छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: “समावेशी विकास : स्थायी समाधान” के पूर्ण अधिवेशन में प्रधानमंत्री के वक्तव्य का मूल पाठ

महामहिम राष्ट्रपति डिलमा राउजेफ

महामहिम राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

महामहिम राष्ट्रपति सी जिनपिंग

महामहिम राष्ट्रपति जैकब जुमा

गणमान्य प्रतिनिधि, देवियो और सज्जनों

मुझे ब्राजील आकर बहुत खुशी हो रही है। मैं राष्ट्रपति राउजेफ, सरकार और ब्राजील के अद्भुत लोगों को उनके आतिथ्य के लिए धन्यवाद देता हूं।

यह मेरा पहला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन है और वास्तव में यह एक शानदार अनुभव रहा है। मुझे यहाँ आये हुए दुनिया के नेताओं के विचार और उनकी दूरदृष्टि से बहुत कुछ सीखने को मिला है।

मुझे इन सभी नेताओं में से प्रत्येक के साथ व्यक्तिगत संबंधों की शुरुआत करने का भी सौभाग्य प्राप्त है। मुझे विश्वास है कि आगे आने वाले दिनों में हमारे व्यक्तिगत संबंध और गहरे एवं मजबूत होंगे।

महानुभावों, आज ब्रिक्स अपने शिखर सम्मलेन के दूसरे दौर में है।

यह शिखर सम्मेलन एक नाजुक समय पर हो रहा है। विश्व जबर्दस्त आर्थिक और राजनीतिक उथलपुथल का सामना कर रहा है। कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संघर्ष और अस्थिरता बढ़ी है।

इससे गरीबी से निपटने, विकास को और अधिक समावेशी बनाने और विकास का एक स्थायी मॉडल विकसित करने की चुनौतियों बढ़ जाती है।

विश्व में शांति और स्थिरता का माहौल तैयार करने की जरुरत है। सहयोग और सहभागिता के नए रास्ते बनाने की जरुरत है।

मुझे विश्वास है कि ब्रिक्स इन समस्याओं को हल कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में ब्रिक्स की विशिष्टता यह साबित करती है। पहली बार मौजूदा समृद्धि या साझा पहचान के पैरामीटर पर नहीं बल्कि ‘संभावित भविष्य’ के पैरामीटर पर यह देशों के एक समूह को एक साथ लेकर आया है। ब्रिक्स के यह विचार भविष्य की तरफ इशारा करता है।

इसलिए मुझे विश्वास है कि यह मौजूदा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में नया दृष्टिकोण और तंत्र जोड़ सकता है।

अतः हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी साझेदारी और संस्थाओं का भविष्य में विकास इस मूल विचार पर आधारित हो।

ब्रिक्स को एक शांतिपूर्ण, संतुलित और स्थिर विश्व को आकार देने में एक संयुक्त और स्पष्ट भूमिका निभानी होगी।

हमें आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से लड़ने में अपने सहयोग को तेज करने की जरुरत है।

ब्रिक्स को संवृद्धि और विकास पर वैश्विक विचार-विमर्श को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इसे 2015 के बाद विकास एजेंडा को एक अलग रूप देना होगा जिसमें गरीबी उन्मूलन मुख्य होगा।

हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की तरह शासन की वैश्विक संस्थाओं में तत्काल सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।

हमें विश्व व्यापार संगठन की व्यवस्था को एक नया रूप देने में मदद करनी चाहिए। मजबूत, संतुलित और सतत वैश्विक आर्थिक विकास के लिए एक मुक्त व्यापार व्यवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इसे विकासशील देशों की विकास सबंधी आकांक्षाओं पर ध्यान देना होगा।

इसे कमजोर वर्गों की विशेष जरूरतों, खासकर खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों को भी पूरा करना होगा।

महामहिम, ब्रिक्स के पास इतना अनुभव है और इसका सभी जगहों पर इतना प्रभाव है कि यह दुनिया को इन मुद्दों पर कार्य के लिए बाध्य कर सकती है। यद्यपि हमारा अपना लाभ हमारे अपने संबंधों को और अधिक मजबूत करने में निहित है।

यही कारण है कि हमारे पहले विचार-विमर्श में मैंने इस शक्तिशाली मंच के विकेन्द्रीकरण की बात की है। हमें शिखर सम्मेलन केंद्रित विचार से आगे बढ़कर सक्रिय होना होगा।

हमें उप-राष्ट्र स्तरीय आदान-प्रदान को प्रखर बनाना चाहिए। हमारे राज्यों, शहरों और अन्य स्थानीय निकायों के बीच प्रखर संबंध होने चाहिए।

