"Bhai Shri Ramesh Oza joins in the Chintan Shibir"
"Success of Ganatantra lies in Gunatantra (importance of merit) and IITE is to give emphasis to Gunatantra: Narendra Modi"
"A true teacher is one who inspires students to ask more questions: Narendra Modi"
"IITE has completed only two years but the nation has taken note of this and it is seen as an initiative worth doing all over: CM"
"Time is to embrace learning and not simply teaching. The importance of leaning is increasing: Narendra Modi"
"Narendra Modi stresses on importance of dignity of teachers"
"Narendra Modi addresses Chintan Shibir organized by Indian Institute of Teacher Education"

उत्तम शिक्षकों के निर्माण की प्रयोगभूमि बना गुजरातः श्री मोदी

शिक्षक और सैनिक सर्वाधिक आदरणीयः श्री रमेश ओझा

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि गुजरात उत्तम शिक्षकों के निर्माण की अनोखी पहल करने की प्राणवान प्रयोगभूमि बना है, जिसने २१वीं सदी के लिए आवश्यक उत्तम शिक्षकों की पूर्ति की दिशा बतलाई है। उत्तम शिक्षकों का निर्माण प्रत्येक देश की प्राथमिक जिम्मेदारी है और समाज का यह दायित्व है कि वह शिक्षक की गरिमा को बरकरार रखे।

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को महात्मा मंदिर, गांधीनगर में गुजरात की विशिष्ट यूनिवर्सिटी- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन (आईआईटीई) के तत्वावधान में आयोजित शिक्षक-प्रशिक्षण नव चिन्तन शिविर का उद्घाटन किया। गुजरात के अलावा अन्य राज्यों की शैक्षणिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने इस नव चिन्तन शिविर में शिरकत की और प्राथमिक शिक्षक से लेकर प्रधानाध्यापक तक शिक्षा जगत के सशक्तिकरण की नई दिशा का प्रेरक मंथन किया।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के वाइस चेयरमैन एच. देवराज और अन्य राज्यों के विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों सहित कथाकार श्री रमेश ओझा भाईश्री व गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा तथा शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती वसुबेन त्रिवेदी भी इस शिविर में सहभागी बनें।

Narendra Modi addresses Chintan Shibir organized by Indian Institute of Teacher Education

अपने प्रेरक संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तम शिक्षक के प्रशिक्षण की पहल करते हुए २१वीं सदी में अपने नागरिक समाज को सशक्त बनाने की प्रयोगभूमि गुजरात बना है। क्यों न हम ऐसा स्वप्न देखें जिसमें दुनिया में उत्तम शिक्षकों की मांग को पूरा कर हम अपनी संस्कृति को विश्व में बतौर शक्ति प्रस्थापित कर सकें। इस दीर्घकालिक संकल्प के साथ उत्तम शिक्षक का निर्माण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए जो युगों तक नई पीढ़ी को सशक्त बनाए।

उन्होंने कहा कि शिक्षक की गरिमा को यदि जरा-सी भी आंच आई तो समाज और राष्ट्र को संकटों का सामना करना पड़ेगा। हमारा सामूहिक दायित्व यही हो सकता है कि शिक्षक की गरिमा पुनःप्रस्थापित हो, ताकि समाज में व्याप्त तनाव और असहिष्णुता से मुक्ति की दिशा मिल सके। यह भी जरूरी है कि शिक्षक नित्यनूतन विचारों से प्राणवान बनें। आज समाज में परिवार विभक्त हो रहे हैं, ऐसे में उत्तम शिक्षक का आचरण ही हमारी संतानों तथा भावी पीढ़ियों को जीवन जीने की प्रेरणा देगा। श्री मोदी ने भरोसा जताया कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और टीचर यूनिवर्सिटी का यह प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घकालिक चिन्तन प्रदान करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि २०११ में स्थापित गुजरात की टीचर यूनिवर्सिटी आईआईटीई ने शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में देश में अपनी अनोखी पहचान और विश्वसनीयता खड़ी की है, और बकौल यूजीसी अब तो भारत सरकार भी इस दिशा में आगे बढ़ रही है। यह हकीकत इस बात की परिचायक है कि गुजरात देश का पथप्रदर्शक बन रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत में हजारों वर्ष से शिक्षा-दीक्षा की परंपरा की धरोहर है और सिर्फ ‘फॉर्मल एजुकेशन’ ही नहीं बल्कि ‘इन्फॉर्मल एजुकेशन’ के लिए भी उत्तम शिक्षा के मूल्यों की अनेक क्षितिजें इसमें समाहित हैं।

Narendra Modi addresses Chintan Shibir organized by Indian Institute of Teacher Education

राष्ट्र निर्माण, समाज निर्माता और व्यक्ति निर्माता के तौर पर शिक्षक के दायित्व का तत्वदर्शन प्रस्तुत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि शिक्षक के रूप में समर्पित भाव से ‘एषः पंथाः’ का जीवन धर्म स्वीकारने वाले शिक्षक के लिए प्रशिक्षण की उम्दा व्यवस्था होनी चाहिए और गुजरात ने यह पहल की है। कक्षा १२वीं के बाद उत्तम शिक्षक के तौर पर जिन्हें जीवन मार्ग का चुनाव करना है, उनके लिए यह टीचर यूनिवर्सिटी उत्तम शिक्षक बनने की प्रेरणास्त्रोत है।

