India signs historic Nuclear Agreement that opens up market for cooperation in the field of nuclear energy between India & Japan
Nuclear agreement opens up new avenues of civil nuclear energy cooperation with international partners
Key MoU inked to promote skill development. Japan to set up skill development institutes in Gujarat, Rajasthan, Karnataka
Japan to establish skill development centres in 3 states. 30000 people to be trained in 10 years
Skill development programmes to begin with Suzuki in Gujarat, with Toyota in Karnataka and with Daikin in Rajasthan
Task force to be set up to develop a concrete roadmap for phased transfer of technology and #MakeInIndia
Mumbai-Ahmedabad High Speed Rail on fast track with PM Modi’s Japan visit
Tokyo 2020 Olympics and Paralympics –Japan to promote sharing of experiences, skills, techniques, information and knowledge
Strongest ever language on terrorism in a Joint Statement with Japan
  1. भारत के प्रधानमंत्री महामहिम श्री नरेन्द्र मोदी जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री शिंजो अबे के आमंत्रण पर फिलहाल जापान के आधिकारिक यात्रा पर हैं। आज सुबह यानी 11 नवंबर 2016 को टोक्यो में दोनों प्रधानमंत्रियों ने व्यापक विचार-विमर्श किया। इस दौरान उन्होंने 12 दिसंबर 2015 को तैयार ‘भारत और जापान दृष्टि 2025’ के रूप में रेखांकित विशेष सामरिक एवं वैश्विक भागीदारी की व्यापक समीक्षा की। उन्होंने अगस्त-सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा के बाद पिछले दो वर्षों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति को स्वीकार किया।

 

भागीदारी को बल

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने बौद्ध मत की साझी विरासत सहित दोनों देशों के लोगों के बीच सभ्यतामूलक गहरे संबंधों की सराहना की। साथ ही उन्होंने लोकतंत्र के प्रति साझा प्रतिबद्धता जताई और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को हासिल करने के लिए कानून के शासन को प्रमुख मूल्य के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने दोनों देशों के राजनैतिक, आर्थिक एवं सामरिक हितों में समानता के उच्च स्तर का स्वागत किया जो दीर्घकालिक साझेदारी के लिए स्थायी आधार मुहैया कराता है।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने विश्व की समृद्धि के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व को एक प्रमुख प्रेरक के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने इस क्षेत्र में बहुलतामूलक एवं समावेशी विकास को साकार करने के लिए लोकतंत्र, शांति, कानून का शासन, सहिष्णुता और पर्यावरण के लिए सम्मान जैसे बुनियादी मूल्यों पर जोर दिया। इस परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री अबे ने ‘ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय भागीदारी की सराहना की और प्रधानमंत्री मोदी को ‘मुक्त एवं खुली भारत-प्रशांत रणनीति’ के बारे में बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस रणनीति के तहत जापान की इस क्षेत्र में जबरदस्त भागीदारी की सराहना की। उन्होंने माना कि इस नीति एवं रणनीति के बीच गहरे द्विपक्षीय सहयोग और तालमेल की संभावनाएं मौजूद हैं।

 

  1. उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि मुक्त एवं खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र के माध्यम से एशिया और अफ्रीका के बीच संपर्क में सुधार लाना पूरे क्षेत्र की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने आपसी परामर्श एवं विश्वास के सिद्धांत पर आधारित औद्योगिक नेटवर्क के साथ-साथ कनेक्टिविटी में सुधार और बेहतर क्षेत्रीय एकीकरण के लिए द्विपक्षीय एवं अन्य भागीदारों के साथ करीबी सहयोग के जरिये भारत की ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति और जापान की ‘एक्सपेंडेड पार्टनरशिप फॉर क्वालिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर’ के बीच तालमेल बिठाने का निर्णय लिया।

 

  1. पारस्पिरिक निर्भरता को मजबूती देने और वैश्विक एजेंडे की जटिलता की समीक्षा करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद एवं हिंसक चरमपंथ से मुकाबला, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) सहित संयुक्त राष्ट्र में सुधार और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय सीमा व्यवस्था को बनाए रखने जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए साझा रणनीति तैयार करने एवं सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया।

 

