मेरे सहयोगी धर्मेंद्र प्रधान जी, विदेशों से आए तेल एवं गैस मंत्रियों, कार्यकारी अधिकारियों और हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के विशेषज्ञों, गणमान्य जनों एवं विशेष अतिथितियों,
ऊर्जा आर्थिक विकास की एक प्रमुख कुंजी है। सतत, स्थिर और उचित कीमत वाली ऊर्जा आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है ताकि वह एक नई ऊंचाई को छू सके। आने वाले कई वर्षों के लिए हाइड्रोकार्बन ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बना रहेगा। इसलिए इस सम्मेलन का विषय "हाइड्रोकार्बन भविष्य के ईंधन के लिएः विकल्प और चुनौतियां" उपयुक्त है और समय पर है।
आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह वृद्धि नीतिगत उपायों की एक श्रृंखला के द्वारा समर्थित है। हमारी नीतियां छोटी अवधि सुर्खियों के बजाय भारत की दीर्घकालिक आर्थिक और सामाजिक संभावनाओं में सुधार पर केंद्रित हैं। हमारे प्रयास आर्थिक वृद्धि और विकास के मामले में परिणाम दिखा रहे हैं।
तेजी से विकास इसके अलावा, दूसरों की तुलना में हमारी अर्थव्यवस्था सबसे अधिक स्थिर है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में जब अनिश्चितता का दौर जारी है उसी समय भारत जबरदस्त लचीलापन दिखाया है। हमारे चालू खाते के घाटे में तेजी से सुधार हुआ है और जून की तिमाही में एक दशक से भी कम स्तर पर पहुंच गया। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2015-16 में उच्चतम स्तर पर था जबकि दुनिया में एफडीआई की दर गिरी है। बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के अनुसार प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत बैंकिंग संकट की चपेट में कम है।
भारत की अर्थव्यवस्था के 2040 तक पांच गुना की दर से विकास करने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक भारत 2013 और 2040 के बीच एक चौथाई विकासशील वैश्विक ऊर्जा की मांग की ओर अग्रसर है। पूरे यूरोप की तुलना में भारत में 2040 तक अधिक तेल की खपत होने की उम्मीद है। हम उम्मीद करते हैं कि 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदार 25 फीसदी दो जाएगी जबकि अभी यह दर 16 फीसदी पर रुकी हुई है।
परिवहन बुनियादी ढांचे में भी कई गुना वृद्धि की संभावना है। तेरह मीलियन की वाणिज्यिक वाहन आबादी 2040 तक 56 मीलियन तक पहुंच जाने का अनुमान है। नागरिक उड्डयन में, भारत इस समय दुनिया में आठवां सबसे बड़ा बाजार है और 2034 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बनने के लिए तैयार है। विमानन क्षेत्र में विकास के चलते 2040 तक विमानन ईंधन की मांग चार गुना बढ़ने की उम्मीद की जाती है। यह सब ऊर्जा की मांग को प्रभावित करेगा।
साथियों,
हाइड्रोकार्बन भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। तेजी से विकास की संभावना भारत के ऊर्जा क्षेत्र पर एक बड़ी जिम्मेदारी देती है। मुझे खुशी है कि भारत और विदेशों से इतने सारे प्रतिभागियों ने यहाँ आने के लिए समय निकाला है। मुझे यकीन है कि हम सभी के अनुभव और एक दूसरे की विशेषज्ञता से लाभ होगा। मैं इस अवसर पर हाइड्रोकार्बन क्षेत्र से जुड़ी उम्मीदों को लेकर अपने विचार आप के साथ साझा करना चाहता हूं और हमारा प्रयास ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने को लेकर है।
ऊर्जा को लेकर सामान्य रूप से और विशेष रूप से हाइड्रोकार्बन भारत के भविष्य के लिए मेरी दृष्टि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत को ऐसी ऊर्जा की जरूरत है जो गरीबों के लिए सुलभ हो। ऊर्जा के इस्तेमाल में दक्षता की जरूरत है। एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक होने के नाते, भारत जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने, उत्सर्जन को रोकने और एक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए भारत को ऊर्जा सुरक्षा की जरूरत है। इसलिए, भारत की ऊर्जा भविष्य के लिए मेरी दृष्टि चार स्तंभों है।
--ऊर्जा की पहुंच
--ऊर्जा दक्षता
--ऊर्जा स्थिरता
--ऊर्जा सुरक्षा
