मित्रों ,
हमारे भारत की महान सांस्कृतिक विरासत में जन्मे अनेक महापुरुष विश्व की समस्त मानवता के कल्याण के पथदर्शक रहे हैं |
महात्मा गाँधी को आज सारा विश्व एक युग-पुरुष के रूप में मानता हैं | महात्मा गाँधी के जीवन और विचारों से अनेक समस्याओं का समाधान मिलता हैं और वो आज भी प्रासंगिक हैं |
महात्मा गाँधी के बारे में, उनके जीवन के बारे में विश्लेषण होते रहते हैं लेकिन हाल ही में एक विदेशी लेखक श्री जोसेफ लेलिवेल्ड (Joseph Lelyveld) ने अपनी पुस्तक "ग्रेट सोउल: महात्मा गाँधी एंड हिस् स्ट्रगल विथ इंडिया" (Great Soul: Mahatma Gandhi and his struggle with India) में महात्मा गाँधी के बारे में बहुत ही विकृत और घृणास्पद मानसिकता से लिखा हैं | इस बारे में, मैं मेरा आक्रोश व्यक्त करता हूँ |
आलोचना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी के चरित्रहनन का या किसी को बदनाम करने का अधिकार नहीं बन सकती हैं | जोसेफ लेलिवेल्ड के इस विकृत विश्लेषण से केवल गुजरात ही नहीं वरन भारत के सभी विवेकशील और विचारवान लोगो की भावना को आघात पहुँचा हैं |
हमारा गुस्सा और आक्रोश स्वाभाविक हैं |
भारत की महान विरासत और महापुरुषों पर हम सब गर्व करते हैं और इसीलिये जोसेफ लेलिवेल्ड का गाँधीजी के बारे में यह विकृत विश्लेषण घोर निंदा का पात्र हैं | किसी भी परिस्थिति में इसे बर्दास्त नहीं किया जा सकता |
हम चाहते है की लेखक और प्रकाशक अपनी भूल स्वीकार करे और सार्वजनिक रूप से माफ़ी मागें | गुजरात सरकार ने तो इस पुस्तक पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया ही हैं | मुझे विश्वास है की पुरे भारत में जनमानस में व्याप्त व्यापक आक्रोश को ध्यान में रख कर केन्द्र सरकार भी तुरन्त इस प्रकाशन पर प्रतिबंध की घोषणा करेगी |
मित्रों, महात्मा गाँधी हो या हमारी भारतमाता की धरती पर जन्मा कोई भी महापुरुष हो, हमारे आदर और सम्मान का अधिकारी हैं और उसका अपमान या भारत की सांस्कृतिक अस्मिता को बदनाम करने के किसी भी प्रयास के सामने हमारा स्वाभिमान निश्चित रूप से जाग उठना चाहिये |
मित्रों , आज हम सब की नजरे मोहाली में भारत पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले क्रिकेट वर्ल्डकप के सेमीफाइनल मैच पर टिकी हैं | आओ इस मैच को भारत की एकता के एक अवसर के रूप में देखे | खेल-भावना किसी भी खेल का प्राणस्वर हैं और हमें आज के इस अवसर को इसी भावना के साथ लेना चाहिये |