संसद के केंद्रीय कक्ष में 20 मई, 2014 को श्री नरेन्‍द्र मोदी के भाषण के मुख्‍य अंश :

आदरणीय आडवाणीजी, हमारे राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजनाथजी, भारतीय जनता पार्टी के सभी मुख्‍यमंत्री और सभी नवनिर्वाचित सदस्‍यगण, मैं आप सबका आभारी हूं कि आपने एकमत से मुझे यह नयी जिम्‍मेदारी सौंपी है। मैं विशेष रूप से आडवाणीजी और राजनाथजी का शुक्रगुजार और आभारी हूं जिन्‍होंने मुझे आशीर्वाद दिया है।

मैं अटलजी के स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में सोच रहा था। आज अगर उनका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा होता तो वह हमारे बीच होते और उनकी मौजूदगी से यह क्षण पूर्ण हो जाता। उनका आर्शीवाद हम पर है और भविष्‍य में भी रहेगा।

हम लोकतंत्र के मंदिर में हैं। हम पूरी शुद्धता के साथ काम करेंगे… हम किसी पद के लिए नहीं बल्कि देश की जनता के लिए काम करेंगे। कार्य और जिम्‍मेदारी सबसे बड़ी चीजें हैं। आपने जो जिम्‍मेदारी मुझे सौंपी है उसे मैं स्‍वीकार करता हूं।

मेरे लिए पद महत्‍वपूर्ण नहीं है, मैंने अपने जीवन में पद को अहमियत नहीं दी, मेरे लिए जिम्‍मेदारी हमेशा बड़ी चीज रही है।

हम सबको इस जिम्‍मेदारी को पूरा करने के लिए खुद को समर्पित करना होगा। 13 सितंबर 2013 को भाजपा के संसदीय बोर्ड ने मुझे एक जिम्‍मेदारी दी और 15 सितंबर से मैंने एक कार्यकर्ता की भांति पूरी जिम्‍मेदारी के अहसास के साथ अपना कार्य शुरू कर दिया। उस समय मैंने यह 
परिश्रम यज्ञ शुरु किया और जब 10 मई 2014 को चुनाव प्रचार समाप्‍त हो गया तो मैंने अपने अध्‍यक्ष को फोन किया और अहमदाबाद जाने से पहले उनसे मिलना चाहा। उन्‍होंने मुझसे पूछा कि क्‍या मैं थका नहीं हूं और आराम की जरूरत है लेकिन मैंने उन्‍हें प्रचार अभियान का प्रतिवेदन देने की बात कही क्‍योंकि मुझे जो जिम्‍मेदारी सौंपी थी वह 10 मई को पूरी हो गयी थी।

एक अनुशासित सैनिक की तरह मैंने भी अपने अध्‍यक्ष को प्रतिवेदन दिया कि 13 सितंबर से 10 मई तक मैंने अपनी जिम्‍मेदारी अपनी पूरी क्षमता के साथ निभाने की कोशिश की है। इस प्रचार अभियान में मैंने बस एक कार्यक्रम रद्द किया और वह भी घोसी में क्‍योंकि वहां हमारे जिला अध्‍यक्ष की असमय मौत हो गयी थी।

13 years of Peace, Prosperity & ProgressCourtesy : The Hindu

एक वफादार और समर्पित कार्यकर्ता की तरह मैंने उन्‍हें बताया कि मैं आपको इस पवित्र भूमि पर यह प्रतिवेदन दे रहा हूं। मुझे जो भी कार्य सौंपा गया था, मैंने एक पार्टी कार्यकर्ता की भूमिका निभाते हुए उसे पूरा करने की कोशिश की है।

मैंने मुख्‍यमंत्री बनने के बाद पहली बार मुख्‍यमंत्री का चैम्‍बर देखा था। आज भी वैसी ही स्थिति है क्‍योंकि इस ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में मैं पहली बार आया हूं।

