मंच पर उपस्थित रक्षा मंत्री श्री मनोहर परिकर जी, रक्षा राज्‍य मंत्री श्रीमान इंद्रजीत जी, आर्मी, नेवी, एयरफोर्स के तीनों अध्‍यक्ष, NCC के मुखिया और देशभर से आए हुए NCC के सभी Cadets, पड़ोसी देशों से आए हुए हमारे सभी Cadet मेहमान, विशाल संख्‍या में उपस्थित भाईयों और बहनों। 

मुझे भी आज बचपन की यादें ताजा हो गई, क्‍योंकि मैं भी NCC में Cadet रहा, हमारे रक्षा मंत्री भी NCC के Cadet रहे हैं, हमारे रक्षा राज्‍य मंत्री भी NCC के Cadet रहे हैं, हमारे देश की प्रथम विदेश मंत्री महिला सुषमा जी भी Cadet थी। सीने जगत में जय बच्‍चन जी हैं वो भी कभी NCC की Cadet हुआ करती थी। इन दिनों खेल जगत में हिंदुस्‍तान का नाम रोशन करने वाले अंजलि भागवत हो, लज्‍जा गौस्‍वामी हो, ये लोग भी कभी न कभी NCC के Cadet रहे हैं। जिन्‍होंने बाद में पुलिस बेडे में सर्विस की.. किरण बेदी जैसे बहुत लोग है, जो पहले NCC के कैडेट रहे हैं। 

तो मेरे लिए सौभाग्‍य की बात है कि जहां से मुझे देशभक्ति के और समूह जीवन के संस्‍कार मिले उस माहौल में दोबारा एक बार आप सबके बीच आने का अवसर मिला है। मैं NCC कैडेट रहा लेकिन दिल्‍ली आने के लिए हमारा selection कभी नहीं हुआ। और इसलिए मैं समझ सकता हूं कि आपका selection हुआ होगा तो आपने वहां अपने आप को किस प्रकार से प्रस्‍थापित किया होगा। 

जब मैं स्‍कूल में पढ़ता था तो हमारे स्‍कूल से एक सुमन चौधरी नाम का लड़का Cadet था, उसको दिल्‍ली आने का मौका मिला था 26 जनवरी के दिन। और वो हमारे स्‍कूल का हीरो था। जब वो दिल्‍ली से वापस आया सारा स्‍कूल उसको मिलने जाना, पूछने जाना, अनुभव सुनना और हम उसे देखकर बड़ा गौरव अनुभव करते थे, क्‍योंकि वो हमारे स्‍कूल से 26 जनवरी को यहां आया था। आप लोग भी जिन लोगों के बीच से यहां आए हैं वहां भी आपके लिए एक गौरव का माहौल होगा। जब आप जाएंगे तो बहुत सी बाते आपसे वो पूछना चाहेंगे। 

आप लोग अब घर जाने के लिए बड़े उत्‍सुक भी होंगे, इच्‍छुक भी होंगे। आपको लगता होगा जल्‍दी छुट्टी हो जाए अच्‍छा होगा। जो लोग राजपथ पर जाते थे, रात में एक बजे उठना, तीन बजे जाकर के practice करना। जिनको राजपथ के लिए मौका नहीं मिला था उनको पांच बजे उठना और दिल्‍ली की इस ठंड में क्‍या-क्‍या अनुभव नहीं किया होगा आपने, और कभी सोचते भी होंगे अच्‍छा हो कल सुबह पेट में दर्द हो जाए। अच्‍छा हो सुबह उठाने वाले यह कमरा भूल जाए। बहुत सी बाते मन में आई होगी। लेकिन आज बार जब मैदान में आते होंगे फिर वही जज्‍बा, वही उमंग, वही तरंग, वही उत्‍साह। 

एक प्रकार से मेरे सामने लघु भारत है और भारत के भविष्‍य का लघु रूप है। एक Cadet के रूप में जब हम समूह जीवन का अनुभव लेते हैं चाहे अपने राज्‍य में समूह जीवन का अनुभव हो, या पूरे राष्‍ट्र के लोगों के बीच में हो। तब हम एकता के सूत्र की अनुभूति करते हैं। हम NCC में समाज जीवन में यह सुनते आते हैं - कच्‍छ हो या कोहिमा, अपना देश अपनी माटी। विविधताओं से भरा हुआ अपना देश। जब तक अपने देश के अन्‍य लोगों से मिलते नहीं है या वहां जाते नहीं है। हमारा देश कितनी विविधताओं से भरा हुआ है। और विविधताा में एकता यही हमारे देश का सौंदर्य है, यही हमारे देश की ताकत है, यही हमारे देश की स्‍मृद्धि है और वही हमें सदा सर्वदा एक नई प्रेरणा भी देती है। 