  1. भारत की उच्च विकास दर वाली अर्थव्यवस्था में उपलब्ध पर्याप्त मानव संसाधन एवं आर्थिक अवसरों के साथ जापान की पूंजी, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी को जोड़ने की अपार संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने विशेष सामरिक एवं वैश्विक भागीदारी को मजबूती देने के लिए उच्च प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, स्वच्छ ऊर्जा एवं ऊर्जा क्षेत्र के विकास, बुनियादी ढांचा एवं स्मार्ट सिटी, जैव-प्रौद्योगिकी, फार्मास्युटिकल्स, आईसीटी, शिक्षा एवं कौशल विकास के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित किया।

 

सुरक्षित एवं स्थिर दुनिया के लिए मजबूत भागीदारी का निर्माण

 

  1. भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत और जापान की भूमिका पर जोर देते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने आपसी सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करने की जरूरत को दोहराया। उन्होंने ढेर सारी सैन्य सूचनाओं के संरक्षण के लिए सुरक्षा उपायों और रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतण के संदर्भ में दो रक्षा फ्रेमवर्क समझौतों को लागू करने का स्वागत किया। उन्होंने रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से विशिष्ट वस्तुओं के निर्धारण के लिए विचार-विमर्श में तेजी लाने के साथ-साथ बेहतर दोतरफा सहभागिता एवं प्रौद्योगिकी सहयोग, सह-विकास एवं सह-उत्पादन के जरिये रक्षा कार्यों में विस्तार की जरूरतों को रेखांकित किया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने नई दिल्ली में आयोजित रक्षा मंत्रिस्तरीय वार्षिक वार्ता की सफलता, मालाबार अभ्यास में जापान की नियमित भागीदारी और विशाखापत्तनम तट पर अंतरराष्ट्रीय बेड़े की समीक्षा की सराहना की। उन्होंने ‘2+2’ वार्ता, रक्षा नीति वार्ता, सेना से सेना वार्ता और तटरक्षक से तटरक्षक सहयोग के माध्यम से द्विपक्षीय सुरक्षा एवं रक्षा वार्ता को और गहराई देने की इच्छा जताई। उन्होंने इस साल के आरंभ में आयोजित वायु सेना कर्मियों की उद्घाटन वार्ता का स्वागत किया। दोनों पक्षों के बीच अब सभी तीनों सेवाओं के लिए व्यापक संस्थापक वार्ता तंत्र मौजूद है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचए/डीआर) अभ्यासों में पर्यवेक्षकों के आदान-प्रदान और अन्य क्षेत्रों में कर्मियों के प्रशिक्षण एवं विनिमय के जरिये रक्षा क्षेत्र में वार्ता एवं सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई।

 

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने यूएस-2 एम्फीबियन विमान जैसे अत्याधुनिक रक्षा प्लेटफॉर्म मुहैया कराने के लिए जापान की तत्परता की सराहना की। यह दोनों देशों के बीच जबरदस्त विश्वास और द्विपक्षीय रक्षा आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने में जापान एवं भारत के सफर का प्रतीक है।

 

समृद्धि के लिए भागीदारी

 

