Giving a befitting reply to Congress Vice President Shri Rahul Gandhi, who said that there are two different lines of thought in India, Shri Modi said, “I agree with what he said but did he say what are the two different lines of thought?"
Giving a befitting reply to Congress Vice President Shri Rahul Gandhi, who said that there are two different lines of thought in India, Shri Modi said, “I agree with what he said but did he say what are the two different lines of thought?"
नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय राजनीति को नया आयाम दिया है
भारत में राजनीतिक आन्दोलनों की उत्पति चार वैचारिक मार्गों से हुई है। सबसे पहला ऐतिहासिक वैचारिक मार्ग था भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जो आज की कांग्रेस पार्टी के रूप में मौजूद है। कम्युनिस्ट आन्दोलन जिसकी उत्पत्ति तत्कालीन रूसी गणराज्य और कुछ हद तक आज के चीन से हुई, लेकिन आज यह व्यवहारिक रूप से भारत में अप्रसांगिक हो गया है। समाजवादी आन्दोलन की उत्पत्ति राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण से जुड़ी है लेकिन यह उत्तरोत्तर संकीर्ण क्षेत्रीय या जाति आधारित पार्टियों में बंट गया और आज राष्ट्रीय स्तर पर इसकी अहमियत मामूली है। क्षेत्रीय दल और हाल में बनी राजनीतिक पार्टियां भी राष्ट्रीय स्तर पर दावा पेश नहीं कर सकते। 2014 के चुनाव से पूर्व भारत में राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक परिदृष्य कुछ ऐसा था कि जिसमें कांग्रेस हावी थी और भाजपा की स्थिति एक सुपर क्षेत्रीय दल जैसी थी।
2014 के लोक सभा चुनाव के नतीजे नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के पक्ष में रहे। किसी भी व्यक्ति को इन नतीजों को समझने के लिए यह मानना जरूरी है कि किस तरह भाजपा राष्ट्रीय परिदृष्य पर काबिज हुई और कैसे उसने दक्षिण में अपनी खोयी हुई जमीन फिर हासिल की और पूर्वोत्तर में अपनी जगह बनायी। इसके ठीक उलट कांग्रेस की तस्वीर बन गयी है। कांग्रेस सीटें उसके इतिहास में अब तक की न्यूनतम हैं और कांग्रेस अब एक सुपर क्षेत्रीय दल बनकर रह गयी है जिसकी बड़े राज्यों में कोई उपस्थित नहीं है।
कांग्रेस एक सुपर-क्षेत्रीय दल के रूप में सिमट गयी है, उसकी बड़े राज्यों में उपस्थित भी नहीं है
कांग्रेस के खात्मे पर विचार कीजिए-
नरेन्द्र मोदी के प्रचार अभियान ने कांग्रेस को इस तरह तहस-नहस कर दिया है। इस तरह नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के चुनावी परिदृष्य को पूरी तरह बदल दिया है।
नरेन्द्र मोदी ने एक नया सामाजिक गठबंधन बुना हैलोक सभा की 543 सीटो में से रिकार्ड 282 सीटें जीतकर नरेन्द्र मोदी पहले गैर-कांग्रेसी नेता हैं जो अपनी पार्टी को लोक सभा में सामान्य बहुमत दिलाने में कामयाब रहे हैं। यह ऐसी उपलब्धि है जो अब तक विशेष तौर से गांधी-नेहरु खानदान के नाम ही रही है।
अगर हवा भाजपा के राष्ट्रीय प्रसार की कहानी बताती है तो जीत की जनसांख्यिकीय जटिलता भाजपा की राष्ट्रीय गहराई की असली कहानी बयां करती है।
उम्मीद और आकांक्षाओं के इस जनादेश से ही नरेन्द्र मोदी की टीम को आकार मिलना चाहिए
यह जनादेश नरेन्द्र मोदी के लिए विभिन्न जाति, धर्म और क्षेत्र से ऊपर उठकर आबादी के बड़े भाग की नयी उम्मीदों को पूरा करने का है। इसने उन्हें भारत को एक नयी दिशा में ले जाने को सशक्त किया है। ऐसा करते समय उन्हें किसी भी प्रकार के तुच्छ कार्य और दवाब में नहीं आना होगा।
यह जनादेश उस व्यापक राजनीति आन्दोलन में भी बदलाव के युग की शुरुआत है जिसने 1950 के दशक में जनसंघ को जन्म दिया और 1980 के दशक में भाजपा को। अगर इसकी पहली पीढ़ी डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय थे तो दूसरी पीढ़ी अटल बिहारी वाजपेयी और एल के आडवाणी का युग थी। अब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी पीढ़ी का आगाज हुआ है। भारत के शासन के लिए राष्ट्रीय जनादेश होने के साथ ही उनके पास अब राजनीतिक जनादेश भी है जिससे वह इस आन्दोलन को नया रूप देकर अपने सुशासन के दर्शन को प्रदर्शित कर सकते हैं।
एक अरब सपने और उम्मीदें अब नरेन्द्र मोदी की ओर देख रहे हैं। जब वह अपनी सरकार बनायेंगे तो इन्हीं सपनों और उम्मीदों से ही उनकी टीम को आकार मिलना चाहिए न कि किसी और चीज से।