स्‍वामी विवेकानंद जी के जीवन को हम जानते हैं। उन्‍होंने पूरे भारत का एक परिराजक के रूप में भ्रमण किया था। वो देश को आत्‍मसात करना चाहते थे। महात्‍मा गांधी अफ्रीका से आए तो उन्‍होंने ट्रेन में पूरे हिंदुस्‍तान का भ्रमण किया। वे पूरे भारत को आत्‍मसात करना चाहते हैं, हिंदुस्‍तान के हर साथ को वो जी लेना चाहते थे। अब्‍दुल कलाम जी की अगर आप जीवन चरित्र पढ़ोगें तो वो भी कहते हैं कि अपने गांव में पहली बार जब दिल्‍ली जाने के लिए निकला तो कितने परिवेश, कितने प्रकार के खान-पान कितने प्रकार की बोलियां - मुझे एक भारत का एहसास हुआ। उसी प्रकार से आपको इस एक महीने में एक संपूर्ण भारत उसकी विविधताओं का एहसास होगा और यह एहसास आपके अपने भीतर को विशालता की ओर ले जाता है। छोटे दायरे से बहुत बड़े विशाल फलक पर ले जाता है। अपने आप में एक संस्‍कार होते हैं। औरो के साथ जीना, औरो को जानना, ये भी अपने आप में बहुत बड़ा कौशल्‍य होता है. और ये इस disciplined life के दौरान हमे एक हमें जीने का अवसर मिलता है। 

जब हम परेड करते हैं तो सिर्फ कदम नहीं मिलते हैं। जब कदम मिलते हैं तो मन भी मिलता है और जब कदम मिल जायें मन मिल जाये तो मकसद भी मिल जाता है और इसीलिए... और वही मकसद होता है जो हमे आगे जाने की प्रेरना देता है, ताक़त देता है। 11 लाख से भी अधिक कैडेट एक साथ discipline के साथ यूनिफार्म के लाइफ के साथ और भारत में सीमा पर रक्षा करने वाले अपने जवान उनके प्रति एक एकात्मता की अनुभूति करता है। स्कूल में विद्यार्थी NCC की यूनिफार्म पहनता है तो मन से उसे लगता है मैं भी भारत माता की रक्षा करने वाले सीमा पर बैठे हुए उसी में से एक हूँ। ये जो राष्ट्र रक्षा की अनुभूति होती है उसके साथ जो एकात्मता का भाव आता है ये हमारी ज़िन्दगी की एक बहुत बड़ी ताक़त बन जाता है. 

मुझे विश्वास है की आप जिनको यहाँ आने का मौका मिला है वे और जो 11 लाख से अधिक NCC के कैडेट हैं उनको भी, और वे देश हम कितने भाग्यवान हैं 65% जनसंख्या आज हमारे देश की 35 साल से भी कम उम्र की है। जो देश इतना जवान हो, जिस देश के सपने इतने जवान हो, जिस देश की उर्जा इतनी जवान हो उस देश के कदम भी उसी जवानी के मुताबिक होते हैं। उस देश की सिद्धियां भी उसी जवानी को शोभा दे वैसी होती है। और इसलिए आपके माध्‍यम से पूरे राष्‍ट्र की युवा शक्ति इस बात की अनुभूति करे, गौरव करे, एहसास करे कि हम इन ऊंचाईयों को पार कर सकते हैं। 

हमने देखा बहुत बड़ी मात्रा में Girl Cadets भी हैं और कल तो आपने देखा होगा 26 जनवरी की परेड एक प्रकार से स्‍त्री शक्ति को समर्पित हो गई। देश ने देखा कि हमारे पास न सिर्फ रानी लक्ष्‍मीबाई, न सिर्फ जीजा माता लेकिन अब हर गांव, हर परिवार में रानी लक्ष्‍मीबाई और जीजा माता पैदा हो रही हैं। यह सामर्थ्‍य, देश की नारी शक्ति की यह अनुभूति देश, की अपने आप एक बहुत बड़ी नई धरोहर बनती है, नई ताकत बनती है। 

मैंने देखा अभी आपने एक टेबलो दिखाया, स्‍वच्‍छ भारत का। स्‍वच्‍छ भारत, यह कार्यक्रम नहीं है। स्‍वच्‍छ भारत, यह कोई event नहीं है। स्‍वच्‍छ भारत, यह स्‍वभाव बदलने का प्रयास है। जब तक हिंदुस्‍तान के सवा सौ करोड़ नागरिकों में स्‍वच्‍छता यह स्‍वभाव नहीं बनता है, तब तक हम लोगों को काम करना होगा। और मैं मानता हूं यह सब संभव है। एक बार बचपन से भी यह संस्‍कार शुरू हो जाए तो जीवनभर वो बाते रहती है मन में। आप NCC के Cadets के माध्‍यम से, एक तरफ तो हम स्‍वच्‍छता के लिए जरूर काम करे। लेकिन लेकिन साथ-साथ जिस स्‍कूल में हो, कॉलेज हो, जिस गांव में, जिस परिवार में हो, समाज में हो हर पल स्‍वच्‍छता एक स्‍वभाव कैसे बने? हम स्‍वच्‍छता के संबंध में कितने जागरूक हो? गलती से भी गंदगी न करे। आप देखिए भारत जिसके पास इतनी महान विरासत है अगर उसमें एक बार स्‍वच्‍छता जुड़ जाएगी तो पूरे विश्‍व में भारत के तरफ देखने का नजरिया बदल जाएगा। भारत के प्रति गौरव से देखेंगे लोग। और मैं मानता हूं यह भी भारत मां की सेवा करने का उत्‍तम रास्‍ता है। 