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री अबे को बताया कि उनकी सरकार किस प्रकार ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’,‘स्‍कील इंडिया’, ‘स्मार्ट सिटी’, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी अभिनव पहल के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री अबे ने इन गतिविधियों में जापान की पूरी मदद की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि जापान इन गतिविधियों के लिए अपनी उन्नत प्रौद्योगिकी एवं कौशल को साझा करने के अलावा ओडीए सहित जापान के सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के निवेश को सक्रियता से प्रेरित करेगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने रेखांकित किया कि इन प्रयासों से भारत और जापन के निजी क्षेत्र के बीच सहभागिता को आगे बढ़ाने के लिए उल्लेखनीय अवसर सृजित होंगे।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना की लगातार प्रगति का स्वागत किया। यह दोनों देशों की एक प्रमुख परियोजना है जिस पर 2016 में तीन बार संयुक्त समिति की बैठक में चर्चा हो चुकी है।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने एमएएचएसआर परियोजना की लक्ष्य अनुसूची का उल्लेख करते हुए कहा कि जनरल कंसल्टैंट दिसंबर 2016 में अपना काम शुरू कर देंगे। निर्माण कार्य 2018 के अंत तक शुरू हो जाएगा और परिचालन 2023 में शुरू होगा।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने चरणबद्ध तरीके से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और ‘मेक इन इंडिया’ के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार करने के लिए दोनों देशों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए कए कार्यबल गठित करने के प्रस्ताव का भी स्वागत किया। दोनों पक्ष आगे चलकर हाई स्पीड रेल में अपनी भागीदारी को और मजबूत करने की संभावनाएं तलाशेंगे। दोनों प्रधानमंत्रियों ने चरणबद्ध तरीके से हाई स्पीड रेल प्रौद्योगिकी, परिचालन एवं रखरखाव के लिए मानव संसाधन विकास के महत्व पर जोर दिया जिसमें एचएसआर इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए प्रारंभिक कार्य की शुरुआत और उसके प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रगति शामिल हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2017 में ग्राउंड ब्रेकिंग सिरेमनी के आयोजन के साथ ही एमएएचएसआर परियोजना को गति देने के महत्व को माना। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत की पारंपरिक रेलवे प्रणाली के विस्तार और आधुनिकीकरण में भारत और जापान के बीच बढ़ती सहभागिता पर संतोष जताया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने ‘विनिर्माण कौशल हस्तांतरण संवर्द्धन कार्यक्रम’ के जरिये भारत के विनिर्माण क्षेत्र में मानव संसाधन विकास में सहयोग करने का निर्णय लिया। यह कार्यक्रम भारत में विनिर्माण के आधार को समृद्ध करेगा और जापानी शैली के विनिर्माण कौशल एवं गतिविधियों के साथ अगले 10 वर्षों में 30,000 लोगों के प्रशिक्षण के जरिये ‘मेक इन इंडिया’ और ‘कौशल भारत’ में योगदान करेगा। इसके लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ भारत में जापानी कंपनियों द्वारा निर्दिष्ट इंजीनियरिंग काॅलेजों में जैपनीज इंडॉउड कोर्स (जेईसी) शुरू किया जाएगा और जापान-इंडिया इंस्टीट्यूट्स फॉर मैन्युफैक्चरिंग (जेआईएम) की स्थापना की जाएगी। इस कार्यक्रम के तहत पहले तीन जेआईएम गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान में 2017 की गर्मियों में शुरू होंगे।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने ‘भारत-जापान निवेश संवर्द्धन भागीदारी’ के तहत अगले पांच वर्षों में भारमें 3.5 र्टिलियन येन सार्वजनिक एवं निजी वित्तपोषण की प्रगति का स्वागत किया। उन्होंने वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी), दिल्ली-मुम्‍बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) और चेन्नई बेंगलूरु इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (सीबीआईसी) जैसी परियोजनाओं की प्रगति का भी स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने ओडीए परियोजनाओं के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के महत्व को स्वीकार किया।

 

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में बुनियादी ढांचे के विकास एवं आधुनिकीकरण में जापान के ओडीए के उल्लेखनीय योगदान की सराहना की। इस संबंध में दोनों प्रधानमंत्रियों ने चेन्नई एवं अहमदाबाद मेट्रो, मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक परियोजना और दिल्ली के ईस्टर्न पेरिफेरल हाईवे के साथ-साथ इंटेलिजेंस ट्रांसपोर्ट सिस्टम जैसे शहरी परिवहन क्षेत्र में ओडीए परियोजनाओं की प्रगति का स्वागत किया। प्रधानमंत्री अबे ने गुजरात के भावनगर जिले के अलंग के जहाज रीसाइक्लिंग यार्ड के उन्नयन में जापान की मदद की इच्छा जताई।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम करने की अपनी मजबूत प्रतिबद्धता जताई और पूर्वोत्तर भारत में सड़क संपर्क बढ़ाने वाली परियोजनाओं की प्रगति का स्वागत किया। उन्होंने स्मार्ट सिटी से लेकर स्मार्ट द्वीपों के विकास जैसे क्षेत्र में आपसी सहयोग करने का निर्णय लिया। इस संदर्भ में प्रौद्योगिकी एवं बुनियादी ढांचे की पहचान, विकास रणनीति तैयार करने और प्रबंधन प्रक्रियाओं के लिए परामर्श शुरू करने पर सहमति जताई ताकि स्मार्ट द्वीपों का विकास कुशल और प्रभावी तरीके से किया जा सके।

 

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड में सिंचाई परियोना के लिए ओडीए ऋण के प्रावधानों और ओडिशा में वन संसाधन प्रबंधन एवं राजस्थान व आंध्र प्रदेश में सिंचाई में सुधार के लिए सर्वेक्षण की तैयारी की सराहना की।

 

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में एक कॉन्वेंशन सेंटर के निर्माण में मदद के लिए जापान के प्रयासों की सराहना की और उसे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के एक संकेत रूप में उसके प्रतीकात्मक महत्व को माना।

 