किसी विषय पर विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए शिक्षक की सोच और उसकी तैयारी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थी के मानस और ह्रदयभाव के साथ तादात्म्य बैठाकर ही शिक्षक सफल बन सकता है। इस मनोयोग को शिक्षक में उजागर करने के लिए १९४८ से सिर्फ उच्च आयोगों के गठन की खानापूर्ति ही हुई है परन्तु शिक्षा में सुधार को लेकर कोई नई पहल कतई नहीं की गई है। शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत महज बुनियादी सुविधाओं को ही नहीं बल्कि शिक्षक के उत्तम निर्माण को भी शैक्षणिक परिवर्तन में महत्ता मिलनी चाहिए। उत्तम शिक्षकों का निर्माण किसी भी देश के लिए प्राथमिक जवाबदारी होनी चाहिए लेकिन ५०-६० वर्ष बाद भी भारत में इस दिशा में गंभीरता से कोई व्यवस्था खड़ी नहीं की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तम शिक्षकों का कौशल वर्द्धन होते रहना चाहिए। महज पुस्तकों के जरिए ज्ञान अर्जित नहीं किया जा सकता, इसके लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण को “टीचिंग” नहीं अपितु “लर्निंग” प्रोसेस की ओर प्रेरित करना होगा। श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में विद्यार्थी के व्यक्तित्व विकास के नये आयाम ‘लर्निंग प्रोसेस’ के साथ कैसे हों, इसकी समझ भी उजागर होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा के इस युग में शिक्षक के समक्ष यह चुनौती है कि वह वर्तमान पीढ़ी के बाल मानस की जिज्ञासा-जानकारी की ऊंचाई को शांत करने में सक्षम हो। बच्चे के मन में उठने वाली जिज्ञासा का विश्वास के साथ ऐसा उत्तर दिया जाना चाहिए कि उसे पूरा संतोष हो।

मुख्यमंत्री ने कहा माता जन्म देती है, लेकिन शिक्षक जीवन देता है। शिक्षक देश के गणतंत्र में ‘गुणतंत्र’ का विकास कर सकता है।

श्री मोदी ने कहा कि शाला प्रवेशोत्सव उत्सव की ऐसी नई परिभाषा है जिसमें समाज और राष्ट्र के लिए नई पीढ़ी को शाला प्रवेश के जरिए जीवन यात्रा में पदार्पण कराने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि समग्र देश में उच्च शिक्षा, बिजनेस मैनेजमेंट, मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालयों का ग्रेडेशन होता है, लेकिन गुजरात सरकार ने तो प्राथमिक स्कूलों का ग्रेडेशन किया है।

कथाकार श्री रमेश ओझा भाईश्री ने कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक समाज में यदि कोई सर्वाधिक आदरणीय है तो वह सैनिक और शिक्षक ही है। समाज की यह स्वीकृति ही यह साबित करती है कि सैनिक के लिए शस्त्र और शिक्षक के लिए शास्त्र, दोनों मानव संसाधन के लिए राष्ट्र रक्षाऔर संस्कृति की महिमा प्रकट करते हैं।

श्री ओझा ने कहा कि देश और समाज के लिए समर्पित भाव से ही सच्चा शिक्षक और सैनिक जीवन भर अपनी वृत्ति को आत्मसात करता है।

गुजरात सभी क्षेत्रों में कुछ नया कर सकता है। कथा भी लोकशिक्षा का माध्यम है और शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। भाईश्री ने कहा कि वे गुरुप्रतिष्ठा में विश्वास करते हैं और शिक्षक के सहधर्मी हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी के बौद्धिक विकास के साथ मानवीय मूल्यों के विकास का महत्व भी समझाया।

शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा ने मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन के लिए गुजरात ने मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में जो अनोखी उपलब्धियां हासिल की हैं उसकी भूमिका पेश करते हुए कहा कि पूर्व प्राथमिक से लेकर पीएचडी तक उत्तम शिक्षक के लिए गुजरात की दिशा देश के लिए पथप्रदर्शक बनेगी।

यूजीसी के वाइस चेयरमैन एच. देवराज ने शिक्षक के पेश को उत्कृष्टता की ओर ले जाने की दूरदृष्टि के लिए मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को अभिनंदन दिया। आईआईटीई के कुलपति कमलेश जोषीपुरा ने चिन्तन शिविर की रूपरेखा पेश करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक प्रशिक्षण के नव निन्तन के लिए गुजरात की यह पहल एक मंथन छत्र प्रदान करेगी।

कुल सचिव बी.जे. भट्ट ने स्वागत भाषण दिया। शिविर में गुजरात एवं अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद् और शिक्षा जगत से जुड़े नागरिक और आमंत्रित मौजूद थे।

Narendra Modi addresses Chintan Shibir organized by Indian Institute of Teacher Education