मैं सभी स्‍वतंत्रता सेनानियों और हमारे देश के संविधान निर्माताओं को नमन करता हूं क्‍योंकि उनकी वजह से दुनिया लोकतंत्र की ताकत देख रही है। विश्‍व के नेताओं ने जब मुझे फोन किया तो मैंने उन्‍हें भारत के करोड़ों मतदाताओं के बारे में बताया। वे अचंभित थे। यह हमारे संविधान की ताकत है कि एक गरीब और वंचित परिवार का गरीब व्‍यक्ति आज यहां खड़ा है। यह हमारे संविधान की ताकत और हमारे लोकतांत्रिक चुनावों की छाप है कि एक सामान्‍य नागरिक इतनी ऊंचाई तक पहुंच सकता है। भाजपा की जीत और किसी अन्‍य की हार पर बहस बाद में हो सकती है। नागरिकों को यकीं हो गया है कि यह लोक‍तांत्रिक तंत्र उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है। लोकतंत्र में उनकी आस्‍था और मजबूत हुई है।

सरकार वह होती है जो गरीबों के बारे में सोचे, गरीबों की सुने और गरीबों के लिए काम करे। इसलिए नयी सरकार गरीबों, करोड़ों युवाओं, माताओं और बेटियों को समर्पित है जो अपने आदर और सम्‍मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह सरकार ग्रामीणों के लिए है, किसानों के लिए है, दलितों और उत्‍पीडि़तों के लिए है, यह सरकार उनके लिए है, उनकी आकांक्षाओं के लिए और इसे पूरा करना ही हमारी जिम्‍मेदारी है। चुनाव प्रचार के दौरान मैंने हमारे देश के कई नये रूप देखे हैं। मैंने ऐसे भी लोग देखे जिनके तन पर सिर्फ एक कपड़ा था लेकिन हाथ में भाजपा का झंडा थामे हुए थे। यह वर्ग हमारी ओर आशा और आकांक्षा भरी नजरों से देख रहा है। इसलिए हमारा सपना, उनके सपनों को पूरा करने का है।

आडवाणीजी ने एक शब्‍द का इस्‍तेमाल किया है। मैं आडवाणीजी से प्रार्थना करूंगा कि वह फिर कभी यह शब्‍द इस्‍तेमाल न करें। उन्‍होंने कहा कि नरेन्‍द्रभाई ने हम पर कृपा की है।

(यह कहते ही मोदीजी का गला रुंध जाता है, थोड़ी देर भाषण रुका रहता है)

कृपया इस शब्‍द का इस्‍तेमाल मत कीजिए। क्‍या कोई बेटा कभी अपनी मां पर कृपा कर सकता है? कभी नहीं। जैसे भारत मेरी मां है, वैसे ही भाजपा भी मेरी मां है। इसलिए एक बेटा कभी कृपा नहीं कर सकता, वह तो सिर्फ समर्पित भाव से अपनी मां की सेवा कर सकता है। कृपा तो पार्टी ने मेरे ऊपर की है। इसने मुझे सेवा का यह मौका देकर मुझ पर उपकार किया है।

विगत में विभिन्‍न सरकारों ने अपने ढंग से कई अच्‍छे कार्य करने की कोशिश की है जिसके लिए वे सराहना पाने की हकदार हैं। जो भी अच्‍छा कार्य हुआ है हम उसे आगे बढ़ायेंगे। हम देश को कुछ देंगे। लोगों को निराश नहीं होना चाहिए। मैंने टीवी या मीडिया को नहीं देखा है, हर कोई इस फैसले का विश्‍लेषण कर रहा है…..लोगों ने उम्‍मीद के लिए वोट दिया है। यह जनादेश आशा का है। मैंने पहले भी कहा है कि यह चुनाव उम्‍मीद का है। आम आदमी में एक नयी आशा जगी है। यह इस चुनाव परिणाम का सबसे बड़ा महत्‍व है।

भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर उन्‍होंने उम्‍मीद और विश्‍वास को वोट दिया है। लोगों ने उम्‍मीद और आस्‍था को वोट दिया है और मैं उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश करुंगा। निराशा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए क्‍योंकि निराशा से कुछ हासिल नहीं हो सकता। सरकार का आदर्श वाक्‍य होगा- सबका साथ, सबका विकास। यह समय नयी उम्‍मीद और सामर्थ्‍य का है।