मैं ऊर्जा के उपयोग के साथ शुरुआत करता हूं। भारत के कुछ अमीर लोग जब हाइब्रिड कार खरीद रहे होते हैं उसी समय एक गरीब खाना बनाने के लिए लकड़ी का जलावन खरीद रहा होता है। भोजन पकाने के लिए लकड़ी या अन्य बायोमास का इस्तेमाल ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे उनकी उत्पादकता घटती है। हमने 50 मीलियन परिवारों को रसोई गैस मुहैया करने के साथ उज्जवला योजना की शुरुआत की है। एक ही झटके में, इस कार्यक्रम के चलते स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है, उत्पादकता बढ़ जाती है और हानिकारक उत्सर्जन कम हो जाता है। रसाई गैस का कनेक्शन लेने के लिए पहली बार सरकार खुद खर्च उठाएगी लेकिन उसके बाद ग्राहक को पूरा भुगतान करना होगा। इस कार्यक्रम के तहत महज सात महीनों में ही करीब 10 मीलियन परिवारों को गैस कनेक्शन मुहैया कराया गया है।
सरकार ने अगले पांच वर्षों में एक करोड़ घरों तक पाइप्ड प्राकृतिक गैस का विस्तार करने का लक्ष्य तय किया है। हम तीस हजार किलोमीटर तक पाइप गैस लाइन के राष्ट्रीय गैस ग्रिड नेटवर्क के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध हैं। अभी यह पंद्रह हजार किलोमीटर तक फैला हुआ है। हम कम विकसित पूर्वी क्षेत्र के लिए एक नई गैस पाइपलाइन का निर्माण कर रहे हैं जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेंगे। हम मार्च 2018 तक भारत में हर गांव तक बिजली की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।
अब ऊर्जा दक्षता पर बात करने की बारी है। भारत की स्थिति वाणिज्यिक परिवहन क्षेत्र में विषम है। माल ढुलाई का अनुपात सड़क मार्ग से बढ़ रहा है। ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए मेरी सरकार ने रेलवे को प्राथमिकता दे रही है। हमने 2014-15 और 2016-17 के बीच अधिक से अधिक एक सौ प्रतिशत तक की रेलवे में सार्वजनिक पूंजी निवेश में वृद्धि की है। हम समर्पित फ्रेट कॉरिडोर पूरा कर रहे हैं। हम मुंबई और अहमदाबाद के बीच एक उच्च गति रेल गलियारे का निर्माण कर रहे हैं जो हवाई यात्रा से ज्याद ऊर्जा दक्षता वाला होगा। हम अंतर्देशीय और तटीय दोनों क्षेत्रों में जलमार्ग के लिए एक बड़ा जोर दिया है। हमारी सागरमाला परियोजना भारत के लंबे समुद्र तट को जोड़ेगी। हमने बड़ी नदियों पर भी नए अंतर्देशीय शिपिंग मार्गों को खोल दिया है। इन कदमों से ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा। बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय वस्तु एवं सेवा कर कानून को पारित कर दिया गया है। राज्य की सीमाओं पर भौतिक बाधाओं को दूर करके जीएसटी लंबी दूरी के परिवहन को और आगे बढ़ाने में दक्षता को गति देगा।
विकासशील देशों के तेल मंत्री ऊर्जा मूल्य निर्धारण की संवेदनशीलता को जानते हैं। इसके अलावा, हमने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अनियंत्रित कर दिया है। रसोई गैस की कीमतों को भी बाजार तय करेगा। कमजोर और मध्यम वर्ग की रक्षा के लिए 169 मीलियन बैंक खातों में सीधे सब्सिडी का भुगतान किया जा रहा है। इससे रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी की तमाम खामियों और उसके दुरुपयोग को खत्म किया जा सकेगा। इससे बड़ी बचत हो रही है। इन उपायों से भी ऊर्जा के उपयोग की दक्षता में वृद्धि हुई है।
मेरे लिए ऊर्जा स्थिरता, एक पवित्र कर्तव्य है। यह कुछ ऐसा है जो भारत को प्रतिबद्धता से बाहर करता है, अनिवार्यता से नहीं। भारत अगले पंद्रह वर्षों में अपने 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद का कार्बन तीव्रता में तैंतीस प्रतिशत की कमी करने के लिए खुद करने में पहल की है। हमने प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत प्रारंभिक बिंदु के बावजूद कम किया है। हम 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा चालीस प्रतिशत का उत्पादन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैंने 2022 तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन का 175 गीगावाट का एक विशाल लक्ष्य निर्धारित किया है। इन प्रयासों के लिए धन्यवाद, क्षमता में वृद्धि हुई है और अक्षय ऊर्जा की कीमतें घटी हैं। हमने एलईडी प्रकाश व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा जोर दिया है।