  1. प्रधानमंत्री अबे ने भारत में कारोबारी माहौल में सुधार के लिए प्रधानमंत्री मोदी की जबरदस्त प्रतिबद्धता की सराहना की और निवेश नीतियों को उदार बनाने के लिए शुरू किए गए सुधारों का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने कराधान प्रणाली को सरल और युक्तिसंगत बनाने के लिए ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को पारित कराने, दिवालिया एवं दिवालियापन संहिता और अन्य कदमों की सराहना की।

 

  1. प्रधानमंत्री अबे ने भारत में कारोबारी माहौल में सुधार और जापानी निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान इंडस्ट्रियल टाउनशिप्स (जेआईटी) की स्थापना की दिशा में प्रधानमंत्री अबे द्वारा की गई पहल की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि इन टाउनशिप के स्थापित होने से भारत के विनिर्माण क्षेत्र में प्रौद्योगिकी आगमन, नवाचार और बेहतरीन गतिविधियों में सुधार होगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने जेआईटी से संबंधित प्रगति का स्वागत किया जिसमें शुरुआती कार्यान्वयन एवं विशेष निवेश प्रोत्साहन के लिए 12 जेआईटी में से कुछ क्षेत्रों के चयन द्वारा केंद्रित नियोजन शामिल है। उन्होंने जेआईटी के विकास में परामर्श एवं सहयोग जारी रखने के लिए भी सहमति जताई।

 

  1. प्रधानमंत्री अबे ने भारत में जापानी कंपनियों के लिए ‘जापान प्लस’ सुविधा मुहैया कराने की सराहना की। साथ ही उन्होंने जापान-भारत निवेश संवर्द्धन भागीदारी के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में ‘कोर ग्रुप’ द्वारा समन्वय किए जाने की भी प्रशंसा की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस साल आयोजित द्विपक्षीय सामरिक आर्थिक वार्ता, वित्तीय वार्ता और व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते पर बैठकों (सीईपीए) की सफलता पर संतोष जताया और द्विपक्षीय सहयोग में मजबूती के लिए इन वार्ताओं और उपसमितियों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने अक्टूबर 2016 में सामाजिक सुरक्षा समझौते को लागू होने का भी स्वागत किया जिससे कारोबार की लागत घटेगी और भारत एवं जापान के बीच मानव संसाधन एवं आर्थिक विनिमय में आसानी होगी।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत में जापानी कंपनियों के प्रत्यक्ष निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए निपाॅन एक्सपोर्ट एंड इन्वेस्टमेंट इंश्योरेंस (एनईएक्सआई) और जापान बैंक फॉर इंटरनैशनल कोऑपरेशन (जेबीआईसी) द्वारा 1.5 र्टिलियन  येन तक  ‘जापान-भारत मेक इन इंडिया स्पेशल फाइनैंस फैसिलिटी’ की सुविधा मुहैया कराने के महत्व की पुष्टि की। उन्होंने भारत में परिवहन एवं शहरी विकास जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए नैशनल इन्वेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) और जापान ओवरसीज इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के बीच सहमति ज्ञापन (एमओयू) का स्वागत किया।

 

स्वच्छ एवं हरित भविष्य के लिए मिलकर काम

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि भरोसेमंद, स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा हासिल करना दोनों देशों की आर्थिक विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में उन्होंने जनवरी 2016 में आयोजित जापान-भारत 8वीं ऊर्जा वार्ता द्वारा शुरू की गई भारत-जापान ऊर्जा भागीदारी पहल का स्वागत किया। उन्होंने द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग को आगे और मजबूती देने की इच्छा जताई क्योंकि इससे न केवल देनों देशो के ऊर्जा विकास को बल मिलेगा बल्कि दुनिया में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने, ऊर्जा हासिल करने और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से निपटने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने गंतव्य संबंधी धारा को हटाने के सिाथ ही तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के पारदर्शी एवं व्यापक बाजार को प्रोत्साहित करने की मंशा को दोहराया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को जल्द से जल्द लागू करने का स्वागत किया और उस समझौते के नियमों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने जॉइंट क्रेडिटिंग मैकेनिज्म (जेसीएम) पर आगे हरसंभव जल्द करने की इच्छा जताई।

 

  1. प्रधानमंत्री अबे ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना सहित अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी के पयासों की सराहना की।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग के लिए भारत और जापान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर होने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे स्वच्छ ऊर्जा, आर्थिक विकास और दुनिया में शांति एवं सुरक्षा के लिए आपसी विश्वास एवं सामरिक भागीदारी के नए स्तर की झलक मिलती है।

 

