असैनिक परमाणु ऊर्जा संधि स्वच्छ ऊर्जा निर्माण में हमारी भागीदारी के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा: प्रधानमंत्री
भारत और उसकी अर्थव्यवस्था में कई परिवर्तनों हो रहे हैं, हमारा उद्देश्य विनिर्माण, निवेश के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र बनना है: नरेंद्र मोदी
हम जापान को एक स्वाभाविक भागीदार के रूप में देखते हैं, हमारा मानना है कि हमारे अपेक्षित फायदों के गठबंधन के लिए अभी काफी संभावनायें हैं:प्रधानमंत्री
हमारी सामरिक साझेदारी क्षेत्र में शांति, स्थिरता और संतुलन लाती है: नरेंद्र मोदी
हम संयुक्त राष्ट्र में सुधारों के लिए एक साथ काम करना जारी रखेंगे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारे उचित स्थान के लिए भी प्रयास करते रहेंगे:प्रधानमंत्री
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री आबे का धन्यवाद: नरेंद्र मोदी
 
महामहिम प्रधानमंत्री अबे,
मित्रों,
मिना-सामा, कोम्बान वा!
एक जेन बौद्ध जापानी में कहते हैं- ‘इचिगो इची’, जिसका मतलब है कि हमारी प्रत्येक मुलाकात अनोखी है और हमें हरेक पल को खजाने की तरह सुरक्षित रखना चाहिए।
मैं कई बार जापान दौरा कर चुका हूं, लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में यह मेरी दूसरी यात्रा है। और, हमारी हरेक यात्रा अनोखी, विशेष, शिक्षाप्रद और काफी लाभप्रद रही है।
जापान, भारत और दुनियाभर में कई अवसरों पर महामहिम अबे से मेरी मुलाकात हो चुकी है। मुझे पिछले कुछ वर्षों के दौरान जापान के कई उच्च स्तरीय राजनीतिक और व्यापार जगत के नेताओं को भारत में स्वागत करने का सौभाग्य भी मिला है।
हमारी बातचीत की आवृत्ति आवाजाही, गतिशीलता और हमारे संबंधों की गहराई को दर्शाती है। साथ ही इससे हमारी विशेष सामरिक एवं वैश्विक भागीदारी के लिए पूरी और सतत प्रतिबद्धता भी झलकती है।
मित्रों,
आज की बातचीत में प्रधानमंत्री अबे और मैंने पिछले शिखर सम्मेलन के बाद से हमारे संबंधों में हुई प्रगति का जायजा लिया। हम दोनों के लिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हमारे सहयोग ने विभिन्न मोर्चे पर प्रगति की है।
हमारी प्रमुख प्राथमिकताओं में गहरे आर्थिक संबंध, व्यापार में वृद्धि, विनिर्माण एवं निवेश समझौते, स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करना, हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए साझेदारी और बुनियादी ढांचा एवं कौशल विकास में सहयोग शामिल हैं।
परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग के लिए समझौते पर आज हुए हस्ताक्षर स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी भागीदारी की ओर उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है।
इस क्षेत्र में हमारे सहयोग से हमें जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। मैं यह भी जानता हूं कि इस प्रकार के समझौते का जापान के लिए भी विशेष महत्व है।
मैं इस समझौते में मदद के लिए प्रधानमंत्री अबे, जापान की सरकार और पार्लियामेंट को धन्यवाद देता हूं।
मित्रों,
भारत और उसकी अर्थव्यवस्था में कई परिवर्तन हो रहे हैं। हमारा उद्देश्य विनिर्माण, निवेश और इक्कसवीं शताब्दी के ज्ञान उद्योग का एक प्रमुख केंद्र बनना है।
और, इस यात्रा में जापान हमें एक स्वाभाविक साझेदार के रूप में दिखता है। हमारा मानना है कि चाहे पूंजी हो अथवा प्रौद्योगिकी या फिर मानव संसाधन, पारस्परिक लाभ के लिए उसे जोड़ने में काफी संभावनाएं मौजूद हैं।
