प्रिय मित्रों,

आज हम सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 137वीं जन्म जयंती पर हार्दिक श्रद्घांजलि अर्पित करें।

सरदार पटेल गुजरात की धरा के महान सपूत थे यह हमारे लिए अत्यंत गर्व और आदर की बात है। भारत की आजादी के संघर्ष में सरदार पटेल की भूमिका काफी जानी-मानी है और इसके विषय में ज्यादा लिखने की आवश्यकता नहीं, फिर भी एक बात मैं कहना चाहता हूं कि सरदार पटेल एक सच्चे सत्याग्रही थे, उनमें लोगों को संगठित कर एक दिशा में ले जाने की अद्भुत शक्ति थी। किसानों और समाज के दबे-कुचले वर्ग के लोगों में उनकी लोकप्रियता के संबंध में कोई दो राय नहीं। सामान्य परिस्थिति में से आगे बढक़र वह एक विराट ऊंचाई पर पहुंचे थे और इसके बावजूद वह अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले थे।

अपने समग्र सार्वजनिक जीवन के दौरान वह अपनी नीतिमत्ता और प्रामाणिकता जैसे मूल्यों के प्रति सख्ती से समर्पित रहे। अपनी बैरिस्टर के रूप में जबर्दस्त प्रैक्टिस और तमाम भौतिक सुखों को छोडक़र वह आजादी की लड़ाई में शामिल हुए। वह देश के प्रथम गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री बनें, इसके बावजूद भी सादगी के साथ उनका नाता बरकरार रहा।

भारत जब आजादी की दहलीज पर था तब देश में लगभग 500 जितने रजवाड़े थे, इन तमाम रजवाड़ों के आकार अलग-अलग थे और प्रत्येक राजाओं के साथ बातचीत-व्यवहार की पद्घति बिल्कुल भिन्न रखनी पड़ती थी। इस एक अत्यंत महत्वपूर्ण मौके पर तमाम रजवाड़ों को भारत में शामिल करने के विराट कार्य की जिम्मेदारी सरदार पटेल के कंधों पर आई थी। इस अभियान को पूर्ण करने के लिए वह अडिग संकल्प से लग गए और एक के बाद एक तमाम रजवाड़े भारत में शामिल हो जाएं, यह उन्होंने सुनिश्चित किया। सौराष्ट्र के जूनागढ़ को भारत में शामिल करने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास अखंड भारत के निर्माण के उनके विजन का एक छोटा सा उदाहरण है, जिसके लिए हम सदैव उनके आभारी रहेंगे।

स्थिति ऐसी थी कि शायद आजादी के दो महीनों में ही कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बन जाता लेकिन मात्र सरदार पटेल की त्वरित निर्णय लेने की विशिष्ट क्षमता के कारण ही कश्मीर हमारे हाथ से फिसलने से बच गया,यह बात हमें याद रखनी चाहिए। कश्मीर देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश था जिसके लिए सरदार को स्वतंत्र निर्णय लेने की छूट नहीं दी गई थी। मुझे विश्वास है कि अगर कश्मीर को भारत में शामिल करने की प्रक्रिया में सरदार पटेल को छूट दी गई होती तो आज कश्मीर की स्थिति कुछ अलग ही होती। मात्र कश्मीर की ही बात नहीं, मैं अक्सर कहता हूं कि अगर इस देश ने सरदार पटेल की दिशा अपनाई होती तो देश की परिस्थिति काफी भिन्न होती।

उनके जमाने के अन्य महापुरुषों की तरह सरदार पटेल भी लोगों की चर्चा का विषय रहे हैं। वास्तव में, एक आजाद और अखंड भारत के निर्माण के सपने को साकार करने में सरदार पटेल की भूमिका का आंकलन करना या समझना हमारी क्षमता के बाहर की बात है। लोगों ने उनको अलग-अलग उपनामों से नवाजा है। कोई उनको भारत का बिस्मार्क कहता है तो कोई आधुनिक भारत के चाणक्य के रूप में जानता है। सरोजनी नायडु ने उनको लोहे की पेटी में रखे स्वर्ण रत्न के समान बतलाया है। कई विचारकों ने उनको बाजराकुंड में खिले कोमल पुष्प के समान बतलाया है तो कई ने उनकी वैदेही के जनक के साथ तुलना की है।

पॉलिटिकल साइंस विषय के एक विद्यार्थी के रूप में और गुजरात तथा देश के इतिहास के प्रति अत्यंत जुनून रखने वाले व्यक्ति के तौर पर मैं मेरी सीमित समझ से सरदार पटेल को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखता हूं जिन्होंने महात्मा गांधी द्वारा बतलाए गए सिद्घांतों को आत्मसात किया। 1924 के बारडोली सत्याग्रह से लेकर खेड़ा के जनआंदोलन द्वारा सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की परिकल्पना के अनुरुप आजादी की लड़ाई की नींव रखी।

सरदार पटेल की तुलना अन्य किसी भी व्यक्ति के साथ करना सरदार पटेल के साथ अन्याय करने जैसा होगा। जाने-माने गुजराती विचारक गुणवंत शाह के शब्द मुझे याद आते हैं, सरदार और बस सरदार, दूसरा कोई नहीं!