  1. पर्यावरण के अनुकूल स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के लिए दोनों देशों के निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बीच बढ़ती सहभागिता का स्वागत करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी और हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहन सहित पर्यावरण के अनुकूल वाहनों को लोकप्रिय बनाने जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करने के महत्व को रेखांकित किया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने सुरक्षित एवं पर्यावरण के अनुकूल जहाजों की रीसाइक्लिंग के लिए हॉन्गकॉन्ग अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2009 के निष्कर्षों को जल्द से जल्द हासिल करने की इच्छा जताई।

 

भविष्य उन्मुख भागीदारी की नींब

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने समाजों में बुनियादी बदलाव के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में गहरी द्विपक्षीय सहभागिता के लिए व्यापक संभावनाओं को माना। उन्होंने अंतरिक्ष सहयोग बढ़ाने के महत्व पर बल दिया और इसरो एवं जेएएक्सए के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। उन्होंने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और जेएएमएसटीईसी के बीच सहयोग ज्ञापन (एमओसी) के माध्यम से समुद्री, पृथ्वी एवं वायुमंडलीय विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की भी सराहना की। उन्होंने आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स पर संयुक्त कार्य समूह, जेईटीआरओ के साथ सहयोग के लिए भारत-जापान आईओटी निवेश पहल और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संयुक्त समिति के माध्यम से द्विपक्षीय आईटी एवं आईओटी सहयोग में प्रगति का उल्लेख किया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने आपदा जोखिम घटाने पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन के बाद नई दिल्ली में ‘एशियन मिनिस्ट्रियल कॉन्फ्रेंस ऑन डिजास्टर रिस्क रिडक्शन 2016’ के सफल आयोजन का स्वागत किया। उन्होंने आपदा प्रबंधन एवं आपदा जोखिम घटाने के क्षेत्र में आपसी सहयोग की संभावनाओं को माना। साथ ही उन्होंने सुनामी की जोखिम से निपटने के लिए उपकरण विकसित करने और उसके प्रति जागरूगता एवं समझ बढ़ाने के लिए विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के महत्व को भी स्वीकार किया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध, स्टेम सेल अनुसंधान, औषधि एवं चिकित्सा उपकरण सहित स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सहयोग की प्रगति का भी स्वागत किया। उन्होंने जापान में जेनेरिक दवाओं की मात्रात्मक हिस्सेदारी से संबंधित लक्ष्य के परिप्रेक्ष्य में भारतीय और जापानी औषधि कंपनियों के बीच सहभागिता बढ़ाने के लिए अवसरों का भी उल्लेख किया।

 

टिकाऊ भागीदारी के लिए लोगों में निवेश

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने वर्ष 2017 को संस्कृति एवं पर्यटन के क्षेत्र में भारत-जापान मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया और उन्होंने पर्यटन संबंधी अवसरों को मजबूती देने, युवाओं के आदान-प्रदान एवं शैक्षणिक सहभागिता पर जोर दिया। उन्होंने सांस्कृतिक विनिमय के क्षेत्र में एमओसी का स्वागत किया। उन्होंने दोनों देशों के बीच पर्यटन प्रवाह को प्रोत्साहित करने को जबरदस्त इच्छा जताई। साथ ही उन्होंने भारत-जापान पर्यटन परिषद की उद्घाटन बैठक पर संतोष जताते हुए दूसरी बैठक जापान में 2017 में होने की उम्मीद जताई। उन्होंने वित्त वर्ष 2016 में नई दिल्ली में जापान नैशनल टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (जेएनटीओ) के कार्यालय के उद्घाटन का भी स्वागत किया।

 

  1. प्रधानमंत्री अबे ने भारतीय छात्रों के लिए वीजा जरूरतों में ढील देने की घोषणा की और भारतीय नागरिकों के लिए वीजा आवेदन केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 20 करने की इच्छा जताई। प्रधानमंत्री अबे ने जापानी पयर्टकों एवं निवेशकों के लिए 10 वर्षीय लंबी अवधि की वीजा और वीजा ऑन अराइवल सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।

 