वास्तव में, ब्रिक्स को ‘लोग से लोग’ संबंध से प्रेरित किया जाना चाहिए। विशेष रूप से हमारे युवाओं को इसके लिए आगे आना होगा। ब्रिक्स को युवाओं की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए अभिनव तंत्र विकसित करना चाहिए। एक ऐसी संभव पहल की जानी चाहिए जिसमें नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ब्रिक्स युवा वैज्ञानिक फोरम की स्थापना की जाए।

एक और संभावना यह हो सकती है कि ब्रिक्स भाषा स्कूलों की स्थापना की जाये जिसमें हमारे देशों की भाषाओं में प्रशिक्षण दिया जाए।

हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर खुले ऑनलाइन पाठ्यक्रम तैयार करने पर भी विचार कर सकते हैं ताकि सभी आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकें।

हम एक ब्रिक्स विश्वविद्यालय की भी स्थापना कर सकते हैं। इसके माध्यम से और साथ-ही-साथ मेधावी छात्र, संकाय और अनुसंधान सहयोग के माध्यम से हमारे सभी देशों के प्रत्येक विश्वविद्यालयों के परिसर आपस में जुड़ जायेंगे।

महानुभाव, मुझे विश्वास है कि हम सभी आपस में मिलकर और साथ काम कर और अधिक सफल हो सकते हैं।

हमें ज्ञान, कौशल और संसाधनों में एक-दूसरे की शक्ति का लाभ उठाना चाहिए।

हमें अपने अनुभव, नवाचार और प्रौद्योगिकी को साझा करने के लिए तंत्र विकसित करना चाहिए। इसके लिए कई चीजें की जा सकती हैं, जैसे :

• सस्ती और विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास पर अपने अनुभवों को साझा करने।

• गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य और शिक्षा की सुलभ उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उपग्रह संचार जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।

• ब्रिक्स देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा तैयार करना।

• आपदा प्रबंधन से संबंधित अनुभव साझा करना और

• खेलों में सहयोग और प्रतिस्पर्धा

महानुभाव, वैश्विक संबंधों में आर्थिक ताकतों का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी, परंपरा और प्रतिभा में मौजूदा मानदंडों को फिर से तैयार करने की शक्ति है।

ब्रिक्स के हम सभी देश अनुभव और संसाधनों का एक अनूठा मिश्रण लेकर आये हैं। हम चार महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम में से हर एक के पास तुलनात्मक लाभ और पूरक शक्ति है। हमारे संयुक्त एवं व्यक्तिगत भलाई के लिए ब्रिक्स को इसका उपयोग करने हेतु एक तंत्र विकसित करना चाहिए। इस दिशा में अच्छे कार्य पहले ही किये जा चुके हैं।

दो साल पहले दिल्ली में हुए शिखर सम्मेलन में एक नए विकास बैंक स्थापित करने के कार्य को फ़ोर्टालेज़ा में कार्यान्वित किया जा चुका है। इससे ब्रिक्स राष्ट्रों को फायदा होगा। लेकिन यह अन्य विकासशील देशों का भी सहयोग करेगा। और विकासशील देशों के रूप में हमारे स्वयं के अनुभवों में निहित होगा।

ब्रिक्स आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था ब्रिक्स देशों को अपनी आर्थिक स्थिरता की रक्षा करने का एक नया साधन देता है। वैश्विक वित्तीय बाजारों में आयी जबर्दस्त अस्थिरता के इस समय में यह एक महत्वपूर्ण पहल है।

सहयोग के लिए एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी एजेंसियों और नवाचार पर इंटर-बैंक सहयोग करार के बीच समझौता ज्ञापन एक अन्य ठोस कदम है जो ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करेंगे।

मुझे लगता है कि हम एक ऐसे स्तर तक पहुँच चुके हैं जहाँ हमें और अधिक महत्वाकांक्षी होना चाहिए। हमें ऐसे ठोस तंत्रों और परिणामों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ब्रिक्स को प्रभावशाली मंच बनायें।

महानुभावों, हमारे पास भविष्य को परिभाषित करने का एक अवसर है - न सिर्फ अपने देशों की बल्कि पूरे विश्व की। मैं एक ऐसी धरती से आया हूं, जहां पूरे विश्व को अपना परिवार मानने अर्थात – ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का विचार हमारी संस्कृति के चारित्रिक गुणों के मूल में समाया है; मैं इसे एक बड़ी जिम्मेदारी समझता हूँ।

हमारे कदम विकासशील दुनिया की आशाओं, आकांक्षाओं और विश्वास को सुदृढ़ करने चाहिए।

एक बार फिर, मैं इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए राष्ट्रपति राउजेफ और ब्राजील के अद्भुत लोगों को धन्यवाद देता हूं।

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