जिम्‍मेदारी का युग शुरु हो गया है। 2019 में, मैं संसद सदस्‍यों से एक रिपोर्ट कार्ड के साथ मुलाकात करूंगा। मेरी सरकार मेरे लिए नहीं बल्कि देश के लिए है। सरकार गरीबों के लिए है और हम उनके लिए कुछ करना चाहते हैं।

आपने मुझे जो जिम्‍मेदारी सौंपी है उसे पूरा करने के लिए मैं अपनी ताकत लगा दूंगा। मैं आपको कभी भी नीचा नहीं दिखाऊंगा।

हमें अपने देश के लिए मरने का सौभाग्‍य तो प्राप्‍त नहीं हुआ लेकिेन आजाद भारत में पैदा हुए प्रत्‍येक नागरिक को अपना जीवन देश के लिए जीने को समर्पित करना चाहिए। हमारे जीवन का हर क्षण और हमारे शरीर के हर अंश को 125 करोड़ देशवासियों के लिए समर्पित करना चाहिए, हमें इस सपने को संजोये रखना है। तभी देश तेजी से प्रगति करेगा।

स्‍वभाव से मैं एक आशावादी हूं। यह मेरे डीएनए में लिखा है। निराशा मेरे पास नहीं फटकती। इस मौके पर मैं वो बात दोहराना चाहता हूं जो मैने यहां एक कालेज में कही थी। पानी के इस ग्‍लास को देखिये, कुछ लोग कहेंगे कि यह पानी से आधा भरा है और कुछ कहेंगे कि आधा खाली है। मेरी सोच तीसरे तरह की है। मैं कहता हूं कि यह ग्‍लास आधा पानी से भरा है आधा हवा से भरा है। आपको यह आधा खाली नजर आ सकता है लेकिन मैं इसे ऐसे नहीं देखता। यही वजह है कि मैं सवभाव से आशावादी हूं। एक रचनात्‍मक सफर पर चलने के लिए आशावादी होना जरूरी और महत्‍वपूर्ण है। एक आशावादी व्‍यक्ति ही देश में उम्‍मीद ला सकता है और कायम कर सकता है। हर व्‍यक्ति के जीवन में कठिनाइयां और प्रतिकूल समय आता है। 2001 में, गुजरात में जब भूकंप आया था तो हम सबके चारों ओर मौत पसरी थी। हर ओर तबाही थी। दुनियाभर में सबने सोचा कि सब कुछ मिट गया है। लेकिन थोड़े से ही वक्‍त में गुजरात अपने पैरों पर खड़ा हो गया। हमें निराशा पीछे छोड़नी होगी। कौन कहता है कि दुनिया का सबसे बड़ा और जागरुक लोकतंत्र आगे नहीं बढ़ सकता? अगर 125 करोड़ देशवासी एक कदम आगे बढ़ायेंगे तो पूरा देश 125 करोड़ कदम आगे बढ़ेगा।

दुनिया में कौन सा दूसरा देश है जहां छह ऋतुएं होती हैं। हमारी धरती पर कृपा हुई है, हमारी जमीन उपजाऊ है और प्राकृतिक संसाधनों से भरी हुई है। हमारे देश से लोग विदेश में जाते हैं, वे दौलत और शोहरत कमाते हैं, हमें बस उन्‍हें यहां अवसर देना होगा।

इस चुनाव में हमने दो बातों पर जोर दिया- सबका साथ, सबका विकास। हम सबका विकास और तरक्‍की चाहते हैं लेकिन यह भी जरूरी है कि हम सबको साथ लेकर चलें। यह चुनाव नयी आशा का प्रतीक है। मेरे साथ योग्‍य साथी हैं और मेरे वरिष्‍ठ नेताओं के मार्गदर्शन के साथ मुझे पूरा विश्‍वास है कि जो जिम्‍मेदारी मुझे 13 सितंबर 2013 को मिली थी और जो 16 मई 2014 को पूरी हुई और आज जो नई जिम्‍मेदारी मुझे मिली है, मैं आपको आश्‍वस्‍त करता हूं कि जब हम 2019 में मिलेंगे तब मैं आपके समक्ष अपना रिपोर्ट कार्ड रखूंगा। मैं सतत मेहनत और कठोर परिश्रम करूंगा।

आगामी वर्ष 2015-16 हम सबके लिए महत्‍वपूर्ण है, यह पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय का शताब्‍दी वर्ष होगा। उन्‍होंने चरैवेति-चरैवेति का मंत्र दिया और इससे ही बलिदान और कठोर परिश्रम का तंत्र स्‍थापित हुआ। हमें सोचना होगा कि हम उनके सपनों को किस तरह पूरा करें और उन्‍हें पूरा करने के लिए कार्य करें। पार्टी और सरकार दोनों को सोचना चाहिए कि इस आगामी कार्यक्रम को हम किस तरह आयोजित कर सकते हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय ने अंत्‍योदय यानी सबसे कमजोर की सेवा पर जोर दिया था। यही वजह है कि मैं यह कहता हूं कि यह सरकार गरीबों और वंचितों की है। वैश्विक परिप्रेक्ष्‍य में भी भारत के चुनाव और इन नतीजों की रचनात्‍मक और सकारात्‍मक ढंग से समीक्षा की जा रही है। विश्‍व को पहला संदेश यह नहीं जाता है कि करोड़ों लोगों ने एक पार्टी को वोट देकर एक व्‍यक्ति को प्रधानमंत्री बना दिया है। लेकिन महत्‍वपूर्ण तो यह है कि करोड़ों लोगों ने एक अच्‍छा जनादेश दिया है और दुनिया में भारत के स्‍थान को ऊंचा किया है।यही इन चुनावों का संदेश है। कौन चुनाव जीता और कौन हारा, ये महत्‍वपूर्ण नहीं है। चुनाव के ये नतीजे विश्‍व को भारत और उसके लोकतांत्रिक मूल्‍यों और क्षमताओं की ओर आकर्षित करेंगे। भारत के आम नागरिकों में आशा का संचार हआ है और यही उम्‍मीद विश्‍व में मानवतावादी शक्तियों में जगी है। यह बहुत अच्छा संकेत है।

भाइयो और बहनो, एक बार फिर मैं आप सब लाखों कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट करता हूं जिन्‍होंने यह जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की। जो मोदी आपके समक्ष खड़ा है, वह आपको इसलिए बड़ा दिखायी देता है क्योंकि मेरी पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं ने मोदी को कंधे पर बिठा लिया है। आज हमने जो कुछ भी हासिल किया है वह हमारी पांच पीढ़ियों के बलिदान का परिणाम है। जनसंघ को लोग नहीं जानते थे, कुछ लोगों को लगा कि यह सामाजिक, सांस्‍कृतिक संगठन है। आज, मैं उन सभी पीढि़ेयों को नमन करता हूं जिन्‍होंने राष्‍ट्रवादी लक्ष्‍य के लिए बलिदान दिया। हमें नहीं भूलना चाहिए कि आज हम यहां पूर्ववर्ती पीढ़ियों के बलिदान की वजह से खड़े हैं। यह जीत हमारे लाखों कार्यकर्ताओं की है। अगर हम इस प्रकार सोचेंगे तो समाज और पार्टी को शिकायत करने का मौका नहीं मिलेगा। भाजपा ऐसी पार्टी है जो अपने मजबूत संगठन पर टिकी है। यह हमारी ताकत है और हममें से कोई भी संगठन के ऊपर या बाहर नहीं है।

आपने मुझे यह नयी जिम्‍मेदारी सौंपी है, आडवाणीजी ने मुझे आशीर्वाद दे दिया है। आपने मुझ पर भरोसा जताया है। आपको मुझसे उम्‍मीदें हैं और मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आपको किसी भी क्षण ऐसा नहींलगेगा कि आपको पीछे छोड़ दिया गया है। एक बार फिर आप सबको धन्‍यवाद देता हूं।

( द हिन्‍दू से साभार)