जनमाष्टमी के सार्वजनिक अवकाश के बावजूद मुख्यमंत्री ने किया बनासकांठा, पाटण और कच्छ जिले में

अकाल का सर्वांगीण समीक्षा दौरा

अकाल की आपत्ति को अवसर में बदलें: मुख्यमंत्री

नर्मदा कैनाल के दोनों तरफ सरकारी जमीन के विशाल पट्टे लीज पर देकर घासचारा बुआई का अभियान

जनभागीदारी से शुरू किया जाएगा

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को बनासकांठा, पाटण और कच्छ जिले में अकाल की स्थिति और अकाल प्रबंधन के उठाए गए कदमों के सन्दर्भ में जिला मुख्यालयों में समीक्षा बैठक आयोजित की। इस बार अकाल की आपत्ति को गुजरात में स्थायी उत्पादकीय संसाधनों, जल संग्रह और कुपोषण मुक्ति के लिए नई पहल के समान अभियान चलाकर अवसर में तब्दील करने का उन्होंने जिला प्रशासन तंत्र और समाज शक्ति को आह्वान किया।

जनमाष्टमी पर्व का सार्वजनिक अवकाश होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने इन तीन जिलों के मुख्यालयों में अकाल राहत की सर्वांगीण समीक्षा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में भूतकाल में अकाल की स्थिति में तत्काल राहत के नाम पर सरकारी तिजोरी खाली हो जाती थी, लेकिन भविष्य की कोई दूरदर्शी योजनाएं नहीं बनाई जाती थी। जलव्यवस्थापन के अभाव में हमेशा जल संकट की स्थिति बनी रहती थी

उन्होंने आह्वान किया कि सूखे के संकट का सामना करने की क्षमता से एक कदम आगे बढ़ते हुए अकाल की आपत्ति को अवसर में तब्दील करते हुए स्थायी समस्याओं के निवारण की नई पहल के समान आयामों को सफल बनाना है। भूतकाल के अकाल के पैरामीटर और परंपरागत राहत के अलावा गुजरात में विकास के स्थायी उत्पादकीय संसाधन खड़े करने और अकाल निवारण प्रबंधन के गुजरात मॉडल को देश के समक्ष पेश करने आह्वान भी श्री मोदी ने किया।

मुख्यमंत्री ने बनासकांठा और पाटण जिले के मुख्यालयों में जिला प्रशासन तंत्र के साथ असरग्रस्त इलाकों की जनता को खेतीबाड़ी, सिंचाई, पेयजल, घासाचारा, ग्रामीण रोजगारी समेत अकाल राहत के सर्वग्राही कदमों की समीक्षा की।

सूखे के संकट को अवसर में पलटने के लिए जिला प्रशासन तंत्र की टीमों को प्रोएक्टिव, विजनरी बनकर भविष्य में अकाल की चुनौती का सामना करने का प्रेरक सुझाव मुख्यमंत्री ने दिया। नर्मदा शाखा नहर के लिए जमीन अधिग्रहण के सभी कार्य पूर्ण कर बनासकांठा जिले ने प्रेरक दृष्टांत पेश किया है, ऐसे में शाखा नहरों के कामों का महीनेवार आयोजन पूर्ण करने का मिशन शुरू करने का निर्देश श्री मोदी ने दिया।

मुख्यमंत्री ने बनासकांठा में नर्मदा मुख्य कैनाल की 70 किमी. लंबाई के दोनों तरफ और 15 किमी. की शाखा नहरों के भी दोनों तरफ मनरेगा योजना के तहत नर्सरी और घासचारे की बुआई का उत्पादकीय काम विशाल पैमाने पर रोजगारी मिले इस तरह तत्काल शुरू करने का निर्देश दिया।

श्री मोदी ने जल संचय और जल संरक्षण के स्थायी उत्पादकीय कामों विशेषकर चैकडेमों के डिसील्टिंग करने का व्यापक अभियान शुरू करने और मनरेगा द्वारा खेत तलावड़ी के कामों का समयबद्घ आयोजन करने का प्रेरक मार्गदर्शन दिया। इसके अलावा तालाबों को गहरा करने का अभियान शुरू करने का सुझाव भी उन्होंने दिया। उन्होनें कहा कि राज्य के जंगल क्षेत्र में पेयजल जलापूर्ति की योजना को तत्काल मंजूर किया जाएगा। पशुधन के लिए पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मवेशियों के लिए पानी और घासचारे का आयोजन परिणामकारी होना चाहिए।