  1. प्रधानमंत्री अबे ने एशिया में कुशल मानव संसाधनों के आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए जापान की नई पहल ‘इनोवेटिव एशिया’ के बारे में जानकारी दी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने उम्मीद जताई कि इस पहल से भारतीय छात्रों के लिए छात्रवृत्ति एवं इंटर्नशिप की संभावनाओं के लिए नए रास्ते खुलेंगे और आगे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने शिक्षा पर पहली द्विपक्षीय उच्चस्तरीय नीति वार्ता की सफलता पर संतोष जताया और विश्वविद्यालय से विश्वविद्यालय संस्थागत लिंक में विस्तार के जरिये शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने शिक्षा मॉडल से संबंधित बेहतरीन गतिविधियों को साझा करने और एसएकेयूआरए साइंस प्लान (विज्ञान के क्षेत्र में जापान और एशिया के बीच युवाओं के आदान-प्रदान का कार्यक्रम), जिसके तहत युवा भारतीय छात्र एवं अनुसंधानकर्ता जापान जाते हैं, जैसी पहल के महत्व को भी रेखांकित किया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने टोक्यो 2020 ओलंपिक एवं पैरालंपिक खेलों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए अनुभव, कौशल, तकनीक, सूचना और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए भारत के खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय और जापान के शिक्षा, संस्कृति, खेल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच एमओसी पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। प्रधानमंत्री अबे ने टोक्यो 2020 ओलंपिक एवं पैरालंपिक खेलों के आयोजन को सफल बनाने के लिए जापान के प्रयासों में मदद के लिए प्रधानमंत्री मोदी की पेशकश का स्वागत किया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने सरकार के सभी स्तरों यानी सांसदों से लेकर राज्यों और प्रांतों के बीच बातचीत बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आपसी सहयोग के लिए गुजरात राज्य और ह्योगो प्रांत के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। उन्होंने अपनी-अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ जुड़े दो प्राचीन शहरों क्योटो सिटी और वाराणसी के बीच संबंधों के सुदृढ़ीकरण पर भी संतोष जताया।

 

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए जापान में बढ़ती रुचि का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने योग के प्रति उत्साही जापानी लोगों को भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रशिक्षण के लिए भारतीय छात्रवृत्ति का लाभ उठाने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने महिला सशक्तिकरण के महत्व और इस क्षेत्र में सहयोग को वल्र्ड असेंबली फॉर वुमेन (वाव!) जैसे सम्मेलनों के जरिये मजबूती देने कर आवश्यकता को स्वीकार किया।

 

  1. एशिया में अहिंसा, सहिष्णुता और लोकतंत्र की प्ररंपराओं के सकारात्मक प्रभाव पर भविष्य के निर्माण की जरूरतों पर अपने विचार साझा करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने जनवरी 2016 में टोक्यो में ‘साझा मूल्य एवं एशिया में लोकतंत्र’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी का स्वागत किया और 2017 में अगले सम्मेलन के आयोजित होन की उम्मीद जताई।

 

भारत-प्रशांत एवं उसके इतर क्षेत्रों में नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए संयुक्त कार्य

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने 21वीं शताब्दि में समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र को साकार करने में भारत और जापान की संभावित सहभागिता पर जोर दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक विकास को बढ़ावा देने, क्षमता निर्माण, कनेक्टिविटी एवं बुनियादी ढांचे के विकास के लिए साझा मूल्यों, हितों एवं पूरक कौशल और संसाधनों की ताकत की रूपरेखा तैयार करने का निर्णय लिया। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री अबे ने दोनों देशों के मानव, वित्तीय एवं तकनीकी संसाधनों को जोड़ने के लिए एक नई पहल का प्रस्ताव दिया ताकि जापानी ओडीए परियोजनाओं के माध्यम से इन उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इन संदर्भ में द्विपक्षीय सहयोग के महत्व को माना।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में विशेष संयुक्त परियोजनाओं और प्रयासों में तालमेल बिठाने के उद्देश्य से अफ्रीका में सहयोग और सहभागिता को प्रोत्साहित करने के लिए भारत-जापान वार्ता के महत्व को रेखांकित किया। इस संदर्भ में उन्होंने साथ मिलकर काम करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग करने की इच्छा जताई ताकि एशिया और अफ्रीका में औद्योगिक गलियारे और औद्योगिक नेटवर्क के विकास को बढ़ावा मिल सके।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने चाबहार के लिए कनेक्टिविटी एवं बुनियादी ढांचे के विकास में पारस्पिरिक द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय सहयोग के जरिये दक्षिण एशिया और ईरान एवं अफगानिस्तान जैसे आसपास के क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाओं का स्वागत किया। उन्होंने अपने अधिकारियों को इस प्रकार के सहयोग के लिए जल्द से जल्द विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने जापान, भारत और अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय वार्ता का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने एचए/डीआर, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग और सहभागिता बढ़ाने पर जोर दिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी त्रिपक्षीय वार्ता को गहराई देने का भी स्वागत किया।