सीएनजी, एलपीजी, जैव ईंधन और परिवहन क्षेत्र के लिए स्वच्छ ईंधन हैं। हम और विकल्पों की तलाश के लिए बंजर भूमि पर बायोडीजल का उत्पादन करने की जरूरत है। इससे किसानों को आर्थिक मदद मुहैया कराने में मदद मिलेगी। दूसरी और तीसरी पीढ़ी के लिए देश को मिल रही ऊर्जा चुनौतियों का सामना करने के लिए जैव ईंधन और ईंधन के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास किए जाने की जरूरत है।
अब मैं ऊर्जा सुरक्षा पर बात कर रहा हूं। हमें अपने घरेलू तेल और गैस के उत्पादन में वृद्धि और आयात पर निर्भरता कम करने की जरूरत है। मैंने 2022 तक दस प्रतिशत तक आयात पर निर्भरता कम करने के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया है। इसे बढ़ती तेल की खपत की अवधि के दौरान हासिल करना होगा।
घरेलू हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत और अनुकूल निवेश नीतिगत ढांचा हमारे पास है । लगभग दो दशक पहले, भारत ने नई अन्वेषण लाइसेंसिंग व्यवस्था शुरू की थी। भारत के इस कदम ने एक सौ प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी और निजी कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए एक अवसर प्रदान किया जिससे निवेश आए और वे भारतीय अपस्ट्रीम क्षेत्र में संचालित हो सकें। हालांकि, कई कारकों ने भारत के घरेलू तेल और गैस के उत्पादन को प्रतिकुल तरीके से प्रभावित किया है।
भारत को एक सच्चे निवेशक अनुकूल गंतव्य बनाने के लिए हम एक नए हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और उत्पादन नीति के साथ आए हैं। यह अन्वेषण और हाइड्रोकार्बन के सभी रूपों के लिए उत्पादन को लेकर लाइसेंस ढांचा प्रदान करता है जिसमें शेल तेल, गैस और कोल बेड मीथेन शामिल है।
· खुला रकबा नीति बोलीदाताओं के लिए है, जो इस दिशा में आगे बढना चाहते हैं उन्हें अमुमति है।
· राजस्व साझा मॉडल लाभ बांटने के बजाय विवादों की गुंजाइश को कम करने के लिए
· कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन के लिए विपणन और मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता होगी
पिछले साल, हमने नए सीमांत क्षेत्रों नीति की घोषणा की। इस नीति के तहत, सड़सठ क्षेत्रों में बोली लगाने के लिए की पेशकश की गई। सड़सठ के अलावा, अनुमान है कि इन क्षेत्रों में 89 मीलियन मीट्रिक टन तेल के साथ साथ तेल के बराबर गैस के भंडार धारण करने के लिए कर रहे हैं। अनुमान के अनुसार वसूली भंडार तीस मिलियन मैट्रिक टन के आदेश हैं। मैं समझता हूँ कि यह एक उत्साहजनक प्रतिक्रिया है जो कई वैश्विक कंपनियों के भाग लेने के साथ बोली लगाने की प्रक्रिया को प्राप्त किया गया है। डाउनस्ट्रीम क्षेत्र अब और अधिक खुला है, जिससे सभी मार्केट दिग्गजों के काम करने में आसानी होगी। इसके परिणामस्वरूप प्रतियोगिता दक्षता और हमारे विपणन कंपनियों के प्रभाव में वृद्धि होगी।
हमारे पड़ोसी देशों के साथ हमारे संबंधों को सक्रिय विदेश नीति और कूटनीति ऊर्जा को मजबूत करने में हमें मदद कर रहा है। मुझे आशा है कि हमारे तेल और गैस क्षेत्र की कंपनियों को अपने विदेशी समकक्षों के साथ करार करने में और अधिक इक्विटी तेल के लिए पता लगाने का अवसर मुहैया कराएगा। 5.6 बिलियन डॉलर के निवेश से रूस में हाइड्रोकार्बन परिसंपत्तियों के हाल के अधिग्रहण से इक्विटी तेल के बराबर के 15 मीलियन टन के लिए है। यह एक उदाहरण भर है। भारतीय ऊर्जा कंपनियों बहुराष्ट्रीय हो जाना चाहिए और भारत-मध्य पूर्व, भारत-मध्य एशिया और भारत-दक्षिण एशिया ऊर्जा गलियारों की दिशा में काम करना चाहिए ।
प्राकृतिक गैस अगली पीढ़ी जीवाश्म ईंधन है, जो किफायती और कम प्रदूषक है। हमने गैस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ने को प्राथमिकता दी है। प्राकृतिक गैस का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहा है, जबकि बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात भी किया जाना चाहिए। भारत में अक्षय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ने की प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में संतुलन लाने में अहम भूमिका होगी। संतुलन और बढ़त शक्ति प्रदान करेगी क्योंकि गैस आधारित ऊर्जा मुश्किल स्थिति में है।