तीनों जिलों के डार्कजोन इलाकों में खेतीबाड़ी के लिए बिजली कनेक्शन प्राथमिकता से देने और ड्रिप इरिगेशन को अनिवार्य रूप से अपनाने का अभियान चलाने की भूमिका उन्होंने पेश की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नर्मदा कैनाल के दोनों तरफ घासचारे की बुआई के लिए तत्पर गोशाला और पांजरापोलों को अकाल में एक वर्ष के लिए नर्मदा कैनाल का पानी और सरकारी अधिग्रहित जमीन लीज पर देने का निर्णय किया है।

जीवदया का काम करने वाली गोशालाओं को प्रेरित कर करार आधारित घासचारे की बड़े पैमाने पर बुआई का संयोजन करने की मनरेगा आधारित योजना शुरू करने तथा अकाल राहत को विकास के पैकेज के रूप में अपनाने का उन्होंने जिला तंत्र से समूह चिंतन करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने मनरेगा योजना में रोजगारी के लिए कामों समेत घासचारे की वैज्ञानिक तरीके से बुआई करने का निर्देश दिया। मनरेगा के तहत जलसंचय के कामों, खेत तालाब के लिए कामों का अभियान चलाकर योजना द्वारा अधिकतम रोजगारी के साथ उत्पादकीय कामों को करने की जिला टीमों को उन्होंने प्रेरणा दी।

बनासकांठा, पाटण और कच्छ सहित अन्य जिलों में परंपरागत खेत पद्घति में आमूल बदलाव आया है, ऐसे में परंपरागत खेती के स्थान पर फल, बागायत खेतीबाड़ी के लिए कम बरसात में अधिकतम लाभदायक खेती के नये आयाम शुरू करने का मार्गदर्शन मुख्यमंत्री ने दिया। ट्यूबवैल के लिए ड्रिप इरिगेशन को अनिवार्य बनाने और प्राथमिकता के स्तर पर कृषि विषयक बिजली कनेक्शन देने देने के अभियान की भूमिका भी उन्होंने दी।

मुख्यमंत्री ने अकाल प्रबंधन में कुपोषण निवारण को भी प्राथमिकता देने का निर्देश करते हुए कहा कि जनभागीदारी और समाज सेवा को शामिल करते हुए अकाल राहत और कुपोषण मुक्ति के लिए सुखड़ी के पोषक आहार का अभियान छेडऩे का यह अवसर है।

घास उगाने के साथ ही घास बचत का अभियान भी चलाने के लिए गांव-गांव कम्यूनिटी चाफकटर की डेयरी सहकारी व्यवस्था खड़ी कर 40 प्रतिशत घास बचत का अभियान चलाने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया।

बनासकांठा स्थित पालनपुुर में जिला प्रभारी मंत्री नितिनभाई पटेल, वरिष्ठ मंत्री फकीरभाई वाघेला, राज्य मंत्री लीलाधर वाघेला, विधायकगण तथा जिला अधिकारियों की मौजूदगी में अकाल प्रबंधन का अनोखा चिंतन प्रस्तुत किया।

पाटण जिले में अकाल प्रबंधन का गुजरात मॉडल खड़ा करने के लिए जिला अकाल राहत की समीक्षा बैठक में राजस्व मंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल, मंत्री रमणलाल वोरा और जयनारायण व्यास, सह प्रभारी राज्य मंत्री जयसिंह चौहान, प्रभारी सचिव राजीव गुप्ता, विधायकगण, जिला पंचायत अध्यक्ष और जिला अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने अकाल प्रबंधन के कदमों की जानकारी हासिल की और प्रेरक मार्गदर्शन दिया।

दोनों जिलों के कलक्टरों और जिला विकास अधिकारियों ने जिला कन्टीन्जेंसी प्लान के अमल की भूमिका पेश करते हुए प्रेजेन्टेशन दिया।