प्रिय मित्रों,
आज के दिन हम भारतमाता के दो जानेमाने सपूतों को श्रद्धांजलि देते हैं। 1869 में आज ही के दिन पोरबंदर में महात्मा गांधीजी का जन्म हुआ था। अपने विचारों तथा सत्य और अहिंसा जैसे आदर्शों के सामर्थ्य से मोहनदास करमचन्द गांधी ने समग्र ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी थी। गुजरात के लिए काफी गौरव की बात है कि महात्मा गांधी ने इसे अपनी कर्मभूमि बनाया। मेरे लिए इससे भी ज्यादा गौरव की बात यह है कि गुजरात ने इस विश्व को दिखा दिया है कि 21 वीं सदी में बापु द्वारा दिखाए गए मार्ग और आदर्शों पर चलकर विकास की नई ऊंचाइयों पर किस तरह पहुंचा जा सकता है।
इसी दिन जन्में श्री लाल बहादुर शास्त्री को भी हम हृदयपूर्वक श्रद्धांजलि दें। शास्त्रीजी महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों के प्रेरणास्त्रोत बन गए। जय जवान जय किसान का उनका आह्वान आज भी प्रत्येक देशभक्त के दिलो दिमाग पर गूंज रहा है।
मित्रों, मेरा हमेशा यह मानना रहा है कि गांधीजी को समझना हो तो इस महामानव पर लिखी गईं ढेरों पुस्तकें पढ़ने मात्र से काम नहीं चलेगा, उनके आदर्शों का अनुसरण करना होगा। इसलिए ही, आज के दिन मैं लोगों को प्रोत्साहित करता हूं कि वह खादी को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
खादी सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं है बल्कि एक विचारधारा है। खादी और चरखा, यह दो ऐसे प्रतीक हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में पूरे देश को संगठित किया। खादी के शस्त्र से हमने 1947 से पूर्व शासन जमाकर बैठी विदेशी सल्तनत को चुनौती दी और खादी विदेशी साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बन गई। खादी जनशक्ति को जागृत करने का अदभुत शस्त्र बन गई।
मुझे विश्वास है कि खादी का फैशन दुनियाभर के लोगों पर अपना प्रभाव डालकर उनको दीवाना बना सकता है। आनेवाले समय में खादी फॉर नेशन खादी फॉर फैशन का नारा काफी कारगर साबित हो सकता है। इस दिशा में आगे बढ़ने के संकल्प के साथ गुजरात सरकार ने नई कपड़ा नीति तैयार की है जो हमारे बुनकर भाईयों के जीवन में नया आनंद और समृद्धि लाएगी। दरिद्रनारायण के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण माध्यम साबित होगी।
दोस्तों, हमने 1947 में स्वराज तो हासिल कर लिया, मगर गांधीजी के स्वप्न सुराज्य को हासिल करना अभी बाकी है। सुराज्य की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ करने और दरिद्रनारायण की सेवा में समर्पित हो, ऐसे समाज का निर्माण करके महात्मा गांधी के स्वप्न को साकार करने की जिम्मेदारी अब हमारी है। आखिर में, प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटाइन द्वारा महात्मा गांधी के लिए कहे गये जबर्दस्त शब्दों को आपके समक्ष रखना चाहता हूं। उन्होंने कहा था कि “आनेवाली पीढ़ियां शायद ही यह मान सकेगी कि हाडमांस का बना ऐसा मानव भी कभी इस धरती पर चला था।”
फिर से एक बार, गांधी जयंती के अवसर पर आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। आज के इस मौके पर चलिये, हम खादी को अपने जीवन का अभिन्न भाग बनाने का संकल्प करें। आपको पूरा कबाट खादी से भर देने की जरूरत नहीं है मगर जाईये और खादी की थोड़ी बहुत वस्तुएं खरीदकर लाईये। इस तरह आप सिर्फ महात्मा गांधी के आदर्शों का अनुसरण ही नहीं करेंगे बल्कि गांधीजी के दिल में जिनका खास स्थान था ,ऐसे दरिद्रनारायण के जीवन में आनंद और समृद्धि का प्रकाश फैला सकेंगे।
आपका
नरेन्द्र मोदी