प्रणाम अम्मा
इस मंच पर उपस्थित सम्मानित गणमान्य जन
नमस्कारम्
इस पवित्र और पावन अवसर पर, मैं अम्मा को साधुवाद देता हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह अम्मा को दीर्घायु बनाएं। वह लाखों अनुयायी की मार्गदर्शक हैं। वह इन लाखों अनुयायियों के लिए सिर्फ जीवन का पर्याय ही नहीं बन चुकी हैं बल्कि सच्ची मां भी बन चुकी हैं। वह अपने भक्तों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में भी कार्य करती हैं और भक्तों पर उनका हाथ अदृश्य तरीके से साया बना रहता है।
मैं उन भाग्यशाली लोगों में से एक हूं जिन्हें अम्मा का आशिर्वाद और स्नेह मिलता रहा है। तीन वर्ष पूर्व मुझे अम्मा के 60वें जन्मदिन पर अमृतपूरी में उनके दर्शक के सौभाग्य प्राप्त हुए। लेकिन आज मैं उतना सौभाग्यशाली नहीं हूं कि उन्हें प्रत्यक्ष रूप से उन्हें जन्मदिन की बधाई दे सकूं इसलिए इस तकनीक के माध्यम से उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित कर रहा हूं। मैं अभी केरल से लौटा हूं और केरल के लोगों ने मुझे अपार स्नेह प्रदान किया।
भारत ऐसे संतों की धरती है जो प्रत्येक चीज को ईश्वर में देखते हैं। मानवता उनमें से एक प्रमुख है। सेवा करना ही मानवता का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। मैं इस बात से अवगत हूं कि अम्मा अपने बचपन से ही अपना भोजन जरूरतमंदों को देती रही हैं। बुजुर्गों एवं उम्रदराज लोगों की सेवा करना उनका बचपन से ही उद्देश्य रहा है। वह बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की अराधना करती रही हैं।
यह दोनों विशेषताएं ही उनकी ताकत है। भगवान की अराधना और गरीबों की सेवा का संदेश मैंने व्यक्तिगत रूप से अम्मा से ही ग्रहण किया है। दुनियाभर के उनके भक्त भी यही महसूस करते हैं।
मैं इस बात से भी अवगत हूं कि अम्मा के विभिन्न संस्थान जो चैरिटबल औऱ सामाजिक कार्यों को अंजाम देते हैं। वह दुनिया के गरीबों की पांच आवश्यकताओं भोजन, आवास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मैं अम्मा द्वारा स्वच्छता, जल, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों का यहां जिक्र करना चाहता हूं। मैं समझता हूँ कि उन लाभार्थियों में से कुछ को आज अपने प्रमाण पत्र मिल जाएंगे। विशेषकर अम्मा का शौचालय निर्माण के क्षेत्र में काम बेहद उल्लेखनीय है जो हमारे स्वच्छ भारत मिशन का अहम हिस्सा है। इससे हमें बड़ी मदद मिली है। अम्मा ने केरल में स्वच्छता कार्यक्रम के लिए सौ करोड़ रूपये दान देने का संकल्प जताया है। इसमें पंद्रह हजार शौचालयों का निर्माण भी शामिल है। आज मैं बताना चाहूंगा कि अम्मा के आश्रम ने दो हजार शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा करा चुका है।
मैं जानता हूं कि पर्यावरण संरक्षण और स्थितरता के क्षेत्र में किए गए कार्यों में से यह महज एक उदारहण भर है। एक वर्ष पूर्व अम्मा ने नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए सौ करोड़ रुपये प्रदान किए थे। मैं प्राकृतिक आपदाओं के बाद पीड़ितों की मदद के लिए किए गए अम्मा के कार्यों से भी भलीभांति परिचित हूं। यह भी उल्लेखनीय है कि अमृता विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने ऐसे कई शोध किए हैं जिससे दुनिया की समस्याओं का निदान किया जा सके।
अंत में, मैं इस समारोह में मुझे हिस्सा लेने के लिए अवसर देने के लिए आभार व्यक्त करता हूं।
एक बार फिर मैं अम्मा को साधुवाद देता हूं।