विशिष्ट परियोजनाओं के संदर्भ में, हम मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना की प्रगति को मजबूती देने पर लगातार ध्यान देते रहेंगे। वित्तीय क्षेत्र में हमारी भागीदारी और सहयोग समझौते से हमें बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अधिक से अधिक संसाधन हासिल करने में मदद मिलेगी।
इस संदर्भ में प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिए हमारी बातचीत से नई जमीन तैयार हुई है और यह हमारी आर्थिक भागीदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है। हम अंतरिक्ष विज्ञान, समुद्री एवं पृथ्वी विज्ञान, कपड़ा, खेल, कृषि और डाक बैंकिंग के क्षेत्र में भी नई भागीदारी को आकार दे रहे हैं।
मित्रों,
हमारी सामरिक भागीदारी न केवल हमारे अपने समाजों की सुरक्षा और भलाई के लिए है, बल्कि इससे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और संतुलन भी स्थापित होगा। यह एशिया-प्रशांत में उभरती चुनौतियों से निपटने और संभावनाओं के दोहन के लिए भी है।
समावेशी दृष्टिकोण वाले देश के रूप में हम इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचा और भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपस में जुड़े समुद्र पर कब्जा सहित क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने में करीबी सहयोग के लिए सहमत हो गए हैं।
सफल मालाबार नौसैनिक अभ्यास एशिया-प्रशांत के समुद्र में हमारे सामरिक हितों में व्यापक विस्तार को रेखांकित करता है।
लोकतांत्रिक देश के रूप में हम खुलेपन, पारदर्शिता और कानून के शासन का समर्थन करते हैं। हमने आतंकवाद के खतरे खासकर सीमापार आतंकवाद से साथ मिलकर मुकाबला करने का भी संकल्प लिया है।
मित्रों,
दोनों देशों के बीच संबंध हमारे गहरे सांस्कृतिक संबंध और लोगों के बीच आपसी मेलजोल से प्रेरित है। पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री अबे की भारत यात्रा के दौरान मैंने उनमें विस्तार के लिए आधार तैयार करने के लिए कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई थी।
और, परिणामस्वरूप हमने सभी जापानी नागरिकों के लिए मार्च 2016 से ही ‘वीजा-ऑन-अराइवल’ सुविधा में विस्तार कर दिया है। साथ ही हमने सभी पात्र जापानी कारोबारियों के लिए 10 वर्षों की लंबी अवधि वाले वीजा में विस्तार के लिए कदम उठाया है।
मित्रों,
जापान और भारत क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी करीबी परामर्श एवं सहयोग करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र में सुधार और यूएन सुरक्षा परिषद में अपनी जगह के लिए साथ मिलकर काम करते रहेंगे।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता के लिए भारत का समर्थन करने के लिए मैं प्रधानमंत्री अबे को धन्यवाद देना चाहता हूं।
महामहिम अबे,
हम दोनों मानते हैं कि हमारी भागीदारी का भविष्य काफी समृद्ध और मजबूत है। हम खुद के लिए और अपने क्षेत्र के लिए साथ मिलकर जो कर सकते हैं उसकी कोई सीमा और पैमाना नहीं है।
और, इसका एक प्रमुख कारण आपका दमदार और गतिशील नेतृत्व है। आपका साझेदार और मित्र बनना वाकई हमारे लिए सौभाग्य की बात है। मैं इस शिखर सम्मेलन की सबसे मूल्यवान परिणामों और जबरदस्त स्वागत सत्कार के लिए आपको धन्यवाद देना चाहता हूं।
अनाता नो ओ मोतेनाशी ओ अरिगातो गोजाईमाशिता!
(उदारतापूर्वक आतिथ्य सत्कार के लिए आपको धन्यवाद)
धन्यवाद,
बहुत-बहुत धन्यवाद।