सरदार पटेल हमारे दिल और दिमाग पर अमर बनकर छा चुके हैं। इसका एक सबूत यह है कि अब भी कई बार हमें यह सुनाई देता है कि: आज अगर सरदार साहब जीवित होते तो... देश के चाहे किसी भी हिस्से में जाएं, आपको यह शब्द सुनाई देंगे। देश को किसी भी संकट में से उबार लेने की सरदार पटेल की क्षमता पर लोगों को अपार विश्वास और आदर है। विधि की विडंबना देखिए कि जिस पार्टी के लिए सरदार पटेल ने अपना समग्र जीवन खपा डाला और अपनी अंतिम सांस तक वह जिनके अनुशासित सैनिक बनकर रहे उसी पार्टी ने उनकी उचित कद्र नहीं की। सरदार पटेल को वर्ष 1991 में भारत रत्न सम्मान प्रदान किया गया, उनकी मृत्यु के 41 वर्ष बीत जाने के बाद। इससे ज्यादा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है?

गुजरात में पिछले एक दशक के दौरान हमनें सदैव सरदार पटेल द्वारा दिखलाए गए मार्ग पर चलने और आने वाली पीढियों के लिए उनके आदर्श को बरकरार रखने का प्रयास किया है। इस महापुरुष को श्रद्घांजलि देने के लिए हम सरदार पटेल के स्टेचु ऑफ यूनिटी का निर्माण करने जा रहे हैं। 182 मीटर ऊंची यह विराट प्रतिमा नर्मदा के किनारे आकार लेगी और भारत की एकता, अखंडता और इसकी भव्य सांस्कृतिक विरासत को बरकरार रखने वाला यह एक यात्राधाम बनेगा। इस स्थान पर 1857 से 1947 तक भारत की आजादी की लड़ाई से संबंधित एक अत्याधुनिक संग्रहालय भी तैयार किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट का वीडियो मैं यहां रख रहा हूं, आशा है आप सब देखेंगे।

इस खास दिन पर मैं आधुनिक भारत के इस निर्माता को और मुझे अत्यंत प्रेरित करने वाले इस महान सपूत को नमन करता हूं। मुझे विश्वास है कि सरदार पटेल बरसों-बरस तक इस देश के लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे।

 

आपका,

नरेन्द्र मोदी

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Kind Words from Honorable Justice Krishna Iyer, former Judge of the Supreme Court
March 19, 2020

Dear Friends,

"Work without expecting the fruits of action"- this message of the Bhagavada Gita is strongly engrained in all of us. At times, even such deeply dedicated lives get inspired when touched by emotions. Amidst the glitter of fame and name flows incessantly a stream of sentiments but it is like river Saraswati just felt underneath. The sweet sounds of these streams find their ways and shake you to the core occasionally.

Sometime back I had been to Kerala where I paid an informal courtesy to one of India’s most renowned judges, Honorable Justice Krishna Iyer (Former Judge, Supreme Court). In a simple house, he sat in a room lit with sunrays peeping through the windows in the midst of heaps of books. It was truly an honour to meet the 90-year old Justice Iyer, whose persona epitomized politeness, kindness and a deep sense of affection! This meeting will be edged in my memory forever.

Friends, the whole of Gujarat is familiar with my passion for girl child education. Everybody has enjoyed the fruits of the Kanya Kelavani initiative across Gujarat! Details about the initiative could be found here (Kanya Kelavani).

I am writing this today to share with you an inspiring letter I received from Justice Iyer a few months ago in which he lauded our efforts for girl child education. The letter is sure to bring great joy to your heart as it did to mine. Joy and enthusiasm are best enjoyed when shared and this collective enthusiasm can further strengthen us to work better.

(His letter and my reply can be viewed here)

Letter 1 :- Honorable Justice Iyer’s letter to Shri Narendra Modi

Letter 2 :- Shri Narendra Modi’s reply to Honorable Justice Krishna Iyer