21 जून, United Nation ने विश्‍व योगा दिवस के रूप में घोषित किया है। जो जो भी लोग योगा में भरोसा करते हैं, योगा के विषय में जानते हैं उन सबके लिए ये एक गौरव की घटना है। अब योग यह किसी सीमा से सिमटा हुआ नहीं है। किसी एक ही भाषा के लोगों को विषय नहीं रहा। न ही किसी एक उम्र के लोगों का विषय रहा। आज योग दुनिया के हर कोने में पहुंचा है। हर समाज में पहुंचा है, हर भाषा भाषी में पहुंचा है, हर उम्र के लोगों में पहुंचा है, स्‍त्री और पुरूष में भी पहुंचा है। योग ने एक वैश्विक रूप ले लिया है। लेकिन तब भारत की एक विशेष जिम्‍मेवारी बनती है कि जिस धरती पर से योग की कल्‍पना का जन्‍म हुआ, हमें विश्‍व को सही योग का परिचय करवाना होगा। योग की सभी बातें विश्‍व तक पहुंचानी होगी और वो भी एक संतुलित संपन्‍न और सशक्‍त मानवजात के लिए आवश्‍यक है, इस रूप में योग की प्रस्‍तुति हो। मैं देशभर के एनसीसी के कैडेट से आग्रह करता हूं कि अभी से आप योजना बनाइये। 21 जून को एक साथ, एक समय सारे हिंदुस्‍तान में योग हो, दुनिया के सारे रिकॉर्ड टूट जाए इतनी बड़ी संख्‍या में हो, इतने उत्‍तम तरीके से हो और उस काम के लिए अभी से हम लग जाए। दुनिया के अंदर इन Cadets के माध्‍यम से हम एक बहुत बड़ा मजबूत संदेश और एक बहुत बड़ा प्रेरक संदेश हम विश्‍व को दे सकते हैं। 

NCC के संबंध में भी बदलती हुई दुनिया में आज सेना में सभी रूप सिर्फ शारीरिक ताकत पर निर्भर नहीं हैं। युद्ध जीतने में मानसिक ताकत सबसे बड़ी शक्ति होता है, लेकिन अब उसके साथ जुड़ा है टेक्‍नोलोजी, वैज्ञानिक सामर्थ्‍य। पढ़े लिखे लोगों.. सबसे ज्‍यादा पढ़े लिखे लोग आधुनिक से आधुनिक टेक्‍नोलोजी के जानकार लोग, इनकी अब सेना में बहुत आवश्‍यकता रही है। सारे NCC के Cadet अपने व्यक्तिगत जीवन में सर्वाधिक ऊंचाइयां प्राप्‍त करे और फिर मां भारती को अपने आप में समर्पित करे तो देश की सैन्‍य शक्ति में भी qualitative change आ सकता है और हमने उस दिशा में प्रयास करना चाहिए। 

कुछ छोटे-मोटे बदलाव भी हम करना चाहते हैं। मैंने Naval NCC के लिए कहा था कि क्‍यों न हमारे समुद्र तट के जो शहर है, छोटे नगर है और जहां NCC का यूनिट है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि समुद्र तट के सभी एनसीसी यूनिट हो सके तो Naval यूनिट हो ताकि उनका समुद्र से नाता होता है, और समुद्र से नाता होता है तो आगे चलकर Navy में career बनाना भी उनको सहज स्‍वभाविक लगता है। और मुझे अच्‍छा लगा इस बार Naval के जो कैम पहले कभी यूनिवर्सिटी के कैम्‍पस में लगते थे या फिर स्‍कूल के कैम्‍पस में लगते थे। इस बार समुद्र के अंदर जहाज के अंदर NCC के लोगों के कैम्‍प लगे। NCC Naval के कैम्‍प लगे। यह अपने आप में एक अच्‍छा बदलाव है और इसी प्रकार से हम ज्‍यादा बदलाव लाना समायानुकूल बदलाव लाना और हमारी इस ताकत को राष्‍ट्र की एक अमोल धरोहर के रूप में हम कैसे आगे बढ़ाए उस दिशा में हम प्रयास करना चाहते हैं। 

26 जनवरी को आप लोगों ने भारत की आन, बान, शान बढ़ाने के लिए महीने भर यहां तपस्‍या की है। आप ही की यह तपस्‍या है, जिसने रंग दिखाया है। और इसलिए मैं आप सबको हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत अभिनंदन करता हूं। 

और आज मुझे फिर उन पुरानी यादों के साथ आपके बीच आने का अवसर मिला, इसलिए मैं स्‍वयं को भी बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं 

वंदेमातरम, वंदेमातरम, वंदेमातरम। 

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