श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 मार्च, 2014 की शाम को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित योग महोत्सव में भाग लिया।
शहीद दिवस के मौके पर पतांजलि योगपीठ और भारत स्वभिमान ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित योग महोत्सव में दुनियाभर से करोड़ों लोगों ने योग में भाग लिया। स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरु की जयंती के मौके पर आयोजित हुए योग महोत्सव में भारत के 650 जिले तथा दुनिया के 40 से अधिक देशों से लोगों ने हिस्सा लिया और इस मौके पर श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सम्मानित किया।
इस मौके पर अपने संबोधन में श्री मोदी ने योग शक्ति के जरिये स्वस्य् सम भारत सुनिश्चित करने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव के प्रयासों की सराहना की। श्री मोदी ने कहा, ‘‘ऐसा माना जाता रहा है कि योग ऐसी क्रिया है जिसे सिर्फ साधु संत गुफाओं में करते हैं। रामदेवजी ने इसे जन आन्दोलन बना दिया है और प्रत्येक व्यक्ति को इसके साथ जोड़ा है। इसके लिए मैं योगी रामदेवजी को बधाई देता हूं। उन्होंने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भी किया है और मेरा विचार है कि यह एक विश्व रिकार्ड है।’’ उन्होंने विभिन्ने व्याधियों को खत्म करने में योग की अपार क्षमता का जिक्र किया और बताया कि केंद्र सरकार योग की वास्तविक अहमियत को साकार करने के लिए जरा भी सजग नहीं है। श्री मोदी ने कहा, ‘‘योग सिर्फ रोगमुक्ति के लिए नहीं बल्कि भोगमुक्ति के लिए भी है। योग हमारा सांस्कृतिक दूत बन सकता है। हम इस माध्यम के जरिये दुनिया को संदेश दे सकते हैं। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि इस महोत्सव का शुभारंभ सूरत में हुआ और मुझे वहां उपस्थित होने का सम्मान प्राप्त हुआ है।”
श्री मोदी ने बताया कि बाबा रामदेव की यह अकेली पहल किस तरह स्व्स्य् समाज बनाने पर केंद्रित है और यह किसी राजनीतिक झुकाव का परिणाम नहीं है। भ्रष्टाचार-मुक्ति समाज सुनिश्चित करने की दिशा में बाबा रामदेव के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री मोदी ने कहा, “बाबा रामदेव को लोगों या पार्टियों से कुछ लेना-देना नहीं है। उन्होंने बस एक मुद्दा उठाया कि भ्रष्टाचार और कालाधन क्यों है। उन्होंने जो मुद्दा उठाया है, मैं वास्तव में सम्मान करता हूं और मैं महसूस करता हूं कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें मैं उठाना चाहता हूं.....दुर्भाग्य से कुछ लोगों की इससे नींद उड़ गयी और उन्हें परेशान किया।”
इस मौके पर श्री मोदी ने देश के स्वतंत्रता संघर्ष में स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भी याद किया और उनके प्रति श्रृद्धा प्रकट की। उन्होंने बताया कि आजादी से पहले लोगों के पास अपने देश के लिए मिटने का सम्मा्न था लेकिन आज हमें देश के लिए जीना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “मैं देश के लिए प्राण न्योछ्यावर करने वाले सभी शहीदों को नमन करता हूं। 1947 से पहले लोगों के पास देश के लिए मिटने का सम्मान था। हमारे पास वह सम्मान नहीं है लेकिन हमें देश के लिए जीना होगा। आज, हमें खुद को भारत की जनता और भारत माता के लिए समर्पित करना होगा।” श्री मोदी ने यह भी बताया कि राष्ट्र।
निर्माण के लिए प्रयास किस दिशा में किये जायें ताकि 2022 में भारत जब अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाये तो राष्ट्र स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची् श्रृद्धांजलि दे सके। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा जब गरीबों के पास अपने घर हों, सभी के पास रोजगार हो और बिजली, पानी तथा स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएं सबको मुहैया करायी जायें। श्री मोदी ने कहा, “यह हमारे ऊपर है कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर हम कैसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहते हैं। हम स्वतंत्रता सेनानियों को क्यां श्रृद्धांजलि देना चाहते हैं। अतिगरीब से भी गरीब के पास घर हो, प्रत्ये्क व्यक्ति के पास नौकरी हो, बिजली, पानी और स्वच्छ्ता हो। क्या यह अभिलाषा बड़ी बात है।”
इस मौके पर पूज्य” मोरारी बापूजी, भाई श्री रमेशभाई ओझा, स्वामी अवधेशानंद गिरि और स्वामी गोविंद व्यास उपस्थित विभूतियों में शामिल थे।