मैं आप सब बहुत आभारी हूं कि आपने समय निकाला और जापान की मुख्य रुप से प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को समझने का मुझे अवसर दिया। आज एक सितंबर है, मुझे बताया गया है, 1923 में एक सितंबर को अर्थक्वेक के कारण यह स्कूल पूरी तरह से नष्ट हो गया था। मैं देख रहा हूं कि उसका आपने कैसे फिर से पुनर्निर्माण किया है। मैं जानता हूं कि अर्थक्वेक में एक स्कूल का नष्ट होना कितना पीड़ादायक होता है।
जब 2001 में गुजरात में भयंकर भूकंप आया और अंजार में हमारे जो बच्चे थे, 26 जनवरी को हाथ में तिरंगा झंडा लेकर जा रहे थे, और 400 से ज्यादा बच्चों ने उस भूकंप में अपना जीवन खोया था। उन स्मृतियों को मुझे आज स्कूल की 1 सितंबर 1923 की घटना ने पुन: स्मरण दिला दिया। 136 इयर ओल्ड वो स्कूल है, और इसीलिए स्कूल की अपनी पुरानी परंपरा है। मैंने सुना है कि यहां के बहुत बड़े परिवार के बच्चों को भी इस स्कूल में शिक्षा-दीक्षा लेने का अवसर मिला है और इस प्रकार से इस स्कूल का जापान के सामाजिक जीवन में भी एक अच्छा स्थान रहा है।
स्कूल आने के मेरे इरादे के पीछे मेरे मन में, भारत का जो प्राइमरी एजुकेशन है उसमें हम आधुनिकता लाने के लिए, मोरल एजुकेशन लाने के लिए, डिसीप्लीन लाने के लिए, किन-किन प्रयोगों को कर सकते हैं, इसको मैं सीखना और समझना चाहता हूं। इसलिए मैं भी आज आपके लिए इस 136 इयर ओल्ड स्कूल का एक ओल्ड स्टुडेंट बन के आया हूं।
सारा विश्व इस बात को मानता है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। अब अगर 21वीं सदी एशिया की सदी है तो हम एशियन कंन्ट्रीज में अपने आपको इतनी बड़ी जिम्मेवारी के लिए प्रिपेयर किया है क्या ? अगर हम प्रिपेयर करना चाहते हैं तो एक बात है कि हम एशियन कन्ट्रीज को अड़ोस-पड़ोस के देशों की भाषाओं को अच्छे ढंग से सीखना समझना होगा। उनके सोशल वैल्यूज को समझना होगा और तभी जाकर के 21वीं सदी एशिया की बने लेकिन वो पूरे मानव जाति के कल्याण काम आए। इसी के तहत हम भारत में स्कूलों में जापानी लैंग्वेज सिखाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
हमारे यहां जो सीबीएसई स्कूल्स हैं उसमें अभी जापानी क्लासेसज शुरू की हैं। लेकिन हमें जापानी लैंग्वेज के टीचर्स की बहुत कमी पड़ रही है। तो मैं यहां के एजुकेशन डिपार्टमेंट को और शिक्षा क्षेत्र के सभी मित्रों को निमंत्रण देता हूं कि आप भारत में जापानी लैंग्वेज सिखाने के लिए आइए। रिटायर्ड टीचर्स भी अगर भारत में जापानी लैंग्वेज सिखाने के लिए आना चाहते हैं तो उनका भी स्वागत है और यहां का एजुकेशन डिपार्टमेंट ऑनलाइन जापानी लैंग्वेज ऑडियो विजूअल के साथ रिटन टेस्ट के साथ अगर सिखाने का एक भारत और जापान मिलकर प्रोग्राम बनाते हैं , और उसका एक इग्जामिनेशन सिस्टम जापान में हो, तो मुझे विश्वास है कि भारत के बहुत बच्चे ऑनलाइन जापानी लैंग्वेज सीखने के लिए भी आगे आएंगे। आगे चलकर हम जापानी लैंग्वेज प्रमोशन और उसके लिए साइमलटेनिअस इंडियन लैंग्वेज भी यहां सीखी जाएगी। अगर ये यहां हम करते हैं तो ‘21फस्ट सेंचुरी, एशिया की सेंचुरी’ की जो बात है उसके लिए हम बहुत बडा बल नई पीढ़ी को तैयार करके दे सकते हैं।
मुझे विश्वास है कि उस काम में हम लोग मिलकर करेंगे। जितनी पुरानी, प्रसिद्ध और सामाजिक जीवन प्रभाव पैदा करने वाली। स्कूल में भी जाने का अवसर मिला आप सबने समय दिया मेरा ज्ञानवर्धन किया, इसके लिए मैं जापान सरकार का, स्कूल मैंनजमेंट का एजूकेशन डिपार्टमेंट का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
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