प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) विधेयक, 2017 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया जाएगा, जो अपने छात्रों को डिग्री प्रदान करने में सक्षम हो जाएगा।
इस विधेयक की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
- आईआईएम अपने छात्रों को डिग्री प्रदान कर सकेगा।
- यह बिल संस्थानों को पर्याप्त जवाबदेही के साथ पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करने के लिए है।
- इन संस्थानों का प्रबंधन बोर्ड द्वारा किया जाएगा। संस्थान के चेयरमैन और निदेशक का चयन बोर्ड द्वारा किया जाएगा।
- बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्व छात्रों की अधिक से अधिक भागीदारी इस विधेयक की प्रमुख विशेषताओं में है।
- बोर्ड में महिलाओं और अनसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों को शामिल करने के लिए भी प्रावधान किया गया है।
- यह विधेयक स्वतंत्र एजेंसियों से संस्थानों के प्रदर्शन की आवधिक समीक्षा और उसके परिणाम पब्लिक डोमेन में डाले जाने की व्यवस्था भी करता है।
- संस्थानों की वार्षिक रिपोर्ट संसद में रखी जाएगी और सीएजी उनके खातों की ऑडिटिंग करेंगे।
- एक सलाहकार निकाय के रूप में आईआईएम की समन्वय फोरम का भी प्रावधान किया गया है।
पृष्ठभूमिः
भारतीय प्रबंधन संस्थान प्रबंधन में सबसे अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने वाले देश के प्रमुख संस्थान हैं। जो प्रबंधन में शिक्षा और प्रशिक्षण की प्रक्रिया के विश्वस्तरीय बेंचमार्क हैं। आईआईएम की पहचान विश्व स्तरीय प्रबंधन संस्थानों और उत्कृष्टता केंद्रों के रूप में रही है और इन्होंने देश को ख्याति दिलाई है। सभी आईआईएम सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत अलग-अलग स्वायत्त निकाय हैं।
सोसायटी होने के कारण, आईआईएम डिग्री प्रदान करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। वे प्रबंधन में क्रमशः पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और फेलो प्रोग्राम प्रदान करते हैं। हालांकि इन्हें एमबीए और पीएचडी के समकक्ष माना जाता है, लेकिन समकक्ष होने को वैश्विक स्वीकार्यता प्राप्त नहीं है, विशेषकर फेलो कार्यक्रमों में।