 

  1. क्षेत्रीय, राजनैतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रमुख नेताओं के नेतृत्व वाले एक मंच के रूप में ईस्ट एशिया समिट (ईएएस) की प्रक्रिया को मजबूती देने में हुई प्रगति का स्वागत करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस शिखर सम्मेलन को कहीं अधिक गतिशील एवं बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया। उन्होंने जकार्ता में ईएएस राजदूतों की बैठक के आयोजन और आसियान सचिवालय में एक ईएएस इकाई स्थापित करने का स्वागत किया। उन्होंने ईएएस ढांचे के तहत समुद्री सहयोग और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने आसियान रीजनल फोरम, आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग प्लस, एक्सेंडेड आसियान मैरिटाइन फोरम और समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद व हिंसक चरमपंथ एवं जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक एवं क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए कार्यों में समन्वय जैसे आसियान आधारित मंचों पर विस्तृत सहयोग के जरिये क्षेत्रीय ढांचे को आकार और मजबूती देने की इच्छा जताई।

 

  1. उन्होंने उम्मीद जताई कि इन क्षेत्रीय एवं त्रिपक्षीय वार्ता तंत्रों से भारत-प्रशांत क्षेत्र में संतुलित, खुला, समावेशी, स्थिर, पारदर्शी और नियमों पर आधारित आर्थिक, राजनैतिक एवं सुरक्षा ढांचा विकसित करने में मदद मिलेगी।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने कड़े शब्दों में आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करते हुए ‘जीरो टोलरेंस’ की भावना व्यक्त की। उन्होंने आतंकवाद एवं हिंसक चरमपंथ के बढ़ते खतरे और उसकी सार्वभौमिक पहुंच पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने ढाका और उड़ी सहित हाल के आतंकवादी हमलों के पीड़ितों एवं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने सभी देशों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 और आतंकवादी संगठनों पर लक्षित अन्य प्रासंगिक प्रस्तावों पर अमल करने का आग्रह किया। उन्होंने आतंकवादियों के लिए सुरक्षित ठिकानों और बुनियादी ढांचे के खात्मे के लिए सभी देशों को साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया ताकि आतंकवादियों के नेटवर्क एवं वित्त पोषण के माध्यमों को ध्वस्त किया जा सके और सीमापार आतंकवादियों की आवाजाही पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने सभी देशों को उनके क्षेत्र से चलाई जा रही आतंकी गतिविधियों से प्रभावी तरीके से निपटने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के उभरते चरित्र के मद्देनजर आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ से निपटने के लिए सूचनाओं एवं खुफिया जानकारियों को साझा करने के साथ-साथ मजबूत अंतरराष्ट्रीय भागदारी सुनिश्चित करने की जरूरत है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद से निपटने के लिए चल रही द्विपक्षीय वार्ता का उल्लेख किया और दोनों देशों के बीच सूचनाओं एवं खुफिया जानकारियों के बेहतर आदान-प्रदान के जरिये सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने पाकिस्तान से भी कहा कि मुंबई में 2008 के आतंकी हमले और पठानकोट में 2016 के आतंकी हमले सहित अन्य आतंकवादी हमलों के षडयंत्रकारियों को न्याय के दायरे में लाए।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने समुद्री, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र में वैश्विक कॉमन्स एवं डोमेन्स की सुरक्षा के लिए करीबी सहयोग करने की पुष्टि की।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) में वर्णित एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों पर आधारित नौवहन एवं उड़ानों की आजादी और बेरोक वैध वाणिज्यि का सम्मान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराया। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने सभी पक्षों से आग्रह किया कि विवादों को बिना किसी धमकी अथवा बल प्रयोग के शांतिपूर्ण तरीके से विवादों को निटाने और आत्मसंयम बरतने एवं एकतरफा कार्रवाई कर तनाव बढ़ाने से बचने का आग्रह किया। यूएनसीएलओएस के सदस्य नेताओं के रूप में दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपने विचारों को दोहराया कि सभी पक्षों को यूएनसीएलओएस का सम्मान करना चाहिए जो समुद्र और महासागरों के अंतरराष्ट्रीय कानूनी मान्यताओं को स्थापित करता है। दक्षिण चीन सागर के संदर्भ में दोनों प्रधानमंत्रियों ने विवादों को यूएनसीएलओएस सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के स्थापित सिद्धांतों के आधार पर शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने के महत्व पर जोर दिया।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने उत्तरी कोरिया द्वारा परमाणु हथियार एवं बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लगातार विकास और यूरेनियम संवर्द्धन गतिविधियों की कड़े शब्दों में निंदा की आगे किसी भी उत्तेजन से बचने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावें के तहत अंतरराष्ट्रीय दायित्वों एवं प्रतिबद्धताओं पर अमल करने और कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त करने के लिए पहल करने का आग्रह किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने उस क्षेत्र को परमाणु प्रसार गतिविधियों के खतरे से बचाने के लिए आपसी सहयोग की प्रतिबद्धताओं को दोहराया। उन्होंने उत्तर कोरिया से भी आग्रह किया कि वह समस्याओं को जल्द से जल्द निपटाए।