दोस्तों, इस दृष्टि को हासिल करने के लिए हमें इस परियोजना को लेकर और संसाधन प्रबंधन के मामले में बहुत कुशल होने की जरूरत है। प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत को सुधार करने की जरूरत है। यह न केवल हमारे रिफाइनिंग और प्रसंस्करण क्षमता में सुधार होगा, बल्कि समय और कुशल परियोजना को पूरा किया जा सकेगा।
भारत हमेशा से बौद्धिक क्षमता और उद्यम के मामले में दूसरों के लिए एक प्रेरणा कारक रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि "मेक इन इंडिया", "स्टार्टअप इंडिया", और "स्टैंडअप इंडिया" जैसी पहलों से भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में युवाओं को उपक्रम शुरू करने के अवसर और नवोन्मेषी आइडिया मिलेंगे। रिफाइनिंग, नैनो, उत्प्रेरक विकास में प्रौद्योगिकी विकास एवं जैव ईंधन और वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्रों में हमें ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इंडियन ऑयल का सफलतापूर्वक इंडमैक्स प्रौद्योगिकी विकास इसका एक उदाहरण है।
वैश्विक हाइड्रोकार्बन कंपनियों के लिए मेरा संदेश हैः हम आपको मेक इंडिया कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करते हैं। कारोबार को सुगम बनाने को लेकर हमारे प्रसायों के चलते भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है। मैं आपको विश्वास दिलाता है कि लाल फीताशाही की जगह रेड कॉरपेट को लेकर हमारी प्रतिबद्धता मजबूत है।
दोस्तों,
एक तरफ, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हमें सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा के स्रोतों की जरूरत है। हाइड्रोकार्बन इस मिश्रण का एक अनिवार्य हिस्सा हो जाएगा। लेकिन दूसरी ओर हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। मुझे यकीन है, इस शानदार सभा में नवीन विचार आएंगे जहां हाइड्रोकार्बन एक अधिक कुशल और भविष्य के स्थायी ईंधन के लिए नया रास्ता प्रदान करेगा।
मैं सरकार की तरफ से हर संभव सहायता का आश्वासन देता हूं। मैं भारत में ऊर्जा क्षेत्र के परिवर्तन का एक हिस्सा बनने के लिए आपको धन्यवाद देता हूं।
While global economy goes through uncertainty, India has shown tremendous resilience. FDI is at the highest level: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
India's economy is expected to grow five fold by 2040: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
We expect growth in manufacturing, transport, civil aviation among other sectors: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
Hydrocarbons will continue to play an important part in India's growth: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
Energy in general and hydrocarbons in particular are an important part of my vision for India’s future: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
India needs energy which is accessible to the poor. It needs efficiency in energy use: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
Energy sustainability, for me, is a sacred duty. It is something India does out of commitment, not out of compulsion: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
We need to increase our domestic oil and gas production and reduce import dependence: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
My message to global hydrocarbon companies is: we invite you to come and Make in India: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
Our commitment is strong and our motto is to replace Red Tape with Red Carpet: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
To meet the increasing demand, we need affordable and reliable sources of energy: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016
We must also be sensitive towards the environment: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 5, 2016