प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज यहां विराट पुरूष नाना जी देशमुख नामक ग्रंथावली का विमोचन किया. यह ग्रंथ दीनदयाल अनुसंधान संस्‍थान द्वारा छह अंकों में संकलित किया गया है, जो नानजी देशमुख की रचनाओं का संकलन है.

PM Being honoured by Shri Virenderjeet singh

इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने नानाजी देशमुख की शक्ति, अभियान और राष्‍ट्र-निर्माण एवं सामाजिक कल्‍याण के प्रति उनकी वचनबद्धता की सराहना की. उन्‍होंने कहा कि उनके प्रयासों की बदौलत ही ''शिशु मंदिर'', जिसकी शुरूआत गोरखपुर में की गई थी, देशभर में शिक्षा का एक विख्‍यात संस्‍थान बना. उन्‍होंने राजनीतिक सहमति विकसित करने की नानाजी की क्षमता की भी सराहना की.

PM Releasing books on Virat Purush Nana JI

प्रधानमंत्री ने श्री देशमुख ने 60 वर्ष की आयु में राजनीति से संन्‍यास लेते हुए अपना समूचा जीवन ग्रामीण विकास के प्रति समर्पित कर दिया था. श्री मोदी ने यह भी याद दिलाया कि देशमुख से प्रेरित होकर अनेक युवाओं ने सामाजिक उत्‍थान के प्रति अपने को समर्पित कर दिया था.

PM paying Floral tribute  to Virat Purush Nana JI

श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि नानाजी ने अनेक प्रसिद्ध उद्योगपतियों को भी समाज के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया था. उन्‍होंने कहा कि नानाजी का विचार था कि ''विज्ञान सार्वभौमिक हो सकता है लेकिन प्रौद्योगिकी अनिवार्य रूप से स्‍थानीय होनी चाहिए.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि ''विराट पुरूष नानाजी'' नामक ग्रंथ भारत की भावी पीढि़यों को राष्‍ट्र निर्माण में योगदान के लिए प्रेरित करेगा.