 

  1. प्रधानमंत्री अबे ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘प्रोएक्टिव कंट्रिब्यूशन टु पीस’ जैसी गतिविधियों के जरिये क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि लाने में जापान के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता एवं समृद्धि में जापान के सकारात्मक योगदान को माना।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में जल्द सुधार करने पर जोर दिया ताकि 21वीं शताब्दि की समकालीन वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए उसे कहीं अधिक वैध, प्रभावी और प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था बनाई जा सके। साथ ही उन्होंने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए समान समझ रखने वाले भागीदारों के साथ करीबी से काम करने की बात दोहराई। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए ‘मित्र मंडली’ तैयार करने का स्वागत किया जो सामग्री आधारित बातचीत शुरू करने की उल्लेखनीय पहल सहित विभिन्न देशों की सरकारों के बीच हो रही बातचीत को गति देगी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक-दूसरे के उम्मीदवार को समर्थन देने की बात दोहराई और कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विस्तार के तहत भारत और जापान स्थायी सदस्यता के लिए वैध उम्मीदवार हैं।

 

  1. भारत को सबसे बड़े लोकतंत्र और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के कारण जापान एपीईसी में उसकी सदस्यता का पुरजोर समर्थन करता है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में निवेश एवं व्यापार को बढ़ावा देने और उदारीकरण के लिए साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया। उन्होंने आधुनिक, व्यापक, उच्च गुणवत्ता एवं आपसी तौर पर फायदेमंद क्षेत्रीय वृहत आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते के लिए सहयोग करने की बात दोहराई। दोनों प्रधानमंत्रियों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में निवेश और वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार में विस्तार के जरिये और डब्ल्यूटीओ के व्यापार सुविधा समझौते के जरिये कारोबारी सुगमता और उदारीकरण को बढ़ावा देने के लिए काम करने का निर्णय लिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इसी साल जी20 के नेताओं के कथनों के अनुसार, इस्पात की अतिरिक्त क्षमता पर वैश्विक फोरम गठित करने और उसके जरिये इस्पात उद्योग में अतिरिक्त क्षमता के लिए सहयोग और बातचीत बढ़ाने के महत्व की पुष्टि की।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए अपनी साझी प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री अबे ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर जल्द हस्ताक्षर करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने शैनन अधिदेश के आधार पर विखंडनीय सामग्री कटौती संधि (एमएमसीटी) के प्रवावी तरीके से निरीक्षण एवं भेदभाव रहित, बहुपक्षीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वार्ता तत्काल प्रारंभ करने और शीघ्र निष्कर्ष निकालने पर जोर दिया। उन्होंने परमाणु प्रसार और परमाणु आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूती देने की भी इच्छा जताई।

 

  1. दोनों प्रधानमंत्रियों ने प्रभावी राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण प्रणाली के महत्व को भी उजागर किया। जापान ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में भारत के शामिल होने का स्‍वागत किया साथ ही बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार (एचसीओसी) के खिलाफ हेग आचार संहिता और निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं के साथ भारत के लगातार मजबूत होते कदमों उसके लगाव का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार के प्रयासों को मजबूती देने के उद्देश्य से भारत को शेष तीनों अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं- परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह, वासेनार व्यवस्था औ ऑस्ट्रेलिया समूह- का सदस्य बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

 

निष्कर्ष

 

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने गर्मजोशी के साथ आतिथ्य सत्कार करने के लिए जापान की सरकार एवं वहां के लोगों को धन्यवाद दिया और उन्होंने प्रधानमंत्री अबे को अगली शिखर बैठक के लिए पारस्पिरिक सुविधाजनक समय पर भारत आने का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री अबे ने सहर्ष निमंत्रण स्वीकार कर लिया।