खुश थी। मैंने उससे पूछा कि तुम जिंदगी में क्या बनना चाहती हो? उसने जो जवाब दिया, उसमें कितनी समझदारी है और कितना दायित्व है? उस छोटी बच्ची ने मुझे कहा, “मैं Teacher बनना चाहती हूं”।
भारत ने तो हजारों घर बनाए हैं। हमें इसका संतोष है। लेकिन उस बच्ची के जवाब से मुझे लगता है, वो जब Teacher बनेगी, इन घरों में रहने वाली बच्चियां Teacher बनेंगी तब वो - हम तो शायद घर बना पाएंगे - लेकिन वो आने वाले दिनों में लाखों लोगों की जिंदगी बना पाएगी।
मैं इन सभी परिवारों को, जिनको आज अपना घर मिल रहा है, अपनी शुभकामनाएं देता हूं। और मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे इस मकान में अपने सपने को संजोएं, खुशहाल जिंदगी जीएं, बहुत प्रगति करें, उनके बच्चे पढ़-लिखकर के बहुत आगे बढ़ें और श्रीलंका की सेवा करने की एक मजबूत नींव बनें। ये ही मेरी उन सबको शुभकामनाएं हैं।
Second Phase में 45,000 मकान, उसको भी हम आगे बढ़ाने वाले हैं। 26 हजार मकानों का काम पूरा हुआ है और आगे का काम भी बहुत जल्दी से हम पूरा करेंगे। ये मैं जाफनावासियों को विश्वास दिलाता हूं। चार हजार मकान Central Yuva Province, वहां भी उसका काम बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा।
मैं फिर बार जाफना के सभी भाईयों-बहनों को बहुत अच्छी सुखी जिंदगी के लिए शुभकामनाएँ देता हूं और श्रीलंका की प्रगति के लिए, मेरी तरफ से, भारत की तरफ से हमेशा साथ और सहयोग रहेगा, ये विश्वास दिलाता हूं।
श्रीलंका की मेरी दो दिवसीय यात्रा का एक प्रकार से ये आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम है। और मेरी लिए खुशी की बात है कि मेरी ये जो दो दिवसीय यात्रा का आखिरी कार्यक्रम है वो दुखियारों के आंसू पोंछने का कार्यक्रम है। मुसीबत में जिदंगी गुजारने वालों को एक नई आशा, नया विश्वास पैदा करने का कार्यक्रम है। और इस कार्यक्रम से मुझे सर्वाधिक संतोष हो रहा है।
मैं आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद।