"Narendra Modi speaks on ‘India and the World’ at the Nani Palkhivala Memorial Lecture in Chennai"
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अरुण शौरी लिखित पुस्तक सेल्फ डिसेप्शन का किया विमोचन

वैश्विक मंच में सामर्थ्यवान भूमिका अदा कर सकता है भारतः श्री मोदी

राजनैतिक संबंधों तथा विदेश नीति को व्यूहात्मक नया आकार देने की जरूरत

आइए, हम मानव ह्रदयों की दीवार बनाएं और आतंकवादी मानसिकता को रोकें

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज चेन्नई में आयोजित नानी पालखीवाला स्मृति व्याख्यान माला में “भारत और विश्व” विषय पर प्रेरक चिन्तन पेश करते हुए कहा कि वैश्विक संबंधों को समरस बनाने तथा विश्व की समस्याओं के निराकरण की दिशा में भारत सामर्थ्यवान भूमिका अदा कर सकता है।

तमिलनाडु के चेन्नई में नानी पालखीवाला फाउंडेशन की ओर से श्री नरेन्द्र मोदी को इस व्याख्यान माला के लिए विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। समाज के विविध क्षेत्रों के प्रतिष्ठित अग्रणियों और आमंत्रित महानुभावों की मौजूदगी में गुजरात के मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर श्री अरुण शौरी लिखित पुस्तक सेल्फ डिसेप्शन का विमोचन भी किया।

श्री मोदी ने नानी पालखीवाला के अर्थशास्त्र तथा राजनैतिक योगदान के अलावा संविधान-विशेषज्ञ और राष्ट्र के विकास में योगदान को बहुमूल्य करार दिया।

Narendra Modi speaks on ‘India and the World’ at the Nani Palkhivala Memorial Lecture in Chennai

मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों तथा विदेश नीति के क्षेत्र में वर्तमान केन्द्र सरकार की विफलता और उसके विपरीत प्रभावों का जिक्र करते हुए कहा कि जहां अपना सामर्थ्य बतलाने की जरूरत है, वहां हमारी केन्द्र सरकार कमजोर रही है और विदेशी संबंधों के मामले में जहां संवेदनशीलता बरतने की जरूरत है वहां हमारी केन्द्र सरकार नितांत गैरसंवेदनशील रवैये का परिचय देती आई है।

इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने एनडीए शासनकाल के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की विदेश नीति कैसी व्यूहात्मक तथा राष्ट्रीय एवं सुरक्षा हितों के प्रति समर्पित होनी चाहिए, इसकी दिशा श्री वाजपेयी ने बताई थी। उन्होंने कहा कि भारत शक्ति और शांति दोनों के ही प्रति समर्पित है।

वाजपेयी जी ने पहला परमाणु परीक्षण कर भारत की परमाणु शस्त्र शक्ति से दुनिया को प्रभावित कर दिया था। इसके चलते दुनिया के देशों ने भारत पर प्रतिबंध लादे, लेकिन इसकी परवाह किये बगैर दूसरा परमाणु विस्फोट करने से पीछे नहीं हटे। भारत की इस शक्ति के सामने विदेशी सत्ताएं भारत की अर्थव्यवस्था और भारतीय मुद्रा को कमजोर नहीं कर पाई तथा मुद्रा स्फीति भी नियंत्रण में रही थी। इस तरह हम सभी कसौटियों से सकुशल पार उतरे थे। बावजूद इसके, वाजपेयी सरकार ने जापान सहित दुनिया के देशों को भारत की शांति और सद्भावना की इस नीति की प्रतीति करवाई थी कि भारत परमाणु शस्त्र का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा। इस व्यूहात्मक विदेश नीति का आज अभाव नजर आता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की वर्तमान सरकार हमारी संरक्षण सेनाओं के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं के संवर्द्धन के लिए कोई व्यूहात्मक दिशा नहीं अपना रही है। भारत के परमाणु विस्फोट ने भारत के लोगों में देश के प्रति स्वाभिमान जगाया था और दुनिया में भारत की साख शांति-चाहक की बनी थी।

Narendra Modi speaks on ‘India and the World’ at the Nani Palkhivala Memorial Lecture in Chennai

श्री मोदी ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के तथा वसुधैव कुटुंबकम् के मानव जाति के परिवार-संबंधों की महिमा को विश्व के समक्ष उजागर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय राजनैतिक संबंधों के व्यूह और नीति निर्माण की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास राजनैतिक कौशल की प्राचीन विरासत है और दुनिया में तनाव, युद्धखोर मानसिकता वाले तत्वों तथा मानवता विरोधी शक्तियों के खिलाफ विश्व की सभी मानवतावादी ताकतों को एकत्र करने के नेतृत्व का सामर्थ्य है।

आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों और परिबलों को अलग-थलग करने की व्यूहरचना अपनाने के लिए उन्होंने आतंकवाद और मानवता विरोधी ताकतों के खिलाफ विश्व को एकता के सूत्र से जोड़ने की जरूरत समझाई।

भारतीय सांस्कृतिक विरासत ने मानवतावादी शक्तियों को एकत्र करने की जो दिशा बतलाई है उसके इस वर्तमान युग में भी प्रासंगिक होने की भूमिका प्रस्तुत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अब युद्ध सरहदों पर नहीं लड़े जाएंगे, परन्तु आतताइयों के हमले और अपराध समान साइबर क्राइम को रोकने के लिए हमें मानवता से संवेदनशील ह्रदयों की दीवार खड़ी करनी होगी। उन्होंने विश्वास जताया कि इसके लिए भारत का टेक्नोलॉजी टैलेन्ट और मानवतावादी जीवन शैली दुनिया को सामर्थ्य प्रदान करेगा। साइबर अटैक जैसे प्रॉक्सी वॉर के लिए सीमा-युद्ध की लड़ाई की भी जरूरत नहीं है। अब ‘सॉफ्ट पॉवर’ हमारी सांस्कृतिक विरासत से खड़ा किया जा सकता है। हमारी नालंदा, तक्षशिला और वल्लभी जैसी प्राचीन विश्वविद्यापीठें इसकी उत्तम मिसाल है। उन्होंने कहा कि भारत सभी दिशा और सभी क्षेत्रों में दुनिया को आकर्षित करने तथा श्रेष्ठ प्रदान करने का सामर्थ्य रखता है, दुनिया को इसका साक्षात्कार कराने के लिए हमारी राजनैतिक संबंधों की नीतियों को एक नया मोड़ दिया जाना चाहिए।

भारत के टुरिज्म को आर्थिक प्रवृत्तियों के लिए उत्तम क्षेत्र करार देते हुए श्री मोदी ने कहा कि, “टेररिजम डिवाइड्स-टुरिज्म युनाइट्स।”

उन्होंने कहा कि भारत विश्व का अलकेमिस्ट बनने का सामर्थ्य रखता है। विश्व जिस तरह से असुरक्षा और अस्थिरता की स्थिति का शिकार बना है, उसमें सहिष्णुता और धैर्य के विवेक रूपी “हीलिंग पॉवर” की आज अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नीति में जरूरत है और भारत इसकी अनुभूति करा सकता है।

श्री मोदी ने कहा कि मजबूत राष्ट्र की विदेश नीति की सफलता का चालक बल देश की अर्थव्यवस्था होती है। विदेश नीति देश के वाणिज्यिक और बिजनेस इंटरेस्ट द्वारा निर्मित की जानी चाहिए। भारत को इस दिशा में अभी अपना सामर्थ्य बतलाना है।

उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ हमारी विदेश नीति और राजनैतिक संबंधों की दिशा को असफल बताते हुए इसमें परिवर्तन की अनिवार्यता पर रोशनी डाली। श्री मोदी ने विदेशी देशों के साथ संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने तथा विश्व के छोटे देशों के साथ भारत के एक-एक राज्य के सांस्कृतिक संबंध विकसित किए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने प्राचीन बृहद भारत की महान विरासत और सांस्कृतिक धरोहर तथा भू-भाग की विशालता की विरासत को महिमामंडित करने को प्रेरक चिंतन पेश किया। एशिया क्षेत्र में बौद्ध धर्म हमारे पड़ोसियों की सांस्कृतिक एकता को बांधकर रख सकता है। इतना ही नहीं, महात्मा गांधी जी के विचार, योग, आयुर्वेद जैसी हमारी परंपरागत विशेषताएं दुनिया को बड़ा योगदान दे सकती है। उन्होंने कहा कि विश्व की छठे हिस्से की जनशक्ति वाला भारत यदि दयनीय स्थिति में है तो इसकी वजह कांग्रेस और यूपीए की विफल परंपरा है।

मुख्यमंत्री ने सौजन्यशील पड़ोसी धर्म का सूत्र देते हुए कहा कि गोल्ड इंडिया एंड ए बेटर वर्ल्ड के निर्माण के लिए हमें साथ मिलकर काम करना चाहिए, और इसके लिए स्ट्रॉंग एशिया एंड सेफ वर्ल्ड का संकल्प साकार करने की जरूरत है, और मेरी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता है कि, “वी कैन एंड वी विल”।

हमें ऐसी स्थिति का अहसास पैदा करना है कि भारत दुनिया को श्रेष्ठतम प्रदान कर सकता है, उन्होंने भरोसा जताया कि हमारी महान सांस्कृतिक विरासत से ही इसका मार्ग मिल जाएगा।

इस अवसर पर सर्वश्री अरुण शौरी, चो. रामस्वामी, अरविंद पी. दातार और एन.एल. राजा सहित अनेक महानुभाव उपस्थित थे।

Narendra Modi speaks on ‘India and the World’ at the Nani Palkhivala Memorial Lecture in Chennai

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